इसलिए दिल्ली में सस्ती बिकी शराब
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत साल 2021-2022 में राजधानी दिल्ली में शराब की बिक्री का काम पूरी तरह से निजी हाथों में दे दिया, इसके लिए उसने शराब की खुदरा विक्रेता कंपनियों से शराब की बिक्री से पूर्व ही लाइसेंस शुल्क के तौर पर करीब 300 करोड़ रुपये ले लिए। सरकार ने शराब के सभी ब्रांडों का अधिकतम खुदरा मूल्य(एमआरपी) तय कर दिया जो पिछले साल के मूल्य के करीब-करीब बराबर ही था। साथ ही विक्रेताओं को यह अनुमति दे दी गई कि वो एमआरपी से नीचे किसी भी दाम पर शराब बेच सकते हैं। यहीं से शराब में छूट देने का खेल शुरू हुआ।
सरकार ने शराब के सभी ब्रांडों का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय कर दिया, जो पिछले साल के मूल्य के करीब-करीब बराबर ही था। साथ ही विक्रेताओं को यह अनुमति दे दी गई कि वे एमआरपी से नीचे किसी भी दाम पर शराब बेच सकते हैं। यहीं से शराब में छूट देने का खेल शुरू हुआ।
नई शराब नीति से पहले यदि शराब की एक्स ब्रांड की बोतल 150 रुपये में आयात की जाती थी तो उसपर 150 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगती थी और 200 प्रतिशत इम्पोर्टर मार्जिन लगता था। इसके बाद उसपर 85 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी और 25 प्रतिशत वैट लगता था, जिसके बाद 12 प्रतिशत होलसेलर मार्जिन भी होता था। इस तरह 150 रुपये की यह बोतल सारे कर लगाकर खुदरा विक्रेता को 1600 रुपये के करीब मिलती थी, जिसपर वह अधिकतम 100 रुपये मुनाफा लेकर उसे 1700 रुपये में बेच देता था।
नई शराब नीति लागू होने पर 150 रुपये की इस बोतल पर 150 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी और 200 प्रतिशत इम्पोर्टर मार्जिन तो पूर्व की तरह ही लग रहा है, लेकिन 25 प्रतिशत का वैट खत्म करने के साथ ही 85 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी को घटाकर मात्र एक प्रतिशत कर दिया गया है। साथ ही 12 प्रतिशत का होलसेलर मार्जिन भी खत्म कर दिया गया है, क्योंकि होलसेलर का काम खुदरा विक्रेता कंपनियां ही कर रही हैं।
दरअसल खुदरा विक्रेता कंपनियों ने शुरू में ही करीब 300 करोड़ लाइसेंस शुल्क दे दिया है, इसलिए वे अधिक से अधिक शराब बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहती हैं। यही वजह है कि अधिक बिक्री के लिए वे ग्राहकों को फरवरी माह तक 50 प्रतिशत तक छूट दे पा रही थीं और अब 25 प्रतिशत तक छूट दे रही हैं।