तिरंगे की छांव में शहीद इमरान सुपुर्दे खाक

असम में शहीद हुए जवान के जनाजे में उमड़ा जनसमूह, सपा व रालोद नेताओं ने पेश की खिराजे अकीदत, एसडीएम सदर, एसडीएम बुढ़ाना, सीओ बुढ़ाना सवेरे से ही हरसौली गांव में रहे मौजूद, शहीद की पत्नी, दो मासूम बच्चों सहित परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, 2 नवम्बर को आई थी जवान की मौत की खबर

Update: 2020-11-04 10:06 GMT

मुजफ्फरनगर। असम में तैनात शहीद सैन्यकर्मी इमरान बालियान का पार्थिव शरीर बुधवार को सुबह दिल्ली से मुजफ्फरनगर पहुंचा। यहां से उसके शरीर को शहीद इमरान के शरीर को लम्बे काफिले के साथ हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के नारों के बीच पैतृक गांव हरसौली ले जाया गया। इस काफिले में सैंकड़ों लोग तिरंगा लेकर शहीद सैनिक के शरीर के साथ साथ चल रहे थे। सपा और रालोद नेताओं ने भी गांव में पहुंचकर शहीद इमरान को खिराजे अकीदत पेश की और उसके जनाजे में शामिल हुए। सवेरे शहीद की पार्थिक देह आने की सूचना पर एसडीएम व सीओ फोर्स के साथ हरसौली पहुंच गये थे। इमरान का शरीर जैसे ही उसके घर पहुंचा तो पत्नी और बच्चों के साथ ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। गमगीन माहौल में गांव के कब्रिस्तान में शहीद इमरान को सुपुर्दे खाक कर दिया गया।


बता दें कि शाहपुर थाना क्षेत्र के गांव हरसौली निवासी इमरान बालियान पुत्र ताहिर करीब 10 वर्ष पूर्व भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। वर्तमान में उसकी पोस्टिंग असम में चल रही थी। सोमवार 2 नवंबर की शाम सैनिक इमरान की पत्नी के पास आर्मी के बेस कैंप से फोन आया था। फोन करने वाले ने बताया कि इमरान की मौत हो गई है, हालांकि मृत्यु का सही कारण नही बताया गया। इमरान की मौत की सूचना मिलने पर परिजनों में कोहराम मच गया। यह बात गांव में फैल गई। ग्रामीण भारी संख्या में उसके आवास पर पहुंचने शुरू हो गए। उधर गांव के कुछ ग्रामीणों का कहना है कि जिस स्थान पर इमरान तैनात था। उस स्थान पर कभी गोलीबारी भी नही हुई है। उसकी वर्तमान पोस्टिंग असम के सिक्का इलाके में थी।

आज शहीद सैनिक इमरान का पार्थिव शरीर सवेरे मुजफ्फरनगर पहुंचा। शाहपुर से ही सैंकड़ों लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के साथ शहीद इमरान को खिराजे अकीदत पेश की। सैंकड़ों लोग नारे लगा रहे थे। एक लंबे काफिले के साथ इमरान के पार्थिव शरीर को उसके पैतृक गांव हरसौली ले जाया गया है। शहीद सैनिक इमरान की पत्नी के अलावा दो बच्चे एक लड़का व एक लड़की हैं। दो भाई भी हैं। उसका एक भाई सऊदी अरब में कार्य करता है। आज सवेरे जैसे ही एक जुलूस के साथ तिरंगे में लिपटा इमरान का शरीर उसके घर पहुंचा तो परिवार की महिलाओं ने जोर जोर रोना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी और दोनों बच्चों का बुरा हाल हो रहा था। गांव हरसोली गांव में इमरान के अंतिम दर्शन करने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा था। गांव में एसडीएम बुढ़ाना कुमार भूपेंद्र, सीओ बुढ़ाना गिरिजा शंकर प्रसाद, एसडीएम सदर दीपक कुमार पुलिस फोर्स के साथ मौजूद थे। कुछ देर बाद शहीद इमरान के घर से उसका जनाजा उठा तो आकाश हिन्दुस्तान जिंदाबाद के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। इमरान को सदा के लिए गांव के कब्रिस्तान में तिरंगे की छांव में हजारों नम आंखों के बीच सुपुर्दे खाक कर दिया गया। शहीद इमरान को खिराजे अकीदत पेश करने के लिए सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी, रालोद नेता पूर्व एमएलसी चौ. मुश्ताक, सपा नेता महेश बंसल, पूर्व राज्यमंत्री मुकेश चौधरी, आमिर डीलर आदि गांव हरसौली पहुंचे थे।

परिजनों को मलाल, बड़ा अधिकारी पहुंचा ना कोई जनप्रतिनिधि

मुजफ्फरनगर। देश की सेना के लिए कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, यह गाहे बगाहे हम नेताओं के मुंह से ही सुनते आ रहे हैं। आज हरसौली में शहीद सैनिक इमरान बालियान पुत्र ताहिर के जनाजे में गांव देहात उमड़ा हुआ था, परिजन अपने जवान को खो देने के कारण बेहाल थे, उनको इमरान की मौत पर गर्व था कि वह तिरंगे में लिपटकर सदा के लिए विदा हुआ, लेकिन मलाल यह भी था कि दुख की इस सैनिक को आखिरी विदाई देने के लिए जिले से कोई बड़ा अफसर गांव पहुंचा और ना ही कोई जनप्रतिनिधि। हरसौली गांव चरथावल विधानसभा का हिस्सा है, यहां से भाजपा विधायक विजय कश्यप राज्य सरकार में राजस्व एवं बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्री हैं। यह विधानसभा मुजफ्फरनगर संसदीय सीट में आती हैं, यहां से भाजपा के डा. संजीव बालियान दूसरी बार विजयी रहे और केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री हैं। असम में सैन्यकर्मी इमरान की मौत के बाद आज तीसरे दिन उसकी दह गांव पहुंची थी, लेकिन वहां पर केवल एसडीएम और सीओ ही पहुंचे थे। इमरान के भाई जीशान का कहना था कि उनको भाई की शहादत पर गर्व है। माना जा रहा है कि इमरान की संदिग्ध मौत होने के कारण ही उसको अंतिम विदाई देने के लिए कोई बड़ा अधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं जा पाया है। 

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