प्रशांत किशोर बने सीएम पंजाब के चीफ एडवाइजर, जानिए कितना मिलेगा वेतन...
भारत में चुनावी चाणक्य होने का रूतबा हासिल करने वाले युवा प्रशांत किशोर को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना प्रधान सलाहकार बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है।
चंडीगढ़। संयुक्त राष्ट्री की नौकरी को छोड़कर अपने मैनेजमेंट स्किल की कला के कारण करीब 10 साल पहले शाइनिंग गुजरात के लिए नरेन्द्र मोदी की टीम में जुड़े प्रशांत कुमार को आज देश में चुनावी चाणक्य के रूप में जाना जाता है। 2014 में भाजपा के प्रचंड बहुमत के लिए मैनेजमेंट संभालकर चर्चाओं में आये प्रशांत ने मोदी मैजिक के सामने बिहार में लालू और नीतिश की सरकार बनाने की राह को आसान किया तो भाजपा के बढ़ते कांग्रेस मुक्त अभियान के प्रभाव के बीच ही पंजाब में वह कांग्रेस को बहुमत दिलाने में सफल रहे। बिहार में भाजपा के खिलाफ सत्ता दिलाने में मुख्य भूमिका में रहे प्रशांत जदयू के सहारे सियासत में आये, लेकिन वहां से किनारा हुआ तो अब उनकी सियासी कश्ती पंजाब में कैप्टन अमरिंदर की सियासी बगिया तक पहुंची है। प्रशांत अब सीएम पंजाब के चीफ एडवाइजर चुने गये हैं।
देश में एक मुख्य चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर अब पंजाब के मुख्यमंत्री को सलाह देने का काम करेंगे। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी जानकारी ट्वीट कर साझा की है। कैप्टन अमरिंदर ने ट्वीट किया है कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रशांत किशोर प्रधान सलाहकार के रूप में मेरे साथ जुड़ गए हैं। पंजाब के लोगों की भलाई के लिए हम एक साथ काम करने के लिए तत्पर हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक प्रशांत किशोर का वेतन एक रुपया प्रतिमाह होगा।
Happy to share that @PrashantKishor has joined me as my Principal Advisor. Look forward to working together for the betterment of the people of Punjab!
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) March 1, 2021
इससे पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कई बार प्रशांत किशोर की राजनीतिक सूझबूझ और इलेक्शन मैनेजमेंट की प्रशंसा सार्वजनिक मंचों पर भी कर चुके हैं। कांग्रेस ने 2017 में किशोर को पांच राज्यों की चुनाव प्रचार रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी। इसमें पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां पार्टी बहुमत प्राप्त करने में सफल हुई। जबकि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद पार्टी ने प्रशांत किशोर के कामकाज की सराहना की थी।
34 साल की उम्र में अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर किशोर 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े थे, जिससे राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू हो गया। चुनाव में नेता का ऐसा प्रचार शायद ही किसी दौर में देखा गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रशांत किशोर की बनाई नीति अपनाकर ही सत्ता हासिल की थी। इसके बाद प्रशांत ने बिहार में जनता दल यूनाइटेड को अपनी सेवाएं दीं। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और कांग्रेस को मिलाकर सरकार की राह बनाई। बदले में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए। फिर जदयू में खटपट बढ़ी तो प्रशांत ने नीतीश से अपनी राह अलग कर ली थी।