दिल्ली दंगे की सुनवाई के दौरान सलाम कहने पर दिलचस्प दलील
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अलीगढ़ में 16 जनवरी 2020 को शरजील इमाम द्वारा दिए गए भाषण को एक सितंबर को पढ़ा था और कहा था कि शरजील इमाम ने अपने भाषण की शुरुआत अस-सलाम अलैकुम कहते हुए की जो दिखाता है कि यह केवल एक समुदाय को संबोधित करते हुए कहा गया।
नई दिल्ली। दिल्ली दंगों की साजिश मामले के आरोपी और कार्यकर्ता खालिद सैफी ने अस-सलाम अलैकुम अभिवादन पर दिल्ली पुलिस की टिप्पणियों की ओर इशारा करते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर यह गैरकानूनी है तो वह यह कहना बंद कर देगा।
कुछ दिन पहले पुलिस ने कहा था कि इस मामले में आरोपी जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने अपने कथित भड़काऊ भाषणों में से एक की शुरुआत अस-सलाम अलैकुम के साथ की थी, जो दिखाता है कि यह एक खास समुदाय को संबोधित करने के लिए थी कि व्यापक जनता को। सैफी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत से पूछा कि मैं हमेशा अपने दोस्तों का सलाम के साथ अभिवादन करता हूं। मुझे लगता है कि अगर यह गैरकानूनी है तो मैं इसे कहना बंद कर दूंगा। यह कोई कानून है या अभियोजन पक्ष की धारणा है? उनके इस सवाल पर न्यायाधीश रावत ने स्पष्ट किया कि यह अभियोजन पक्ष की दलील है न कि अदालत का बयान है। अदालत में सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अलीगढ़ में 16 जनवरी 2020 को शरजील इमाम द्वारा दिए गए भाषण को एक सितंबर को पढ़ा था और कहा था कि शरजील इमाम ने अपने भाषण की शुरुआत अस-सलाम अलैकुम कहते हुए की जो दिखाता है कि यह केवल एक समुदाय को संबोधित करते हुए कहा गया। सैफी ने कहा कि जब भी उन्हें जमानत मिलेगी तो वह षडयंत्र मामले में आरोपपत्र पर 20 लाख कीमती कागजों की बर्बादी के लिए पुलिस के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक मामला दायर करेंगे।