नगरपालिका में हलचल-हाईकोर्ट से बहाल हुईं मीनाक्षी
नगरपालिका कन्या विद्यालय प्रधानाचार्या की कुर्सी को लेकर चल रहे मामले में आया नया मोड़। 2017 से चल रहा है दो शिक्षिकाओं के बीच विवाद, पालिका बोर्ड ने मीनाक्षी वर्मा को पद से हटाया था
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका कन्या विद्यालय में प्रधानाचार्या पद को लेकर चल रही खींचतान का जिन्न फिर बोतल से बाहर आया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका का निपटारा करते हुए मीनाक्षी वर्मा को विद्यालय की प्रधानाचार्या पद पर बहाल करने के आदेश जारी किये हैं। इससे पालिका प्रशासन में फिर से हलचल है। पालिका बोर्ड मीटिंग में मीनाक्षी वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विद्यालय की प्रबंधक होने के नाते चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल द्वारा उनको हटा दिया गया था, बोर्ड के इस निर्णय के विरु( मीनाक्षी वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
बता दें कि नगरपालिका कन्या इण्टर काॅलेज नगर पालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के अधीन संचालित है। इसका मैनेजमेंट प्रबंधक होने के नाते चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल संभाल रही हैं। 2017 से विद्यालय की प्रधानाचार्या बनीं मीनाक्षी वर्मा और काॅलेज में प्रवक्ता नागरिक शास्त्र के पद पर कार्यरत शिक्षिका सुमित्रा सिंह के बीच प्रधानाचार्या पद को लेकर खींचतान चली आ रही है। इस मामले में अब फिर से नया मोड़ आ चुका है। पालिका बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से पद से हटाई गई मीनाक्षी वर्मा हाईकोर्ट से पद पर बहाल होकर लौटी हैं। हालांकि अभी पालिका प्रशासन या जिला प्रशासन की ओर से मीनाक्षी वर्मा को लेकर कोई निर्णय नहीं किया गया है, लेकिन कोर्ट के आदेश होने के कारण पालिका में हलचल मची नजर आती है।
बता दें कि 31 मार्च 2017 को नगरपालिका कन्या इण्टर कालेज की प्रधानाचार्या शशिबाला अग्रवाल के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद शिक्षा समिति ने प्रधानाचार्या नियुक्त करने के लिए कालेज में कार्यरत शिक्षिकाओं से प्रत्यावेदन लिये थे। जांचोपरांत ज्येष्ठता के आधार पर शिक्षा समिति ने कालेज की प्रवक्ता नागरिक शास्त्र सुमित्रा सिंह को प्रधानाचार्या पद के लिए चुना था। इसके बाद कालेज में प्रवक्ता मीनाक्षी वर्मा को जिला विद्यालय निरीक्षक ;डीआईओएसद्ध की ओर से 19 अपै्रल 2017 को कार्यवाहक प्रधानाचार्या बना दिया गया। आरोप लगे कि तत्कालीन डीआईओएस वीपी सिंह ने नियम के खिलाफ और सांठगांठ के साथ ही आला अधिकारियो के आदेशों की अवहेलना करते हुए सुमित्रा सिंह को प्रधनाचार्या के पद पर चार्ज नहीं दिया गया, बल्कि कनिष्ठ प्रवक्ता मीनाक्षी वर्मा को कार्यवाहक प्रधानाचार्या नामित कर दिया गया। इसी को लेकर सुमित्रा सिंह ने जून 2017 में जिलाधिकारी से शिकायत की। इस प्रकरण में जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी ने एडीएम-एफ को जांच के आदेश दिये थे। इस जांच में कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आय थे। इनमें 21 अपै्रल को शिक्षा समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित कर उनको प्रधानाचार्या पद के लिए चुना गया। इसी पर एडीएम-एफ ने डीआईओएस को पत्र लिखकर सुमित्रा को ज्वाईनिंग कराने को कहा, लेकिन डीआईओएस ने अपनी मनमानी कर मीनाक्षी वर्मा को कार्यवाहक प्रभार दे दिया। लगातार आदेश के बाद भी सुमित्रा सिंह को चार्ज नहीं दिया गया। जांच चलती रही और आरोप भी लगते रहे।
इस मामले में नगरपालिका परिषद् की 27 जून 2020 को आयोजित बोर्ड बैठक में सभासद नदीम खान द्वारा कन्या विद्यालय के प्रधानाचार्या पद के विवाद का प्रस्ताव रखा गया और मीनाक्षी वर्मा को पद से हटाये जाने के लिए सम्पूर्ण बोर्ड बहुमत के साथ एकजुट नजर आया। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद 9 जुलाई 2020 को कन्या विद्यालय की प्रबंधक होने के नाते चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने मीनाक्षी वर्मा को पद से हटाने का आॅर्डर जारी कर दिया। इसी के आधार पर डीआईओएस द्वारा 13 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया और इसके बाद सुमित्रा सिंह को प्रधानाचार्या बना दिया गया। पालिका बोर्ड के प्रस्ताव और प्रबंधक के आदेश के खिलाफ मीनाक्षी वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका संख्या 5987/2020 दायर की। इसमें हाईकोर्ट के न्यायाधीश पंकज भाटिया ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सुनवाई की। सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट ने 11 नवम्बर 2020 को इस याचिका का निपटारा करते हुए आदेश पारित किया है। इसमें हाईकोर्ट ने 27 जून को पालिका बोर्ड में पारित प्रस्ताव, 9 जुलाई के प्रबंधक के आदेश और 13 जुलाई को जारी डीआईओएस के आदेशों को खारिज करते हुए कन्या विद्यालय के तदर्थ प्रधानाचार्या पद पर मीनाक्षी वर्मा को बहाल करने के आॅर्डर दिये हैं। इसके साथ ही सुमित्रा सिंह को हिदायत दी गयी है कि वह उनके कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगी, वहीं कोर्ट ने डीआईओएस को प्रधानाचार्या के रूप में मीनाक्षी वर्मा के ही हस्ताक्षर मान्य करने के भी आदेश दिये हैं।