तालिबान की नाक में दम करने आ रही अहमद मसूद की फौज, अमेरिका से मांगे हथियार
सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरें बताती हैं कि उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और मसूद के बीच मुलाकात हुई थी। ऐसे लग रहा है कि दोनों मिलकर तालिबान के खिलाफ गुरिल्ला अभियान की तैयारी कर रहे हैं।
काबुल। पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान से जंग लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस काम में उन्हें अमेरिका की मदद चाहिए। हाल ही में प्रकाशित एक आप-एड के जरिए उन्होंने अमेरिका को 'आखिरी बची हुई उम्मीद' बताया है और हथियार मुहैया कराने की अपील की है। मसूद के पिता ने पंजशीर में तालिबान के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान चलाया था। उनकी 2001 में हत्या कर दी गई थी।
वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक आप-एड में उन्होंने लिखा, 'अमेरिका अभी भी लोकतंत्र का सबसे बड़ा शस्त्रागार हो सकता है।' उन्होंने लिखा, 'मैं आज पंजशीर घाटी से लिख रहा हूं, उन मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने के लिए तैयार हूं, जो एक बार फिर तालिबान का सामना करने के लिए तैयार हैं।' 1990 का गृह युद्ध हो या इससे एक दशक पहले सोवियत का प्रभाव, अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए मशहूर पंजशीर आज भी अजेय है।' सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरें बताती हैं कि उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और मसूद के बीच मुलाकात हुई थी। ऐसे लग रहा है कि दोनों मिलकर तालिबान के खिलाफ गुरिल्ला अभियान की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें और हथियार, अधिक गोला-बारूद और अधिक आपूर्ति की जरूरत है।' मसूद का कहना है कि तालिबान का खतरा सीमा पार भी है।
उन्होंने कहा, 'तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान बगैर किसी शक के कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बनता जाएगा। यहां लोकतांत्रिक देशों के खिलाफ साजिश रची जाएगी।' उन्होंने कहा कि उनके लड़ाके आने वाले टकराव के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें अमेरिकी सहायता चाहिए। मुल्क पर कब्जा करने के बाद तालिबान के लड़ाकों की कई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें उनके पास अफगान बलों से जब्त किए गए हथियार, उपकरण नजर आ रहे हैं। इनमें से अफगानिस्तान को ज्यादातर की आपूर्ति अमेरिका की तरफ से की गई थी।