हर महीने में दो बार होगा दिल्ली टैªक्टर मार्चः राकेश टिकैत
राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से ट्रैक्टर यात्रा लेकर किसान आए हैं। आंदोलन को आज 7 महीने पूरे हो गए हैं, दो दिन से दिल्ली में काफी लोग आ रहे हैं।
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने के बाद गाजीपुर यूपी गेट बाॅर्डर पर आज किसानों और ट्रैक्टरों की भीड नजर आ रही है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि महीने में दो बार लोग यहां बड़ी संख्या में ट्रैक्टर के साथ आएंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से ट्रैक्टर यात्रा लेकर किसान आए हैं। आंदोलन को आज 7 महीने पूरे हो गए हैं, दो दिन से दिल्ली में काफी लोग आ रहे हैं। सरकार जब चाहे तब बातचीत शुरू कर सकती है। जब तक किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसान आज विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपकर इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि हिंसा की आशंकाओं के बीच किसानों का कहना है कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। किसानों के आज के आंदोलन को देखते हुए पुलिस और तमाम सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट हैं। एहतियातन दिल्ली की ओर आने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पुलिस हर आने-जाने वाले पर नजर रख रही है। मैट्रो स्टेशन पहले ही बंद रखने का ऐलान किया गया है। किसान करीब सात महीने से गाजीपुर बार्डर धरना दे रहे हैं और गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से को बंद कर रखा है और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के सात महीने पूरा होने पर शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी इन सत्याग्रही अन्नादाताओं के साथ खड़ी है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सीधी-सीधी बात है- हम सत्याग्रही अन्नदाता के साथ हैं।