टीबी उपचार में किया कमाल-मुजफ्फरनगर को पहला अवार्ड
गुरूवार को विज्ञान भवन में कांस्य पदक हासिल करेंगे जिला क्षय रोग अधिकारी डा. लोकेश, टीबी उपचार में पहली बार जिले को मिला अवार्ड, स्वास्थ्य विभाग में छाई खुशी
मुजफ्फरनगर। सरकारी विभागों में अक्सर ज्यादा काम करने वालों को यही सुनना पड़ता है कि ज्यादा काम करके सरकार कौन सा अवार्ड दे देगी, इसलिए ही सरकारी कामकाज को लेकर एक उदासीनता का माहौल देखने को अक्सर मिल जाता है, लेकिन क्षय रोग ;टीबीद्ध की उपचार व्यवस्था में जुटे जिला क्षय रोग अधिकारी डा. लोकेश गुप्ता ने इस मिथक को तोड़ने का काम किया है और उन्होंने ज्यादा काम करके अवार्ड हासिल कर दिखाया है। क्षय रोग के मामले में मुजफ्फरनगर का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमका और वह यूपी के उन 10 शहरों में शामिल हुआ है, जिनको बेहतकर काम, पारदर्शी व्यवस्था और क्षय रोग उन्मूलन में सफलता हासिल करने के लिए भारत सरकार ने इनाम की सौगात से नवाजने का काम किया है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2015-2021 तक निर्धारित सूचकांकों के आधार पर जिले में टीबी रोगियों के लिए किए गए कार्यों का एक गहन सर्वे कराया गया था। इसके लिए लखनऊ के डब्लूएचओ परामर्शदाता करीब 30 दिन तक जिले में डटे रहे और स्वास्थ्य विभाग के क्षय रोग को लेकर किये गये कामकाज को परखने का काम किया गया था। टीबी रोगियों को बेहतर इलाज देने के मामले में ललितपुर जिला अव्वल रहा है, लेकिन मुजफ्फरनगर का प्रदर्शन ीाी कमतर नहीं रहा। बीते पांच सालों में जिले में चलाए गए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट कार्य करने पर जिले को राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक दिया गया। प्रदेश में इस पुरस्कार के लिए 10 जिलों को चयनित किया गया था। लखनऊ के डब्लूएचओ परामर्शदाता की टीम ने जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भी सत्यापन करके मरीजों को दी गई सेवाओं और सुविधाओं की पड़ताल की। इसके साथ ही विभाग द्वारा दिए गए डाटा का एनआईआरटी चेन्नई के साइंटिस्ट डा. श्रीनिवासन द्वारा डाटा का सत्यापन किया गया। इसके साथ ही टीम ने टीबी के लिए चिह्नित शहरी इलाकों और गांवों में टीबी मरीजों की स्थिति जानी। सर्वे के दौरान केमिस्टों से टीबी की विक्रय की गई दवाओं की जानकारी भी की गई। इस सर्वे प्रक्रिया में प्रदेश के अन्य 10 जिलों को भी शामिल किया गया था। सर्वे के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में जिले में स्वास्थ्य विभाग के कामकाज को काफी बेहतर माना गया। जिसके बाद जिले को कांस्य सर्टिफिकेट अवार्ड टीबी मुक्त स्टेटस प्रदान किया गया है। मुजफ्फरनगर के साथ ही सात जिलों को कांस्य पदक मिला है। मुजफ्फरनगर के अलावा उन्नाव, बलरामपुर, चंदौली, गौंडा, महराजगंज, सोनभद्र जिले शामिल हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. लोकेश गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए निर्धारित सूचकांकों की जांच में जिले को बेहतर पाया गया है। उन्होंने बताया कि हमने इसमें कांस्य पदक के लिए ही आवेदन किया था, और इसके लिए निर्धारित मानकों पर हमारा जिला खरा साबित हुआ है। इस पर जनपद को कांस्य सर्टिफिकेट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। अब 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर दिल्ली में विज्ञान भवन में यह सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने बताया किजनपद में अब तक 1662 क्षयरोगी हैं। इन मरीजों को दवा देकर उपचार किया जा रहा है। इन सभी मरीजों को पांच सौ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। मरीजों की हालत में सुधार हो रहा है। इस अवार्ड के लिए सर्वे में मरीजों को पोर्टल पर पंजीकृत करना, साधारण दवा असर करने की जानकारी को यूडीएसपी जांच, प्रत्येक मरीज की एचआईवी व ब्लड शुगर जांच, प्रत्येक मरीज को पांच सौ रुपये का भुगतान, मरीज के घर के छह वर्ष से छोटे बच्चों को सुरक्षा के लिए आईएनएच दवा देना और साधारण दवा का असर न होने पर एमडीआर मरीज को सात दिन में उपचार देना के मामलों को परखा गया है। डा. लोकेश ने 2017 सितम्बर में क्षय रोग विभाग का कामकाज संभाला था। उन्होंने कहा कि अवार्ड मिलने की खुशी है, यह टीम वर्क से संभाव हो पाया है। क्षय रोग उपचार-व्यवस्था मामले में जिले को यह पहला अवार्ड है। इससे काम करने का प्रोत्साहन मिलेगा।