महिलाओं को देख स्टाॅप पर नहीं रोकते डीटीसी बसें
ग्रीनपीस इंडिया ने बताई सच्चाई
राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा के लिए सरकार अलग-अलग कदम उठा रही है। वहीं, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बसों में निशुल्क सफर की सुविधा है। पड़ताल में ये बात सामने आई कि एसी बसों वाले चालक बसों को बस स्टाॅप पर नहीं रोकते हैं। इसके चलते महिलाओं को अपमान का सामना करना पड़ता है। इस मामले में ग्रीन पीस इंडिया द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में शामिल 82 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि कई बार बस निर्धारित स्टाॅप पर नहीं रुकती है। 29 फीसदी को ऐसी स्थितियों का बार-बार सामना करना पड़ा है, जबकि अन्य 50.2 प्रतिशत को कभी-कभी इसका अनुभव हुआ है। पर्यावरण निगरानी संस्था ग्रीनपीस इंडिया के सर्वेक्षण के मुताबिक 54.2 प्रतिशत महिला बस यात्रियों ने भेदभाव का सामना किया है। इसमें भी विशेष रूप से मुफ्त बस योजना के संबंध में बस कर्मचारियों और पुरुष यात्रियों दोनों से अपमानजनक टिप्पणियां प्राप्त करने की सूचना दी है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा कि ऐसी शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई की गई है, यहां तक की ऐसे बस चालकों को ब्लैक लिस्ट भी किया है। रिपोर्ट में इस योजना के सकारात्मक प्रभाव का संकेत दिया है, महिला यात्रियों का प्रतिशत 2020-21 में 25 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में लगभग 33 प्रतिशत हो गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार 84.8 प्रतिशत महिला बस यात्री और अधिक महिला बस चालकों व कंडक्टर को शामिल करने के विचार का समर्थन करती हैं। इस कदम को महिलाओं के लिए बसों की पहुंच और सुरक्षा में सुधार के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण में शामिल 91.6 प्रतिशत महिला बस उपयोगकर्ताओं ने दिल्ली भर में केवल महिलाओं के लिए समर्पित बसों के कार्यान्वयन के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल ने बताया कि यह सर्वे जून-जुलाई माह में किया गया था। केंद्रीय टर्मिनल के पास बस का इंतजार कर रही वर्षा ने कहा कि सबसे अधिक नाइंसाफी एसी बस चालक करते हैं। वह कई बार बसों को रोकते नहीं हैं। मंडी हाउस पर बस का इंतजार कर रही रूही ने बताया कि वैसे तो स्थिति पहले से बहुत ज्यादा ठीक हो गई है।