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गोल्ड की खातिर पहलवान दिव्या ने टाल दी अपनी शादी

मुजफ्फरनगर के ग्रामीण परिवेश से निकलकर आज संघर्ष के सहारे विश्व के खेल पटल पर चमक बिखेर रही पहलवान दिव्या काकरान ने शादी से पहले गोल्ड को बनाया अपना लक्ष्य। मंगेतर ने भी दिव्या के फैसले को सराहा। दिव्या कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार दो बार कांस्य पदक जीत चुकी है।

गोल्ड की खातिर पहलवान दिव्या ने टाल दी अपनी शादी
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मुजफ्फरनगर। आमिर खान की फिल्म 'दंगल' को अपनी कहानी बताने वाली दिव्या का सपना सलमान खान अभीनीत फिल्म 'सुल्तान' की आरिफा की तरह ही है। उस फिल्म में आरिफा का केवल एक ही मसकद रहा कि वह देश की खातिर ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतकर लाये। इसके लिए आरिफा ने प्रेम और शादी को अपने जीवन में जगह नहीं देने का फैसला लिया, आरिफा की तरह ही पहलवान दिव्या काकरान ने भी देश के लिए गोल्ड को सबसे ऊपर रखा है और इसके लिए उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतने के बाद भी अपनी शादी को फिलहाल टाल दिया है।


जनपद के ग्रामीण परिवेश और मिट्टी में पली बढ़ी दिव्या काकरान आज अपने पिता के संघर्ष के सहारे सफलता के फलक पर पहुंचकर चमक रही है। दिव्या की इस चमक ने देश को भी विश्व में रोशन किया है। हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स-2022 में दिव्या से गोल्ड की उम्मीद थी, लेकिन वह कांस्य जीतने में सफल रही। यह उनका इस गेम्स में लगातार दूसरा कांस्य पदक रहा। इस पदक की जीत की खुशी को दिव्या काकरान अपने देशवासियों और परिवार के साथ मना रही है, लेकिन इसके साथ ही दिव्या ने देश के लिए गोल्ड लाने का सपना भी संजो रखा है। इस सपने को पूरा करने के लिए दिव्या ने एक बेहद गंभीर फैसला लिया है। दिव्या ने अपनी शादी को अपनी तैयारी पर हावी नहीं होने देने का निर्णय करते हुए विवाह को दो साल टाल दिया है। दिव्या के इस जज्बे को उनके मंगेतर सचिन प्रताप सिंह ने भी सराहा और परिजनों का साथ भी उनको मिला है।


कामनवेल्थ गेम्स में लगातार दो बार कुश्ती में देश के लिए कांस्य पदक जीतने वाली जनपद मुजफ्फरनगर के गांव पुरबालियान निवासी सूरज कुमार सिंह की पुत्री और जनपद की दंगल गर्ल दिव्या काकरान की दिली ख्वाहिश देश की खातिर गोल्ड मेडल जीतना है। उनके पिता भी दिव्या को इसके लिए प्रेरित करते रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में दिव्या का चयन होने के बाद से उसकी कुश्ती की रात तक पूरा परिवार दिव्या के गोल्ड जीतने के लिए प्रार्थना करता रहा। दिव्या अच्छा खेली, लेकिन गोल्ड से चूक गई, पर इसके बावजूद भी उसका प्रदर्शन अविस्मरणीय रहा।


दिव्या देश के लिए लगातार दूसरा कांस्य पदक लेकर आई तो देश ने बाहें फैलाकर उसका स्वागत किया। मंगेतर सचिन प्रताप सिंह के गंाव से मायके के आंगन तक लोगों ने दिव्या को पलकों पर बैठाया और इस पहलवान को हर स्तर पर सराहना मिली, लेकिन शायद दिव्या के लिए यह खुशी और सफलता कुछ अधूरी सी ही है। दिव्या ने देश की खातिर गोल्ड लाने का जो सपना संजोया है, उसको लेकर वह गंभीर हो चुकी हैं। इसी सपने को साकार करने के लिए इसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं, जिसके लिए उन्होंने शादी के बंधन में बंधने का फैसला 2024 तक के लिए टाल दिया है। मंगेतर भी दिव्या के इस फैसले में उसके साथ हैं।


पुरबालियान गांव की बेटी दिव्या काकरान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम ऊंचा किया है। दिव्या के पिता सूरज पहलवान ने बताया कि जनवरी 2022 में दिव्या का रिश्ता तय किया गया था। इसके बाद 10 अपै्रल को मेरठ रोड स्थित होटल में दिव्या की सगाई नेशनल बॉडी बिल्डर खिलाड़ी सचिन प्रताप सिंह के साथ हुई। सचिन मूल रूप से शामली के जाफरपुर गांव का रहने वाला है और इन दिनों परिवार के साथ मेरठ में रहता है। इसके बाद से ही दिव्या की शादी की अटकलें लगनी लगी थी। माना जा रहा था कि दिव्या की शादी जल्द होगी। इसी बीच कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों का दौर शुरू हुआ और कामनवेल्थ गेम्स से कांस्य पदक जीतकर लौटीं दिव्या काकरान ने अब अपनी शादी को टालने का ऐलान कर दिया है।


शहर के मौहल्ला इंदिरा कालोनी में मीडिया कर्मियों से बातचीत में दिव्या ने कहा कि मैं कामनवेल्थ गेम्स में लगातार दो बार कांस्य पदक जीतने वाली उत्तर प्रदेश की पहली महिला खिलाड़ी भले ही हूं, लेकिन गोल्ड मेडल जीतने की प्रबल इच्छा और अधिक हो गयी है। दिव्या ने बताया कि अब वर्ष 2023 में होने वाले एशियन गेम्स व 2024 में ओलंपिक खेलों पर ही उनका फोकस है। इसलिए ओलपिंक के बाद ही वह शादी करेंगी। दिव्या ने बताया कि उनकी सगाई हो चुकी है। मेरठ के सचिन उनके मंगेतर हैं। इस फैसले में मंगेतर सचिन भी उनके साथ हैं। दिव्या ने बताया कि वह आमिर खान की 'दंगल' फिल्म से प्रेरित हैं। फिल्म की कहानी उनको पूरी तरह से अपनी ही कहानी लगती है, क्योंकि महावीर सिंह फोगाट की भांति ही उनके पिता जी ने भी उनको पहलवान बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया। लड़की होने के कारण मेरे दादा-दादी भी नहीं चाहते थे कि मैं पहलवान बनूं। दिव्या ने कहा कि तमाम संघर्ष के बावजूद वह इस मुकाम पर पहुंची हैं। मुझे यकीन है कि एक दिन उनके इस संघर्ष और सफलता भरे जीवन पर भी कोई बायोपिक जरूर बनायेगा।

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