पालिका में खरीदी जा रही एलईडी लाइटों का नमूना फेल

45 वॉट की 3000 हजार एलईडी लाइट खरीदने को स्वीकृत हुआ था टैण्डर, ठेकेदार फर्म के झूठ का जांच में हुआ पर्दाफाश

Update: 2024-11-15 10:51 GMT

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के द्वारा जिस शर्त पर पथ प्रकाश के लिए 45-50 वॉट की एलईडी लाइट खरीदने का टैण्डर स्वीकृत किया गया, उस शर्त को पूरा करने के लिए ठेकेदार फर्म द्वारा किया गया गोलमाल लोक निर्माण विभाग लखनऊ की जांच में खुलकर सामने आ गया है। जिस एलईडी लाइट को 132.50 ल्यूमिनर प्रति वॉट बताकर पालिका को आपूर्ति करने के लिए ठेकेदार फर्म हरी झंडी का इंतजार कर रही है, उस लाइट की ल्यूमिनर क्षमता जांच में मात्र 122.93 प्रति वॉट पाई गई है। इसके साथ ही एलईडी लाइट को आपूर्तिकर्ता ने जिस कम्पनी का बताया है, वो लाइट उस कम्पनी के मानकों की भी नहीं पाई गई है और न ही वो गुणवत्ता उसमें मिली है। इससे साफ जाहिर है कि लोकल लाइट को कम्पनी की लाइट बताकर पालिका को आपूर्ति करने का घपला ठेकेदार फर्म करने जा रही थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद अब पालिका प्रशासन ठेकेदार फर्म का टैण्डर निरस्त करने के साथ ही दूसरी कार्यवाही करने की तैयारी कर रहा है।

नगरपालिका परिषद् के द्वारा दीपावली के अवसर पर शहरी के सीमा विस्तारित क्षेत्र के साथ ही सभी 55 वार्डों में पथ प्रकाश की व्यवस्था को सुदृढ़ और सुचारू बनाने के लिए नई लाइट खरीदने के लिए तैयारी कर ली गई थी। इसके लिए पथ प्रकाश विभाग ने तीन हजार नई लाइटों की खरीद के लिए 1 करोड़ 74 लाख 87 हजार 600 रुपये का एस्टीमेट बनाकर 29 जनवरी 2024 को 45-50 वॉट की एलईडी लाइट खरीदने के लिए टैण्डर आमंत्रित किये गये थे। इसमें पालिका ने शर्त लगाई थी कि 130 ल्यूमिनर प्रति वॉट की विशेषता वाली एलईडी लाइट की ही आपूर्ति स्वीकार्य होगी। इसके लिए जैम पोर्टल पर आमंत्रित निविदाओं को 31 जुलाई को खोला गया था। इसमें 11 कंपनियों ने अपनी निविदा दी थी। इनमें से केवल चार फर्मों के द्वारा ही निविदा की शर्तों के अनुरूप पालिका के पथ प्रकाश विभाग को सैम्पल के लिए एक एक 45 वॉट क्षमता की एलईडी लाइट उपलब्ध कराई थी। आरके एण्टर प्राइजेज थानाभवन शामली ने हेलोनिक्स मेक और उर्वशी एण्टर प्राइजेज आगरा, निर्मल एसोसिएशन गाजियाबाद और एसएस एण्टर प्राइजेज नई मंडी मुजफ्फरनगर ने सूर्या मेक के सैम्पल दिये थे।

पथ प्रकाश विभाग ने प्राइवेट कंपनी से ही करा ली जांच, हुआ फर्जीवाडा

पालिका के पथ प्रकाश की ओर से इन चारों सैम्पल में से सूर्या मेक और हेलोनिक्स मेक के एक एक सैम्पल लाइट की ल्यूमिनर क्षमता की परख कराने के लिए प्राइवेट स्तर पर अल्फा टेस्ट हाउस प्रा. लि. पीरागढ़ी नई दिल्ली से जांच कराई गई। पालिका को जांच रिपोर्ट मिली, जिसमें जांचकर्ता कंपनी ने दावा किया था कि सूर्या मेक की 45 वॉट एलईडी लाइट का ल्यूमिनर 132.50 प्रति वॉट और हेलोनिक्स मेक लाइट का ल्यूमिनर 127.8 प्रति वॉट पाया गया। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर सूर्या मेक लाइट की आपूर्ति देने वाली तीन फर्मों की निविदा को रेस्पोन्सिव पाये जाने पर ईओ के समक्ष इनकी वित्तीय निविदा को खोला गया। इसमें विभागीय एसएस एण्टरप्राइजेज नई मंडी द्वारा एस्टीमेट से 41.87 प्रतिशत बिलो पर निविदा दिये जाने के कारण उसको स्वीकृत किया गया। ठेकेदार फर्म द्वारा प्रति लाइट 3400 रुपये की दर से 1 करोड़ 2 लाख रुपये में 45 वॉट की 3 हजार एलईडी सूर्या मेक लाइट आपूर्ति करने की तैयारी भी शुरू कर दी।

बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भाजपा सभासद ने की शिकायत

सात अक्टूबर को आयोजित हुई बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव संख्या 358 के तहत इस निविदा की स्वीकृति पर बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए सदन में रखा गया और यह पारित भी हो गया। इसके बाद पथ प्रकाश विभाग ने ठेकेदार फर्म को अनुबंध जारी कर आपूर्ति लेने की तैयारी प्रारम्भ कर दी, लेकिन इसके बाद भाजपा नेता सभासद देवेश कौशिक के द्वारा सूर्या मेक लाइट की ल्यूमिनर क्षमता कम बताने के साथ ही इसमें अन्य अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत कर जांच की मांग की गई।

ईओ प्रज्ञा सिंह ने एग्रीमेंट रोक जांच को सैम्पल लखनऊ भेजा, हुआ पर्दाफाश

ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने शिकायत होने के बाद फर्म को अनुबंध जारी करने पर रोक लगा दी और फर्म द्वारा दिये गये सूर्या मेक लाइट के सैम्पल की जांच प्राइवेट फर्म से कराये जाने को भी नियमों के विपरीत मानते हुए इसकी जांच कराने का निर्णय लिया। ईओ के द्वारा सूर्या मेक लाइट का सैम्पल 22 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग विद्युत/यांत्रिक वर्ग लखनऊ को भेजकर जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया। लोनिवि विद्युत/यांत्रिक वर्ग लखनऊ के मुख्य अभियंता यूके सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट ईओ को प्रेषित कर दी है। इसमें लाइट आपूर्तिकर्ता कम्पनी के द्वारा किये जा रहे गोलमाल के साथ ही प्राइवेट कंपनी से कराई गई जांच का भी पर्दाफाश कर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पालिका के द्वारा जांच के लिए उपलब्ध कराये गये सूर्या मेक 45 वॉट एलईडी लाइट मॉडल नम्बर एसएलई यूएल 45वॉट आईपी66 एनजीएन के सैम्पल पर कंपनी का लोगो अलग से लगाये गये स्टीकर पर अंकित है, जबकि ये एलईडी लाइट के फिटिंग पर एनग्रेबड होता है, लाइट का मॉडल नम्बर भी स्टीकर पर अंकित है। इसमें कहा गया है कि विद्युत सामग्री के अनुमोदन के लिए यूपी लोनिवि में विभिन्न फर्म को एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब की टेस्ट रिपोर्ट उलब्ध कराई जाती है और इसी लैब टेस्टिंग पर फर्मों के उत्पादों का वर्गीकरण किया जाता है। सूर्या मेक 45 वॉट एलईडी स्ट्रीट लाइट का ल्यूमिनर 122.93 आईएम प्रति वॉट है और यह लाइट यूपी लोनिवि में ट्रिपल ए श्रेणी में अनुमोदित है। इस उत्पाद की वैद्यता 31 जुलाई 2025 तक है।

ईओ ने पथ प्रकाश प्रभारी से मांगी आख्या, झूठ परोसने वाली फर्म पर होगी कार्यवाही

ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट लखनऊ से प्राप्त हुई है। इसमें सूर्या मेक लाइट के सैम्पल में कई खामियां बताई गई हैं। उसका ल्यूमिनर भी निर्धारित शर्त के अनुरूप नहीं पाया गया है। हमने पथ प्रकाश प्रभारी जेई जलकल धर्मवीर सिंह से शासनादेश, टैण्डर की शर्तों और लोनिवि लखनऊ से प्राप्त हुई जांच रिपोर्ट के सम्बंध में प्रस्तावित स्वीकृत निविदा को लेकर आख्या उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इसमें यदि शर्तों ओर शासनादेश का ठेकेदार फर्म के द्वारा उल्लंघन पाया जाना सि( होता है तो कार्यवाही के लिए चेयरपर्सन को रिपोर्ट भेजी जायेगी।

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