KARMUKHERI ANDOLAN-किसानों की खातिर 37 साल से सड़क पर टिकैत

किसानों ने करमूखेड़ी आंदोलन की 37वीं बरसी पर भाईचारे के लिए कुर्बान हुए जयपाल मलिक और अकबर अली को किया याद, भारतीय किसान यूनियन ने भी दी श्रद्धांजलि, यूनियन मुखिया नरेश टिकैत और राकेश टिकैत ने किया नमन

Update: 2024-03-01 10:32 GMT

मुजफ्फरनगर। 37 साल पहले किसानों के हितों को लेकर सरकार से टकराने के लिए किसान धर्म और जाति की बंदिशों को भुलाकर करमूखेड़ी के आंदोलन में किसान बिरादरी के रूप में महेन्द्र सिंह टिकैत के पीछे खड़ा हुआ था। इस नेतृत्व ने एक ऐसा आंदोलन खड़ा किया, जो भाईचारे की बुनियाद पर जान की कुर्बानी के साथ वजूद में आया था और संघर्ष के लिए टिकैत को किसानों के साथ सड़क पर बैठना पड़ा, उस दौर का किसान न पुलिस की गोली से डरा ओर ही लाठी के जोर से उसे कोई भयभीत कर पाया और ऐसा ही कुछ 37 साल के सफर में आज भी है। आज भी टिकैत किसानों के साथ उनके हितों को लेकर सरकार के खिलाफ सड़क पर है। आज भी किसानों की खातिर आंदोलन में कुर्बानी मांगी जा रही है और अब खुद टिकैत परिवार कुर्बान होने को तैयार है। भाकियू के वजूद को पैदा करने वाले करमूखेड़ी आंदोलन में कुर्बानी देने वाले जयपाल मलिक और अकबर अली को किसानों ने आज भी पूरे सम्मान के साथ याद किया तो वहीं भाकियू प्रमुख नरेश टिकैत और राकेश टिकैत ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।

शामली में करमूखेड़ी बिजलीघर पर एक मार्च 1987 को भाकियू के संस्थापक स्व. चैधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में भाकियू का पहला आंदोलन हुआ था। बिजली के बिल में बढ़ोत्तरी के विरोध में हुए इस किसान आंदोलन में हजारों किसानों की भीड़ जुटने से तत्कालीन प्रदेश सरकार हिल गई थी। इस आंदोलन में पुलिस से टकराव होने पर गांव सिंभालका के किसान अकबर अली और लिसाढ़ के किसान जयपाल सिंह शहीद हो गए थे। एक पुलिस कर्मी भी मारा गया था। उग्र किसानों ने बिजलीघर के दफ्तर में आग लगा दी थी।


मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम के आश्वासन पर किसानों का आंदोलन स्थगित हुआ था। यह आंदोलन महेन्द्र सिंह टिकैत का पहला संघर्ष था और इसमें गठवाला खाप के चैधरी हरिकिशन मलिक, देशखाप के चैधरी सुखबीर सिंह, बत्तीसा खाप के चैधरी सूरजमल आदि खाप चैधरियों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। मुस्लिम किसानों की भी बड़े पैमाने पर इसमें भागीदारी रही। इसी दिन भाकियू के बैनर पर किसानों के हित में सरकार से लड़ाई लड़ने की शुरुआत हुई थी और इसी आंदोलन से भाकियू का उदय हुआ था। भाकियू के झंडे और टोपी के साथ अपने हितों के लिए किसानों के संघर्ष का यह दौर आज भी जारी है।


01 मार्च 1987 में करमुखेड़ी ;शामलीद्ध में हुए किसान आंदोलन में शहीद हुए जयपाल मलिक लिसाढ़ एवं अकबर अली सिम्भालका के बलिदान दिवस पर शुक्रवार को किसान भवन सिसौली में नरेश टिकैत ने समस्त किसान कौम की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस अवसर पर उस संघर्ष को याद करते हुए कहा कि उनका यह बलिदान किसान कौम कभी नहीं भूल सकती। आज भी ऐसे ही एकजुट आंदोलन की आवश्यकता है। इसके साथ ही किसानों ने करमूखेड़ी आंदोलन की 37वीं बरसी को किसान शहीद दिवस के रूप में मनाकर जयपाल और अकबर को याद किया। गांव लिसाढ़ में जयपाल मलिक की प्रतिमा और सिम्भालका में अकबर अली की कुरबत पर पहुंचे परिजनों और किसानों ने फूल चढ़ाये तथा उनके लिए दुआ और प्रार्थना की। 

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