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भ्रष्टाचार में फंसा योगीराज का 'सिंघम', इन दो आईपीएस पर आरोप साबित

इन अफसरों में 2011 बैच के आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा और 2010 बैच के आईपीएस हिमांशु कुमार हैं। पुलिस सर्विस की युवास्था में ही इन अफसरों की छाती पर ‘भ्रष्टाचार’ का तमगा टंगा नजर आ रहा है।

भ्रष्टाचार में फंसा योगीराज का सिंघम, इन दो आईपीएस पर आरोप साबित
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लखनऊ। योगीराज में राम राज्य की स्थापना के लिए कानून का राज स्थापित करने के लिए पुलिस को हैंड फ्री करने के साइड इफेक्ट सामने आये तो मुख्यमंत्री को अपने राज के स्पेशलिस्ट अफसरों को ही ताश के पत्तों की तहर फेंटकर कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास करना पड़ रहा है। अपनी सरकार के आखिरी सफर पर चल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शुरूआती कार्यकाल में खाकी के जिस जौहर के साथ परिणाम दिये, वहीं खाकी आज 'दागदार' साबित हो रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे योगीराज के दो चर्चित आईपीएस की विजीलेंस जांच पूरी हो चुकी है। इसमें इन युवा आईपीएस के दामन पाक नहीं मिले हैं। रिपोर्ट में इनके खिलाफ सरकार को कार्यवाही की संस्तुति की गयी है। इन अफसरों में 2011 बैच के आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा और 2010 बैच के आईपीएस हिमांशु कुमार हैं। पुलिस सर्विस की युवास्था में ही इन अफसरों की छाती पर 'भ्रष्टाचार' का तमगा टंगा नजर आ रहा है।


उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (यूपी विजीलेंस) के डायरेक्टर ने आईपीएस डाॅ. अजयपाल शर्मा और आईपीएस हिमांशु कुमार के खिलाफ चल रही जांच को पूरा करने के साथ ही रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस जांच में विजीलेंस के अफसरों ने इन दोनों आईपीएस के खिलाफ लगाये गये गंभीर आरोपों को लेकर गहनता और निष्पक्षता से जांच की और इस जांच में जो भी तथ्य सामने आये हैं, उनको लेकर शासन को अवगत करा दिया गया है। यह रिपोर्ट बेहद गोपनीय होने के कारण इसकी जांच में सामने आये तथ्यों को लेकर कोई भी अफसर बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों के अनुसार डायरेक्टर विजीलेंस की निगरानी में हुई जांच के बाद तैयार इस रिपोर्ट में इन दोनों युवा आईपीएस अफसरों पर लगाये गये आरोपों में कई गंभीर आरोप सही पाये गये हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए विजीलेंस के डायरेक्टर की ओर से नियमों के अनुसार इन दोनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ आनुशानात्मक कार्यवाही करने की संस्तुति की गयी है।

नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने आईपीएस डा. अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ अपराधियों, माफियाओं संग साठगांठ करने, भ्रष्टाचार कर अवैध रूप से धन अर्जित करने सहित अनेक गंभीर आरोप लगाकर संनसनी फैला दी थी। पुलिस विभाग के बड़े अफसरों के नाम ही ट्रांसफर-पोस्टिंग में सामने आने के कारण हो रही किरकिरी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिये और शासन ने डायरेक्टर विजीलेंस की निगरानी में दोनों अफसरों पर लगे आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन करा दिया था।

दिसम्बर 2019 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी थी। इसमें भी दोनों आईपीएस के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति की गयी थी। इसके बाद शासन ने इस मामले की जांच का जिम्मा विजीलेंस के डायरेक्टर को सौंप दिया था। सूत्रों के अनुसार आईपीएस अजय पाल शर्मा के खिलाफ विजीलेंस को आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के पुख्ता सुबूत मिले हैं। उत्तराखंड के एक बड़े चिकित्सा संस्थान में अजय पाल शर्मा के निवेश भी जानकारी मिली है। अजय पाल ने चंडीगढ़ समेत तमाम शहरों में बनाई गई संपत्ति अपने करीबियों के नाम दर्ज कराई है। विजिलेंस को हिमांशु कुमार और अजय पाल के खिलाफ ट्रांसफर पोस्टिंग में लेन-देन के सुबूत मिले हैं।

आंखों का तारा रातोरांत बन गया आंख की किरकिरी!

2011 बैच के आईपीएस अफसर अजय पाल शर्मा सिविल सर्विस में आने से पहले डेंटल सर्जन थे। मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के निवासी अजय पाल शर्मा ने सिविल सर्विस बे्रक की तो उनके छोटे भाई अमित पाल शर्मा ने भी इसे लक्ष्य बनाया और सिविल सर्विस पास कर आईएएस बन गये, वर्तमान में अमित पाल शामली जनपद में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं। अजय पाल शर्मा सपा शासन के दौरान शामली के एसपी बने और सत्ता परिवर्तन के बाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में अपराध उन्मूलन के लिए 'गोली मारोगे-गोली खाओगे' का फार्मूला लागू करते हुए पुलिस को फ्री हैंड किया तो अपने स्टाइल के लिए ब्यूरोक्रेसी में पहचान रखने वाले आईपीएस अजय पाल शर्मा ने शामली से ही एनकाउंटर की शुरूआत की।


इसके बाद उन्होंने शामली से नोएडा और रामपुर तक ताबडतोड़ एनकाउंटर किये। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आईपीएस अजय पाल को 'दबंग', 'सिंघम' और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाने लगा। रातों रात ही अजय पाल शर्मा भाजपा सरकार की आंखों का तारा बन गये। उनको खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शौर्य पुरस्कार प्रदान किया और शामली में उनकी सफलता का ईनाम नोएडा जैसे अति महत्वपूर्ण जिले की कप्तानी के रूप में मिला। यह पहला अवसर था जबकि इतने जूनियर आईपीएस को नोएडा जिले का एसएसपी बनाया गया।


यहां पर उन्होंने अनेक एनकाउंटर किये, इनमें सबसे बड़ा एनकाउंटर ढाई लाख रुपये के इनामी बलराज भाटी का था। रामपुर गये तो सपा नेता और सांसद आजम खां के खिलाफ चल रहे अभियान में उन्होंने पूरा दबंग अंदाज दिखाया, यहां से उनका सफर आगे बढ़ पाता, इसी बीच आईपीएस वैभव कृष्ण की एक रिपोर्ट ने यूपी पुलिस के इस 'सिंघम' को भ्रष्टाचार के कठघरे में ला खड़ा किया। 15 अगस्त 2017 को ताबडतोड़ एनकाउंटर के कारण यूपी डीजीपी से सिल्वर मेडल पाने वाले अजय पाल शर्मा को मुख्यमंत्री की गहरी नाराजगी झेलनी पड़ी।

आज वह भ्रष्टाचार का तमगा लेकर उसी शासन की आंखों की किरकिरी बन गये, जिसमें वे चमक रहे थे। 9 जनवरी 2020 को रामपुर से हटाकर अजय पाल को पीटीएस उन्नाव में एसपी बना दिया गया, तो वहीं इसी दिन बिहार के ईस्ट चम्पारण जिले के निवासी आईपीएस हिमांशु कुमार को इटावा में पीएसी की 28वीं बटालियन में कमांडेंट बनाकर साइड कर दिया गया।

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