बीएएमएस को सर्जरी की मंजूरी से आईएमएस नाराज, 11 को हड़ताल
इमरजेंसी और कोविड-19 मामलों को छोड़कर जिले में काम नहीं करेंगे निजी चिकित्सक, आईएएम ने किया केन्द्र सरकार की नई खिचड़ी प(ति चिकित्सा प्रणाली का विरोध

मुजफ्फरनगर। केन्द्र सरकार द्वारा बीएएमएस चिकित्सकों को भी सर्जरी का अधिकार दिये जाने के फैसले के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ;आईएएमद्ध ने देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। इसमें केन्द्र सरकारी पर चिकित्सा के क्षेत्र में खिचड़ी प(ति को लागू कराने का आरोप लगाते हुए विरोध स्वरूप 11 दिसम्बर को निजी चिकित्सकों ने इमरजेंसी और कोविड-19 मामलों की सेवा को छोड़कर हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है।
आज सरकूलर रोड पर श्याम विहार स्थित आईएमए हाॅल में प्रेस वार्ता के दौरान आईएमए मुजफ्फरनगर चैप्टर के अध्यक्ष डा. एमएल गर्ग ने बताया कि केन्द्र सरकार ने बी.ए.एम.एस. आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एम.एस. सर्जरी की डिग्री देने अर्थात आपरेशन आदि की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसके अन्तर्गत नेत्र , कान , नाक , गला सीना आदि सहित 56 प्रकार के आपरेशन करने की अनुमति दी जायेगी। आयुर्वेद भारत की देन है और उसमें विभिन्न व्याधियों का आयुर्वेद द्वारा उपचार व केवल कुछ सीमित आपरेशन का विधान है। भारत सरकार ने माडर्न मेडिसिन जोकि वर्तमान में हर प्रकार की व्याधियों तथा सर्जरी एवं अनुसंधलों का प्रमाणिकता के साथ प्रयोग करती है का नाम समाप्त करके मिक्सौपेथी यानी खिचडी प(ति का प्रारम्भ करने का मन बनाया है, जिसमें कि प्रत्येक चिकित्सक को सब प(ति का अध्ययन करना होगा , जिसमें कि पूर्ण निपुणता प्राप्त करना सम्भव नही है और सभी का अस्तित्व महत्वहीन हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि आॅल इंडिया इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा केन्द्र सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में 8 दिसम्बर को जनपद में चिकित्सकों ने सरकार के चिकित्सा शिक्षा में खिचड़ी तंत्र के विरोध दो घंटे की सांकेतिक हडताल की थी। अब 11 दिसम्बर को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक आईएमए के आह्नान पर जनपद में सभी गैर आपात कालीन सुविधाएं और से बंद रखते हुए हड़ताल की जायेगी। हड़ताल के दौरान इमरजेंसी और कोविड-19 सेवा के लिए ही चिकित्सक उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा खिचड़ी तंत्र ;मिक्सी पैथीद्ध को लाकर एक प(ति के चिकित्सक को दूसरी प(ति के कार्य करने की अनुमति देना चिकित्सा के क्षेत्र में उसकी गुणवत्ता को कम करना है। सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सरकार ने सर्जरी की अनुमति तो दी है, लेकिन यहां सवाल यह है कि जिस विधि को सीखने के लिए 10 से 12 साल का समय लगता है, उसको मात्र एक दो ट्रेनिंग के सहारे कैसे सीखा जा सकता है।
आईएमए हर चिकित्सा विधा को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है। कोई भी प(ति बुरी नहीं है। सरकार को चाहिए कि आयुष प(ति को अलग से विकसित करे, उसका विकास करते हुए इसमें लगे लोगों को प्रोत्साहन दे, लेकिन इसको एलोपैथी में मिक्स ना किया जाये। उन्होंने कहा कि मार्डन चिकित्सा पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित है। अगर चिकित्सकों की कमी है तो सरकार को मेडिकल काॅलेजों की संख्या बढ़ाने के साथ ही सीट भी बढ़ानी चाहिए, ताकि देश में ज्यादा योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक तैयार हो सकें। प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से आईएमए सचिव डा. अनुज माहेश्वरी, ट्रेजरर डा. ईश्वर चन्द्रा, मीडिया इंचार्ज डा. सुनील सिंघल आदि चिकित्सक मौजूद रहे।