प्रशासन से शिकायत के बाद पीस लाईब्रेरी का ध्वस्तीकरण रुका
पीस लाइब्रेरी पर मालिकाना हक जताने वाले नरेन्द्र त्यागी एडवोकेट और पीस लाइब्रेरी के सचिव सुशील कुमार ने जिला प्रशासन से शिकायत करते हुए पालिका प्रशासन पर कोर्ट में मामला लम्बित रहने के दौरान भवन तोड़ने के आरोप लगाये, इस पर एसडीएम सदर ने मौके पर पहुंचकर ध्वस्तीकरण का काम रुकवा दिया, लेकिन चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने कहा है कि उनके द्वारा जो कार्यवाही करायी गयी है, वह सही है, हमने कुछ भी गलत नहीं है।

मुजफ्फरनगर। नगर पालिका की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद पीस लाइब्रेरी के चल रहे ध्वस्तीकरण को मालिकाना हक दिखाकर इसके दावेदारों ने मौके पर पहुंचकर पुलिस प्रशासन की मदद से रुकवाया दिया। उन्होंने बताया कि यह जमीन केवल लीज पर दी गई थी। इसके ध्वस्त करने का नगर पालिका परिषद् को कोई अधिकार नहीं है। इसका मुकदमा 2018 से सिविल कोर्ट में चल रहा है। जिस पर आज पालिका प्रशासन की कार्यवाही को रुकवाया गया।
आज पीस लाइब्रेरी के सचिव सुशील कुमार और मालिकाना हक जताने वाले नरेन्द्र कुमार एडवोकेट ने जिलाधिकारी को शिकायत करते हुए बताया था कि पीस लाइब्रेरी पर पालिका का कोई अधिकार नहीं है। इसका मामला अदालत में चल रहा है और ऐसे में फैसला होने तक उसको तोड़ा नहीं जा सकता है। इस शिकायत के बाद एसडीएम सदर दीपक कुमार ने शिकायतकर्ता के साथ मौके पर पहुंचकर पालिका प्रशासन से पीस लाइब्रेरी के संबंध में दस्तावेज मांगे और तब तक ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को डीएम के निर्देश पर रुकवा दिया है, लेकिन तब तक पालिका प्रशासन की टीम पीस लाइब्रेरी के साथ पीछे स्थित क्वार्टरों को बिस्मार कर चुकी थी।
भले ही इस मामले में अदालत के स्टे पर पीस लाईब्ररी का अतीत अब बिस्मार हो चुका है। चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक निर्णय बोर्ड ने लिया। इस भवन को लेकर पूर्व सांसद धर्मवीर त्यागी के परिवार के लोगों का दावा है कि यह उनकी सम्पत्ति है। सूत्रों के अनुसार पूर्व सांसद के भतीजे नरेन्द्र त्यागी एडवोकेट द्वारा पीस लाइब्रेरी के प्रकरण को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर करते हुए मालिकाना हक मांगा गया है। नरेन्द्र त्यागी का कहना है कि 1937 में यह भवन कमिश्नर मेरठ द्वारा एक रुपये प्रतिवर्ष की लीज पर सौ साल के लिए उनके पूर्वजों को दिया गया था।
1956 में उनके परिवार की ओर से दो कमरे यहां बनवाये गये थे, जिनमें लाइब्रेरी चल रही थी। यह सम्पत्ति उनके पूर्वजों की है। आज जब नगरपालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने सभासदों के साथ मिलकर जेसीबी से पीस लाइब्रेरी का भवन बिस्मार कराया तो हड़कम्प मच गया। पीस लाइब्रेरी के सचिव सुशील कुमार और इस भूमि पर अपना मालिकाना हक जताने वाले नरेंद्र कुमार त्यागी एडवोकेट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन में चल रहे वाद को लेकर अदालत से स्टे हासिल किया और अदालत के आदेश पर पुलिस फोर्स को लेकर मौके पर पहुंचे। वहां पालिका अफसरों को स्टे दिखाया गया तो पीस लाइब्रेरी के ध्वस्तीकरण का कार्य रोक दिया गया है।