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मुजफ्फरनगर के युवक ने हल्द्वानी से कराया दो नाबालिग लड़कियों का अपहरण

पांच दिन बाद 500 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद आरोपी मन्सूरपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार, दोनों किशोरी सकुशल बरामद, दूसरे समुदाय से होने के कारण नाबालिग छात्राओं के अपहरण से दिल्ली तक मची हलचल, गृह मंत्रालय से होती रही पुलिस कार्यवाही की मॉनीटरिंग

मुजफ्फरनगर के युवक ने हल्द्वानी से कराया दो नाबालिग लड़कियों का अपहरण
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मुजफ्फरनगर। दो किशोरियों के अपहरण का एक सनसनीखेज मामला मुजफ्फरनगर से जुड़ा है। यहां के निवासी एक युवक ने उत्तराखंड से अपने एक नाबालिग दोस्त और उसके परिजनों के सहारे दो किशोरियों का अपहरण करा लिया। दोनों किशोरियों को मुंबई ले जाकर शादी करने की योजना था, लेकिन उत्तराखंड पुलिस के अथक प्रयासों के कारण शातिर अपनी चाल में कामयाब नहीं हो पाये। पुलिस ने तीन राज्यों के आठ शहरों तक 500 किलोमीटर सफर करने वाले इन शातिरों का पीछा अंत तक नहीं छोड़ा और पांचवें दिन मंसूरपुर रेलवे स्टेशन से दोनों किशोरियों को सकुशल बरामद करने के साथ ही नाबालिग और उसके दोस्त को भी दबोच लिया। इसके साथ ही इनके मददगार किशोर के बहनाई, मामा और बहन को भी गिरफ्तार किया गया। इस पूरे अपहरणकांड का मास्टरमाइंड किशोर का मामा निकला, जबकि नाबालिग का दोस्त एक किशोरी का प्रेमी था, जिससे वो शादी करना चाहता था। दोनों लड़कियां दूसरे समुदाय की होने के कारण ये अपहरण कांड ऐसा रहा, जिसने दिल्ली को भी हिलाकर रख दिया और गृह मंत्रालय पुलिस कार्यवाही की हर पल की मॉनीटरिंग करता रहा। यही कारण रहा कि उत्तराखंड पुलिस हल्द्वानी से यूपी और दिल्ली तक दौड़ती रही और जब पुलिस ने केस खोला तो टीम पर इनामों की पूरी बरसात होने लगी।

उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी के बनभूलपुरा से लापता दो नाबालिग छात्राओं को उत्तराखंड पुलिस ने मुजफ्फरनगर जनपद के मंसूरपुर रेलवे स्टेशन से बरामद कर लिया। पुलिस ने उनके साथ दूसरे समुदाय के उस किशोर को भी पकड़ा, जो अपने दोस्त के कहने पर उनको बहला फुसलाकर लेकर फरार हुआ था। इसके साथ ही इनसे पूछताछ में कुछ मददगारों के नाम सामने आने पर पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पता चला है कि दोनों छात्राएं किशोर और एक अन्य लड़के के साथ मुंबई भागने की फिराक में थीं। इनका इन दोनों लड़कों के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। बनभूलपुरा थाना क्षेत्र की 9वीं और 11वीं में पढ़ने वाली दोनों छात्राएं एक ही घर में रहती थीं और इनमें से एक छात्रा किराएदार थी। 16 साल का नाबालिग लड़का भी इन दोनों के घर के पास ही रहता था। 20 जून की शाम को करीब सात बजे वह इन दोनों छात्राओं को अपने साथ ले गया।

तीन साल पहले शुरू हुआ था प्रेम, मुंबई थी मंजिल

अपहरण की ये कहानी पूरी तरह से फिल्मी है। जो करीब तीन साल पहले एक नैन मटक्का वाले प्रेम प्रसंग से शुरू होती है। दरअसल, जनपद मुजफ्फरनगर के थाना सिखेडा के गांव बिहारी के रहने वाले अमीर हसन का पुत्र आमिल राज मिस्त्री है और वो टाइल्स एवं पत्थर लगाने का कार्य करता है। करीब तीन साल पहले वो हल्द्वानी के राजपुरा क्षेत्र में रहकर कार्य कर रहा था। इसी बीच आमिल की वहां किराये पर रह रहे परिवार की नाबालिग लड़की के साथ दोस्ती हो गई। दोनों साथ घूमने फिरने लगे। आमिल को लड़की बहुत पसंद थी और वो उससे शादी करना चाहता था। आमिल की दोस्ती वहीं पर रहने वाले नाबालिग लड़के के साथ भी हो गई थी। वो किशोर भी आमिल की प्रेमिका के मकान मालिक की नाबालिग लड़की से दोस्ती रखता था और शादी करना चाहता था। इसके बाद ही आमिल ने एक ऐसी कहानी रची जिसने उत्तराखंड पुलिस को तीन राज्यों तक दौड़ लगाने को विवश कर दिया। आमिल ने लड़कियों को भगाने का प्लान बनाया और नाबालिग दोस्त के सहारे दोनों किशोरियों को 20 जून की शाम वहां से फरार करा लिया। आमिल के साथ इस मामले में नाबालिग लड़के का मामा मास्टरमाइंड निकला। वो अपने भांजे को शादी करने, उसे घर से भगाने की राय दे रहा था। बनभूलपुरा निवासी अब्दुल शमी उर्फ भोला अपने भांजे को दूसरे समुदाय की लड़की से शादी करने की राय दे रहा था।

मास्टरमाइंड मामा दो साल पहले कर चुका है लव मैरिज

अब्दुल समी वर्ष 2022 में दूसरे समुदाय की लड़की से शादी कर चुका है। इस मामले में बनभूलपुरा पुलिस ने इसे पकड़ा था। उस समय जिस लड़की से अब्दुल समी ने शादी की थी, वह नाबालिग थी। इस कारण पुलिस ने लड़की को नारी निकेतन भेज दिया था। बाद में जेल से छूटने और लड़की के बालिग होने पर अब्दुल समी ने उससे शादी कर ली। इस मामले में अभ्यस्त होने के कारण वो पुलिस को चकमा देने में अपने भांजे की पूरी मदद करता रहा। तीनों नाबालिग और आमिल मुबंई भागना चाहते थे। मुंबई भागने के बाद ये वहीं शादी करना चाहते थे। आमिल ने तीनों से दिल्ली रेलवे स्टेशन में मिलने के लिए कहा था। दिल्ली से मुबंई के लिए ट्रेन पकड़ने का प्लान तय था। हल्द्वानी से किशोर दोनों छात्राओं को लेकर बदायंू पहुंचा, जो करीब 150 किलोमीटर है, यहां पर पुलिस को इनके लोकेशन की खबर मिल चुकी थी, लेकिन जब तक पुलिस पहुंचती वो यहां से निकल गये थे। बदांयू के मृदाटोला में नाबालिग की बहन निशा उर्फ नूरीन पत्नी उजैर उर्फ आसिफ के साथ रहती है, पुलिस वहां पहुंची तो तीना नााबलिग बदायूं से दिल्ली के लिए निकल चुके थे। निशा पुलिस को चकमा देती रही और खबर मिलने पर मामा शमी ने उनको सतर्क कर दिया था। दिल्ली से नाबालिक लड़का दोनों छात्राओं को लेकर मंसूरपुर पुलिस स्टेशन पहुंचा, इससे पहले यहां पर उत्तराखंड पुलिस पहुंच चुकी थी।

पांच दिन, तीन राज्य, आठ शहर और 500 किलोमीटर का सफर

पांच दिन तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में करीब आठ शहरों की खाक छानने के बाद हल्द्वानी पुलिस और एसओजी की टीम ने दोनों छात्राओं को सकुशल बरामद कर लिया। छात्राओं ने पुलिस को बताया कि वो अपने परिजनों की पिटाई से दुखी होकर ही घर से भागी थी। उसने पुलिस ने उसको घर वापस नहीं भेजने की गुहार भी की। वहीं पुलिस ने इस मामले में नाबालिग लड़कों को बाल गृह भेज दिया तो छात्राओं को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के साथ ही सारे मामले में मददगार रहे आरोपियों आमिल पुत्र अमीर हसन निवासी ग्राम बिहारी थाना सिखेड़ा जिला मुजफ्फरनगर, निशा उर्फ नूरीन पत्नी उजैर उर्फ आसिफ निवासी मृदाटोला थाना सहसवान बदायूं, उजैर उर्फ आसिफ पुत्र हफीज अहमद निवासी मृदाटोला और अब्दुल शमी उर्फ भोला पुत्र अब्दुल रशीद निवासी लाइन नंबर 17 राजपुरा, थाना बनभूलपुरा को जेल भेज दिया है। छात्राएं दूसरे समुदाय की होने के कारण गृह मंत्रालय ने पूरी कार्यवाही की मॉनीटरिंग की। खुलासे के बाद पुलिस टीम पर इनाम की बौछार होने लगी। उत्तराखंड के डीजीपी ने टीम को 20,000, डीआईजी ने 5,000 और एसएसपी ने 2,500 रुपये इनाम की घोषणा की। इस खुलासे में बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी, एसओजी प्रभारी संजीत राठौर, भीमताल थानाध्यक्ष जगदीप नेगी, मंगलपड़ाव चौकी प्रभारी दिनेश जोशी ने खूब सूझबूझ से काम लिया और सीसीटीवी कैमरों तथा सर्विलांस की मदद से टीम छात्राओं को बरामद करने में सफल रही। यदि पुलिस टीम मंसूरपुर स्टेशन पर भी चूक जाती तो छात्राओं तक पहंुचना मुश्किल हो जाता।

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