जानवरों पर खतरनाक प्रयोग कर रहा चीन
नई दिल्ली. कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर संदेह के घेरे में आई वुहान की लैब की गुत्थी सुलझाने में दुनिया लगी है. इसी बीच एक विशेषज्ञ ने म्यूटेटेड जीन के साथ पैदा होने वाले बंदरों पर बीजिंग के प्रयोगों की ओर इशारा किया है. एक लेखक और पत्रकार जैस्पर बेकर, जिन्होंने 20 सालों तक चीन को कवर किया है, ने प्रयोगशालाओं की 'ढीली' बायोसिक्योरिटी पर की गई रिपोर्ट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सबूत है कि कोरोनावायरस ऐसी ही लैब से निकला है. तमाम सबूतों के बीच चीन की सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि 'वायरस मानव निर्मित है.'
बेकर का दावा है कि वुहान में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से पहले हजारों 'Genetically-engineered' जानवर बनाए हैं. इन भयानक संस्थानों में बंदरों और खरगोशों को जीन-परिवर्तित वायरस का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिनमें से कुछ SARS-CoV-2 के समान होते हैं. रविवार को 'द मेल' के लिए लिखते हुए बेकर ने लिखा कि सच यह है कि चीन में उन सभी तरह के प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिनकी दुनिया में कहीं और अनुमति नहीं है.
उनका दावा है कि चीनी वैज्ञानिक अपने लैब में 'खतरनाक' और 'अनैतिक' जोखिम उठा रहे हैं. उन्होंने लिखा कि जब से आकर्षक वैश्विक बायोटेक निवेश में उछाल आया है ऐसा लगता है कि चीनी रिसर्चर्स जानवरों और यहां तक कि इंसानों पर भी और ज्यादा खतरनाक जोखिम उठा रहे हैं, जिन्हें ज्यादातर पश्चिमी देशों में अनैतिक माना जाएगा.