आपका भीतरी तत्व ही आपके जीवन की गुणवत्ता तय करता है...
अध्यात्म अपने 'अंर्तमन' को व्यवस्थित करने का विज्ञान है। उदाहरण के लिए, आज आपके पास आधुनिक विज्ञान है, जिसके जरिए आप अपने रहने के लिए जरूरत के मुताबिक बाहरी वातावरण बना लेते हैं। ठीक इसी तरह से अध्यात्म अपने आंतरिक वातावरण को अपने अनुकूल बनाने का एक 'आंतरिक' विज्ञान है। दरअसल, आपके जीवन की गुणवत्ता इस पर निर्भर नहीं करती कि आप कहां और कैसे रह रहे हैं, बल्कि इस पर निर्भर करती है कि फिलहाल आप अपने भीतर से किस तरह के हैं। आपका भीतरी तत्व ही आपके जीवन की गुणवत्ता तय करता है। इस क्षण आपने क्या पहना है, बैंक में आपके पास कितना पैसा जमा है या फिर आपकी शैक्षिक योग्यता क्या है, इन सबसे आपके जीवन की गुणवत्ता तय नहीं होगी, बल्कि तय होगी इस बात से कि इस क्षण आप कितने प्रसन्नचित्त हैं, कितने शांतिपूर्ण हैं। हालांकि इस आयाम की आपने पूरी तरह उपेक्षा की है। आप अपनी मां के गर्भ से बाहर आए, अपनी आंखें खोलीं, बाहर की दुनिया को देखा और उसकी ओर तीव्रता से आकृष्ट हो गए। आपने सोचा कि सब कुछ बाहर ही है। आपने बाहर भले ही कितना कुछ किया हो, लेकिन यह कोई मायने नहीं रखता। जब तक आप अपने आंतरिक भाग के लिए कुछ नहीं करते, तब तक आप जान नहीं पाएंगे कि शांतिपूर्ण होना क्या है, आप जान ही नहीं पाएंगे कि आनंदमय होना क्या है, आप जान नहीं पाएंगे कि मात्र एक भौतिक शरीर और मन बने रहने की सीमाओं से परे कैसे जाया जाए। जब मैं कहता हूं 'आपका भौतिक शरीर' और 'आपका मन', तब मैं आपको यह समझाना चाहता हूँ कि यह शरीर आपका नहीं है।