मुजफ्फरनगर। भौरा कलां थाना क्षेत्र के गांव शिकारपुर में दहेज की मांग पूरी न होने पर विवाहिता की हत्या करने के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी पति आस मोहम्मद को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की कठोर कारावास और 56,000 के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। इस सनसनीखेज मामले में आरोपी ने पत्नी की हत्या कर उसे कोरोना से मौत बताकर उसके शव को चुपचाप कब्रिस्तान में दफना दिया था। बाद में महिला के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने शव निकालकर पोस्टमार्टम कराया, जिसमें गला दबाकर हत्या की पुष्टि हुई।
घटना 6 जून 2020 की है जब ग्राम शिकरपुर निवासी विवाहिता तबस्सुम पत्नी आस मोहम्मद की अचानक मौत की खबर सामने आई। परिवार वालों ने इसे कोरोना से मौत बताया और जल्दबाज़ी में शव को दफना दिया। लेकिन मृतका के मायके पक्ष को शक हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने संदेह के आधार पर कब्र से शव निकालकर मेडिकल परीक्षण कराया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई, जिससे पूरे मामले का रुख बदल गया।
इस मामले में तफ्तीश के बाद पति आस मोहम्मद, सास शमीम और देवर इन्साफ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। लेकिन फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी निशांत सिंगला की अदालत में चली सुनवाई के दौरान सास और देवर के खिलाफ ठोस सबूत न होने पर उन्हें बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार त्यागी ने मुकदमे की पैरवी की और कोर्ट के सामने पुख्ता गवाह व साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि तबस्सुम को लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। जब मांग पूरी नहीं हुई तो उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई और बाद में कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर उसे दफना दिया गया। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी पति को दोषी करार दिया और 10 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 56,000 के आर्थिक दंड से दंडित किया।