वाह केजरीवालः आक्सीजन को लेकर बनाया सियासी नाटक
दिल्ली को 289 मिट्रिक टन आक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन अ।क्सिनन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की आक्सीजन आडिट टीम के सनसनीखेज दावे के बाद दिल्ली का अरविंद केजरीवाल निशाने पर है।
आक्सीजन की कमी की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान जब देशभर में आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था, तब दिल्ली सरकार ने जरूरत के चार गुना आक्सिजन की मांग कर दी थी। समीति ने सुप्रीम कोर्ट को हैरान कर देने वाली बात बताई कि दिल्ली सरकार को जरूरत से ज्यादा आक्सीजन आपूर्ति के कारण 12 राज्यों को अक्सिीजन संकट का सामना करना पड़ा होगा। आडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई इस रिपोर्ट में कहा कि भारी गड़बड़ी हुई है। बेड कपैसिटी के आधार पर तय फार्म्युले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन आक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन अ।क्सिनन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना है। ध्यान रहे कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 13 मई को कहा था कि अब दिल्ली के पास अतिरिक्त आक्सीजन है जिसे दूसरे राज्यों को दिया जा सकता है। उन्होंने बताया था कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि उसके पास अतिरिक्त आक्सिजन है और इसे दूसरे राज्यों को भी दिया जा सकता है। समिति की इस रिपोर्ट के बाद राजनीतिक महकमें में खलबली मच गई है। उधर, सोशल मीडिया ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल सरकार से कड़े सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूरे भारत में अ।क्सिजन की आपूर्ति बाधित करने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।