खतौली। हरितालिका तीज, गौरा तीज का व्रत सनातन धर्म में आस्था रखने वाली सुहागन महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए व अविवाहित लड़कियां सुंदर वर घर की प्राप्ति के लिए करती है।
कथा शिव पुराण के सरस प्रवक्ता गंगोत्री तिवारी मृदुल महाराज से हुई बातचीत में बताया कि भगवान शिव को वर के रूप में पाने के लिए इस व्रत को सर्वप्रथम पार्वती जी ने पार्थिव शिव लिंग का पूजन कर निराहार व्रत रहकर किया था। जिसके फल स्वरूप देवों के देव महादेव शिव जैसा उन्हें पति मिले, जो भी युवती व महिला भगवान के इस व्रत को रखना चाहे उसे प्रातः काल में स्नान आदि करके शुद्ध भाव से भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का स्मरण करते हुए पार्थिव शिव लिंग के साथ साथ मिट्टी के ही गणेश गौरी कार्तिक व नंदी जी की प्रतिमा का निर्माण करना चाहिए स्वयं या किसी विद्वान के सानिध्य में भगवान शिव के साथ साथ शिव परिवार का भी श्रद्धा भाव के साथ पूजन करना चाहिए।
शिव जी को दूध, दही, शहद, घी बूरा से अभिषेक करे। बेलपत्र यज्ञोपवीत नैवेद्य धूप दीप आदि से पूजन करे। हरितालिका व्रत की कथा श्रवण करे मिथ्या भाषण से बचते हुए पंचाक्षर मंत्र व भगवान के शिव के चरित्रों को श्रवण करते हुए दिन भर व्यतीत करे अगले दिन पुनः गौरी शंकर का पूजन कर व्रत का पारण करे, जो भी स्त्री विधि विधान से गौरा तीज के इस व्रत को करती है भगवान गौरी शंकर उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हुए उसे सौभाग्वती का सुख प्रदान करते है।