मुज़फ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को लेकर जारी नई अधिसूचना से लाखों शिक्षकों में असंतोष फैल गया है। सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (शिक्षक प्रकोष्ठ) के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवा से बाहर करने का आदेश रद्द किया जाए और उन्हें स्थाई नियुक्ति का लाभ दिया जाए।
शिक्षक प्रकोष्ठ के कार्यकारी अध्यक्ष अमित तोमर और जिलाध्यक्ष रामरतन बालियान ने बताया कि 1 सितंबर 2025 को जारी अधिसूचना संख्या 1385/2025 के तहत कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया है। इस निर्णय से लगभग 15 लाख शिक्षक प्रभावित होंगे, जिससे उनके रोजगार और परिवारों का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि यह फैसला राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCTE) की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन के विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखा जाएगा। उनका कहना है कि मौजूदा आदेश संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
ज्ञापन में शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और चेतावनी दी कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो प्रदेशभर में व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस ज्ञापन में जिले के विभिन्न शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने भाग लिया, जिनमें मनीष गोयल, मोहित बालियान, विवेक कुमार, कैलाश चंद, अमित कुमार धीमान, धर्मेंद्र मलिक समेत सैकड़ों अध्यापक-अध्यापिकाएं मौजूद रहीं।