आईपीएस विवेक यादव मुजफ्फरनगर में लाये माॅडल थाना
मुजफ्फरनगर पुलिस ने आईपीएस अभिषेक यादव की कप्तानी में पुलिसिंग की पिच पर हर फार्मेट में गजब की बल्लेबाजी करके दिखाई है। जब लीडर चुस्त हो तो व्यवस्था भी दुरुस्त होने लगती है, कुछ ऐसा ही इस जिले की पुलिसिंग में भी दिखाई दिया है। इस जिले में अंडर ट्रेनी आईपीएस के रूप में कार्यरत विवेक चन्द्र यादव ने भी अपने कप्तान के निर्देशन में वो काम कर दिखाया है, जो सदियों तक यहां याद किया जायेगा।
मुजफ्फरनगर। 2 जुलाई 2019 को 2012 बैच के आईपीएस अफसर अभिषेक यादव ने जिले में पुलिस कप्तान के रूप में चार्ज संभाला और इसके बाद इस जिले में पुलिसिंग के बदलाव का दौर शुरू हुआ। मुजफ्फरनगर पुलिस ने अपने कप्तान अभिषेक यादव की कप्तानी में पुलिसिंग के हर फार्मेट में पिच पर उतरकर गजब की बल्लेबाजी करके दिखाई है। वेलफेयर पुलिसिंग के जो काम अभिषेक यादव के कार्यकाल में हुआ, वो ऐतिहासिक है। सिपाही से लेकर आला अफसर तक अपने एसएसपी के नेतृत्व में नित्य नये आयाम छू रहे हैं। ऐसी ही एक उपलब्धि 2019 बैच के आईपीएस और जिले में एएसपी अंडर ट्रैनिंग विवेक चन्द्र यादव ने हासिल की है। विवेक चन्द्र यादव ने तीन महीने के एक छोटे से अवसर को इस बड़ी उपलब्धि में बदलकर दिखाया है। उनके द्वारा मुजफ्फरनगर जिले को पहला माॅडल पुलिस स्टेशन दिया गया है। अपनी व्यवस्थाओं के लिए जानसठ सर्किल का सिखेडा पुलिस स्टेशन आज प्रशंसा बटोर रहा है।
31 अगस्त 2020 को शासन ने 2019 बैच के आईपीएस विवेक चन्द्र यादव को मुजफ्फरनगर में तैनात किया था। विवेक चन्द्र यादव को यहां पर एएसपी ;अंडर ट्रेनिंगद्ध के पद पर नियुक्ति मिली। उनके यहां आने से मात्र दो माह पूर्व 2 जुलाई 2019 को ही आईपीएस अभिषेक यादव ने एसएसपी के रूप में पदभार संभाला था। विवेक चन्द्र यादव ने उनके निर्देशन में बेहतर पुलिसिंग करके दिखाई है।
26 अक्टूबर 2020 को एसएसपी अभिषेक यादव ने प्रशिक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत विवेक यादव को जानसठ सर्किल के महत्वपूर्ण पुलिस स्टेशन थाना सिखेडा में एसएचओ बनाया। आईपीएस को अपने प्रशिक्षण के दौरान तीन महीने थाने में तैनात रहना होता है, विवेक चन्द्र यादव की यह तैनाती उसी प्रक्रिया का हिस्सा बनी। इस अल्प अवसर को आईपीएस विवेक ने बड़ी उपलब्धि में बदलने का काम करके दिखाया है। आज सिखेडा थाने के रूप में जनपद मुजफ्फरनगर पुलिस को एक माॅडल पुलिस स्टेशन मिला है, जहां तैनात हाल चाल दस्ता गांव गांव मशहूर हो रहा है तो वहीं वीकली आॅफ व्यवस्था से पुलिस कर्मियों को वर्कलोड से निजात मिलने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
एएसपी (अंडर ट्रैनिंग) विवेक चन्द्र यादव ने एसएचओ के रूप में थाना सिखेडा को कई नये आयाम दिये हैं। 'पुलिसिंग फाॅर पब्लिक' के उद्देश्य को लेकर थाना सिखेडा आज माॅडल पुलिस स्टेशन बनकर आकर्षित कर रहा है। आज के आधुनिक दौर में जिस प्रकार से पुलिसिंग होनी चाहिए, इस थाने में उनमें से अधिकांश को व्यवस्था में शामिल किया गया है। कभी कवाल कांड के बाद उपजी हिंसा के लिए मशहूर यह सिखेडा थाना अब अपनी व्यवस्थाओं, आवभगत, पुलिस कर्मियों के व्यवहार, ग्रीन रूम, डिजीटल मालखाना, आदर्श बैरक और हाल चाल दस्ते के कारण क्षेत्र में मशहूर हो रहा है। खाकी से डर की व्यवस्था को खाकी से खिदमत में बदलने का काम किया गया है। इसके लिए आईपीएस विवेक चन्द्र यादव ने अपना पूरा प्रजेंटेशन तैयार किया है। उन्होंने अपना यह माॅडल प्रयास एसएसपी अभिषेक यादव के मार्गदर्शन को समर्पित करते हुए कहा कि उनकी कार्यशैली से यह प्रेरणा मिली और वह कुछ बेहतर करने में सफल हो पाये।
थाना सिखेडा को माॅडल पुलिस स्टेशन बनाने का सफर आईपीएस विवेक चन्द्र यादव ने 'पुलिसिंग फाॅर पब्लिक' की सराहनीय सोच के साथ शुरू किया। पुलिसिंग में बदलाव के लिए तय किये गये इस की-वर्ड को उन्होंने पांच व्यवस्थाओं 1-कार्य के प्रति पुलिसकर्मियों की कुशलता, 2- किसी भी काम तक उनक सुभल पहुंच, 3-कार्यस्थल से विश्राम स्थल तक उनका व्यवहार परिवर्तन, 4-आम जनमानस के भीतर विश्वास, 5-कार्य के लिए नवाचार का उपयोग को लागू कराने का काम किया है। इसमें पुलिसकर्मियों में व्यवहार सुधार के लिए उनके द्वारा रहने की स्थिति, कार्यशैली की स्थिति पर काम किया। उनके द्वारा पुलिसकर्मियों में सरल बातचीत और व्यहार सुधार के लिए प्रशिक्षण, शिकायतकर्तओं की नियमित फीडबैक प्राप्त करने की व्यवस्था को लागू किया। पुलिस कर्मियों के कौशल विकास के लिए भी जहां प्रशिक्षण पर जोर दिया गया, वहीं साइंटिफिक एविडेंस कलैक्शन और आॅनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म के ज्ञान से उनको अवगत कराया गया।
सिखेडा को माॅडल पुलिस स्टेशन बनाने के लिए उन्होंने सबसे पहले पुलिस के व्यवहार और मनोवृत्ति में सकारात्मक बदलाव को लेकर काम किया। आईपीएस विवेक चन्द्र यादव बताते हैं, ''आम नागरिक की पुलिस से अक्सर शिकायत यह रहती है कि उसकी बात को सुना नहीं जाता है। इस व्यवहार को परिवर्तित करने के लिये थाना पुलिस स्टाफ को कई कार्यशालाओं के माध्यम से सुनने की कला और धैर्य के लिये ट्रैनिंग दी गयी। इसके प्रयोग के लिये ट्रैनर द्वारा थाने पर आ रहे मुद्दों को ही उदाहरण स्वरुप लिया गया। इसका बेहतर परिणाम हम पा सके। पुलिस की जनता के बीच में छवि को ऊपर उठाने हेतु आवश्यक है कि हमारा बर्ताव आम जनमानस के प्रति अच्छा हो। इसके लिये कार्यशाला आयोजित कर पुलिस कर्मियों को व्यवहार में सकारात्मक सुधार हेतु ट्रेनिंग व प्रेरणा दी जा रही है। वह बताते हैं कि थाने पर प्राप्त हुए समस्त प्रार्थना पत्र, शिकायत, एफआईआर व एनसीआर पर पुलिस द्वारा की गयी कायिवाही का फीडबैक समय-समय पर शिकायतकर्ता से लिया जाता है। इसके लिये एक टीम का निर्धारण किया गया है, मोबाईल द्वारा समय समय पर पुलिसकर्मी फीडबैक लेते रहते हैं।''
व्यवहार सुधार के लिए ग्रीन ऑफिस-वीकली ऑफ
अंडर ट्रैनी आईपीएस विवेक चन्द्र यादव ने सिखेडा थाने को माॅडल पुलिस स्टेशन में परिवर्तित करने के लिए व्यवहार सुधार के लिए कई व्यवस्था लागू की, इनमें कार्य के लिए निर्धारित स्थिति में सुधार के साथ ही वीकली ऑफ शामिल किये गये हैं। उनका कहना है कि पुलिसकर्मियों का व्यवहार अच्छा हो, इसके लिए आवश्यक है कि इनकी वर्किंग कंडीशन में सुधार किया जाये। कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से अधिक घंटों तक तनावूपर्ण कार्य में न रखा जाये। यही सब देखते हुए हमने सिखेडा पर स्टाफ के लिए वीकली आॅफ के फार्मूले को अपनाकर एक नई व्यवस्था की शुरूआत की। इसमें अनिवार्य रूप से प्रत्येक कर्मचारी के लिए सप्ताह में एक दिन अवकाश किया जा रहा है। साथ ही ग्रीन आफिस के कन्सेप्ट पर काम करते हुए थाने के विवेचना कक्ष और जीडी कार्यालय का नवीनकरण किया गया है। विवेक यादव कहते हैं, पुलिस कर्मियों के व्यवहार सुधार के लिए यह भी आवश्यक है कि उसको रहने के लिए एक बेहतर व्यवस्था और अवस्था मिले। इसके लिए थाने में माॅडल बैरक का निर्माण एसएसपी अभिषेक यादव की प्रेरणा से किया गया है। इसमें प्रत्येक पुलिसकर्मी के लिए स्टोरेज बेड, अलमारी, बेड साइड स्विच, वाॅश रूम, वाशिंग मशीन एरिया, रेस्टिंग हट की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा विवेचकों को साइंटिफिक एविडेंस कलेक्शन के लिए ट्रैनिंग, बीट पुलिसिंग को मजबूत बनाने, हाल चाल दस्ता सहित अन्य कई ऐसे परिवर्तन आईपीएस विवेक चन्द्र द्वारा किये गये, जो सिखेडा थाने को एक माॅडल पुलिस स्टेशन के रूप में विकसित करने में मुख्य तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
पिता साधारण किसान, बेटा पहुंचा जापान
आईपीएस विवेक चन्द्र यादव सीएम सिटी के रूप में विख्यात उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर से नाता रखते हैं। उनके पिता एक साधारण किसान हैं और वह जापान तक अपनी काबलियत का कमाल दिखाकर वापस अपने वतन लौट आये।
आईपीएस विवेक चन्द्र यादव का जीवन संघर्ष आज सुविधाओं और संसाधान के अभाव में अफसलता का रोना रोने वाले युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। विवेक यादव बचपन से ही मेधावी रहे हैं, लेकिन पारिवारिक स्थिति के कारण उनको कई मौकों पर समझौता करना पड़ा, लेकिन जिंदगी में कुछ कर गुजरने की उनकी इच्छाशक्ति ने उनको हर चुनौती से निपटने के लिए एक दृढ़ता प्रदान की। अपने जीवन संघर्ष के झंझावतों से जूझते हुए विवेक यादव ने जीवन में वह मिसाल कायम की, जो संसाधनों के अभाव का ठींकरा अपनी असफलता पर फोड़कर मायूसी की अंधेरे में गुम हो जाते हैं। गोरखपुर शहर के पादरी बाजार स्थित जंगल हकीमपुर नंबर दो निवासी विवेक वर्तमान में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके पिता रमाशंकर यादव साधारण किसान और मां श्यामा देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। विवेक ने वैकल्पिक विषय के रूप में केमिस्ट्री लिया था। उनका कहना है कि लगन, कड़ी मेहनत की बदौलत कठिन लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है। आर्थिक चुनौतियों से जूझने के बावजूद भी रमाशंकर यादव ने अपने होनहार बेटे की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। बचपन से ही मेधावी रहे विवेक ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई सेंट मेरी स्कूल, पादरी बाजार से की। उसके बाद उनका चयन आईआईटी, दिल्ली के लिए हो गया। हिदी माध्यम के छात्र विवेक ने आइआइटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिग में बीटेक की उपाधि ली है। वर्ष 2015 में बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विवेक यादव ने जापान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक वर्ष तक नौकरी की। वहां जो अनुभव उन्होंने हासिल किया, आज सिखेडा को माॅडल थाना बनाने में उनके बहुत काम आया। वह बताते हैं, ''सिखेडा में ग्रीन आॅफिस कल्चर की व्यवस्था जापान के अनुभव का ही नतीजा रही है।''
आईएएस बनने की थी इच्छा, चार बार दी यूपीएससी की परीक्षा
आईआईटी दिल्ली से बेचलर इंजीनियर बनने के बाद विवेक यादव को जापान में एक अच्छी खासी सम्मानजनक नौकरी मिल गई थी, लेकिन इस युवा को अपने वतन की याद रह रहकर आती रहती थी। विवेक यादव का सपना आईएएस बनकर देश की सेवा करने का था। वह जापान में एक साल तक नौकरी करते रहे और आखिरकर अपने दिल के हाथों हारकर वतन लौट आये। 2016 में उन्होंने यूपीएससी की पहली परीक्षा और इस परीक्षा मेें वह साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन सफल नहीं हो पाये। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चार बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए। विवेक चंद्र यादव ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 में 458वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया है। अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा के लिए इस बार उनका चैथा प्रयास था। इस सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता को देते हैं।