30 लाख का जुर्माना-गंभीर नहीं पालिका अफसर
प्रभारी जलकल अभियंता ने पैरवी करने के बजाये ईओ को भेजा बेरूखा जवाब, आदेश के बाद लापरवाही बरतने पर ईओ ने जताई कड़ी नाराजगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने काली नदी को प्रदूषित करने पर छह नालों के लिए लगाया था पालिका पर 30 लाख रुपये का जुर्माना। 15 दिन में क्षतिपूर्ति रकम जमा करने के थे निर्देश।

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में अफसर वित्तीय हितों को लेकर भी संवेदनशील और जिम्मेदार कार्यप्रणाली के बजाये लापरवाह बने नजर आते हैं। पालिका के निष्प्रयोज्य सामान की नीलामी के लिए जहां सहायक अभियंता निर्माण ने बोर्ड प्रस्ताव के तीन माह बाद भी काम नहीं किया, वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाये गये 30 लाख रुपये के जुर्माना प्रकरण में प्रभारी जलकल अभियंता ने अधिशासी अधिकारी को बड़ा बेरूखा जवाब भेजकर इस प्रकरण में पालिका की ओर से पैरवी करने के बजाये अपना पल्ला झाड़ लिया है। इससे नाराज अधिशासी अधिकारी ने प्रभारी जलकल अभियंता को शीघ्र कार्यवाही करने के आदेश के साथ ही कड़ी चेतावनी भी जारी की है।
बता दें कि काली नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जनपद में बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए जहां से काली नदी गुजर रही है, उन जिलों में इस अभियान की निगरानी प्रदूषण बोर्ड के द्वारा भी की जा रही है। मुजफ्फरनगर शहर से निकल रहे ड्रेन काली नदी को गंदा कर रहे है, यह बात उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में सामने आयी है। इसके लिए छह नालों से सीधे गंदा पानी काली नदी में छोड़े जाने को मुख्य कारण बताते हुए पर्यावरण अभियंता इमरान अहमद ने नगरपालिका परिषद् के अधिशासी अधिकारी को पिछले दिनों पत्र लिखकर बोर्ड द्वारा की गयी कार्यवाही की जानकारी दी, जिसमें शहर में न्याजुपुरा ड्रेन, शामली रोड ड्रेन, खादरवाला ड्रेन, कृष्णापुरी ड्रेन, सुजडू ड्रेन और नई बस्ती खालापार ड्रेन से सीधा गंदा पानी काली नदी में छोड़े जाने की बात कही गयी। एनजीटी के आदेश है कि नालों के गंदे पानी को एसटीपी प्लांट के माध्यम से साफ कर काली नदी में डाला जाये, लेकिन नगर पालिका ने एनजीटी के इन आदेशों का पालन नहीं किया है। नालों का गंदा पानी काली नदी में डाला जा रहा है। इसी को लेकर प्रत्येक ड्रेन पर 5 लाख रुपए प्रतिमाह पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में अर्थदंड लगाया गया। छह नालों पर 30 लाख रुपये जुर्माना लगा। पर्यावरण अभियंता ने अपने पत्र में बताया कि यह जुर्माना 1 जुलाई 2020 से देय होगा और पालिका प्रशासन को 15 दिन के अंदर उक्त धनराशि जमा कराने के निर्देश पालिका ईओ को दिये थे।
पालिका के वित्तीय हितों से जुड़े अर्थदण्ड अधिरोपित करने के इस गंभीर प्रकरण में ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी ने प्रभारी जलकल अभियंता शरद गुप्ता को आदेश जारी करते हुए तत्काल समुचित कार्यवाही करने के लिए कहा था। ईओ के आदेश होने पर प्रभारी जकल अभियंता को इस प्रकरण में जितनी गंभीरता से कार्यवाही की जानी चाहिए थे, उनके स्तर से भारी जुर्माने वाले इस प्रकरण में उतने ही लापरवाही बरती गयी। उन्होंने ईओ के आदेश पर जो जवाब उनको भेजा, वह बेहद बेरूखा है। प्रभारी जलकल अभियंता ने 30 लाख रुपये के जुर्माने के इस प्रकरण में 7 अक्टूबर 2020 को ईओ को भेजे जवाब मेें सहायक अभियंता निर्माण को समुचित कार्यवाही करने के निर्देश देने का सुझाव दे डाला। जबकि यह मामला सीधे उनके पद और विभाग से जुड़ा होने के कारण इसमें उनको ही कार्यवाही की जानी चाहिए थी, लेकिन वह लापरवाह बने रहे। इसको लेकर ईओ विनय त्रिपाठी ने प्रभारी जलकल अभियंता के आचरण को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उनको दोबारा आदेश जारी किया है। इसमें ईओ विनय त्रिपाठी ने कहा कि प्रभारी जलकल अभियंता ने जो जवाब भेजा है, वह उचित नहीं है। यह उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की श्रेणी में आता है, नालों पर लगाया गया जुर्माना प्रकरण उनके अनुभाग से ही संबंधित है और पूर्व में भी ऐसे मामलों में जलकल अभियंता के माध्यम से ही कार्यवाही की जाती रही है। ईओ ने स्पष्ट रूप से प्रभारी जलकल अभियंता को निर्देशित किया है कि वह इस प्रकरण में तत्काल समुचित कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह प्रकरण पालिका के वित्तीय हितों से जुड़ा हुआ है और इसमें अब कोई भी लापरवाही या शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
इससे स्पष्ट है कि पालिका के वित्तीय हितों को लेकर पालिका के ही अफसर कितने गंभीर है। पालिका की आय से जुड़े एक मामले में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को पालिका के सहायक अभियंता निर्माण को वेतन रोकने की चेतावनी जारी करनी पड़ी, तो वहीं पालिका की वित्तीय हानि बचाने के लिए कार्यवाही करने के प्रकरण में ईओ विनय त्रिपाठी को प्रभारी जलकल अभियंता के प्रति नाराजगी जतानी पड़ी।