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पहली बार ब्लू अमोनिया सऊदी अरब से जापान भेजा जा रहा है

ब्लू अमोनिया वो पदार्थ है, जिससे बिना प्रदूषण के ही बिजली बनाई जा सकती है। इस तरह से पर्यावरण के लिए काफी सचेत जापान दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जो बड़े स्तर पर अमोनिया को कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए काम में लाएगा।

पहली बार ब्लू अमोनिया सऊदी अरब से जापान भेजा जा रहा है
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नई दिल्ली। दुनिया में पहली बार ब्लू अमोनिया का सऊदी अरब से जापान भेजा जा रहा है, जहां इसका इस्तेमाल बिजली घरों में बिजली पैदा करने के लिए होगा।

ब्लू अमोनिया वो पदार्थ है, जिससे बिना प्रदूषण के ही बिजली बनाई जा सकती है। इस तरह से पर्यावरण के लिए काफी सचेत जापान दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जो बड़े स्तर पर अमोनिया को कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए काम में लाएगा। जापान ने साल 2030 तक अपना ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 26 प्रतिशत तक कम करने का एलान किया था। इसी दिशा में वो कई कदम ले रहा है। इन्हीं में से एक है ब्लू अमोनिया के इस्तेमाल की पहल। इस बारे में 27 सितंबर को सऊदी अरामको (।त्।डब्व्) ने आधिकारिक घोषणा की। अरामको सऊदी की तेल कंपनी है, जो दुनिया की सबसे ज्यादा रिवेन्यू वाली कंपनियों में से है। अरामको के मुताबिक जापान पहले शिपमेंट में 40 टन ब्लू अमोनिया लेने जा रहा है। ये अमोनिया थर्मल पावर स्टेशन में काम में लाया जाएगा, जिससे बिजली बनेगी और कार्बन का उत्सर्जन कम से कम होगा।

ब्लू अमोनिया जीवाश्म से बने ईंधन का एक नया रूप माना जा सकता है। इसमें 18ः हाइड्रोजन होती है, जो कि ईंधन का अच्छा स्त्रोत हो सकता है, वो भी न्यूनतम प्रदूषण के साथ। अब ये जानते हैं कि अमोनिया बनाते कैसे हैं। इसके लिए हाइड्रोकार्बन को हाइड्रोजन और अमोनिया में बदला जाता है। ये सीधे पावर स्टेशन में काम आते हैं। ब्लू अमोनिया को जलाए जाने पर उससे कार्बन डाइआॅक्साइड नहीं निकलती है। इस तरह से इसे दुनिया की पहली कार्बन-मुक्त गैस माना जा रहा है, जो ईंधन बनाने के काम आ सकती है। फिलहाल ब्लू अमोनिया पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज में बाईप्रोडक्ट की तरह बन रहा है। यही कारण है कि सऊदी की तेल कंपनी इस नए ईंधन स्रोत के निर्माण में अग्रणी कंपनी है। हालांकि ब्लू अमोनिया को ग्रीन अमोनिया की तरफ पहला कदम माना जा रहा है। अब सवाल ये आता है कि ये ग्रीन अमोनिया क्या बला है और इससे हमें क्या फायदा है। ये भी ब्लू अमोनिया की ही तरह है। फर्क केवल इतना है कि ग्रीन अमोनिया ईंधन के उन स्रोतों से बनाया जा सकेगा, जो प्रदूषण नहीं करते हैं यानी जो ग्रीन फ्यूल हैं। वहीं अभी बन रहा ब्लू अमोनिया प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन स्त्रोतों का बाईप्रोडक्ट है। हालांकि फिलहाल तो ब्लू अमोनिया को ही प्रदूषण कम करने की दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है।

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