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सीरिया में इस्राइली कब्जे को लेकर यूएन में वोटिंग, जानें भारत ने किस तरफ किया मतदान

सीरिया में इस्राइली कब्जे को लेकर यूएन में वोटिंग, जानें भारत ने किस तरफ किया मतदान
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भारत के अलावा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वालों में बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे। इस्राइल और हमास के बीच एक महीने से अधिक समय से संघर्ष जारी है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनजीए) में सीरियाई गोलन से इस्राइल के वापस नहीं हटने को लेकर गहरी चिंता जताना वाला एक अहम प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में भारत समेत 91 देशों ने अपना वोट दिया। बता दें, सीरियाई गोलन दक्षिण पश्चिम सीरिया में एक क्षेत्र है, जिस पर 1967 में इस्राइली सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया था।

आठ ने किया विरोध

पश्चिम एशिया में स्थिति विषय पर आधारित एजेंडा के तहत ‘सीरियाई गोलन’ नामक प्रस्ताव पर मंगलवार को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान हुआ। मिस्र ने प्रस्ताव पेश किया, जिसके पक्ष में 91 वोट पड़े और आठ ने इसका विरोध जताया, जबकि 62 सदस्यों ने इससे दूरी बनाई।

इन लोगों ने किया समर्थन

भारत के अलावा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वालों में बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इस्राइल, ब्रिटेन और अमेरिका ने मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

प्रस्ताव में इस बात पर चिंता

प्रस्ताव में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों के विपरीत इस्राइल सीरियाई गोलन से पीछे नहीं हटा है, जो 1967 से उसके कब्जे में है। प्रस्ताव में घोषित किया गया कि इस्राइल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 ;1981द्ध का पालन करने में विफल रहा है। साथ ही इसमें कहा गया कि कब्जे वाले सीरियाई गोलन हाइट्स में अपने कानून, अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को लागू करने का इस्राइल का निर्णय अमान्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रभाव के बिना है। मंगलवार के प्रस्ताव में 14 दिसंबर, 1981 के इस्राइली फैसले को भी अमान्य घोषित कर दिया गया और कहा गया कि इसकी कोई वैधता नहीं है। इसने इस्राइल से अपना निर्णय रद्द करने का आह्वान किया। प्रस्ताव में 1967 से कब्जे वाले सीरियाई गोलन में इस्राइली बस्ती निर्माण और अन्य गतिविधियों की अवैधता पर भी जोर दिया गया।

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