योगीराज में मुजफ्फरनगर को मिली ई-लाईब्रेरी
मंत्री संजीव बालियान ओर मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने राजकीय पुस्तकालय में किया ई लाइब्रेरी का शुभारम्भ, अब एक क्लिक पर मिलेगी ऐतिहासिक पुस्तकों की जानकारी, मंत्रियों ने संग्रहालय और पुस्तकालय कक्ष का किया शिलान्यास।
मुजफ्फरनगर। जनपद के करीब तीन दशक पुराने राजकीय पुस्तकालय भवन को अब नये कलेवर में लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इसके दृष्टिगत पुस्तकालय का डिजीटलाईजेशन किया गया है। जनपद की डिजीटल लाईबे्ररी का आज मंत्री संजीव बालियान और मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने संयुक्त रूप से शुभारम्भ किया। इस ई लाईब्रेरी में 6 कम्प्यूटर लगाये गये हैं। पुस्तकालय की किताबों को स्कैन कर उनकी डिजीटल काॅपी आॅन लाइन की जायेगी, ताकि लोग एक क्लिक पर अपने घर पर ही इंटरनेट के माध्यम से ऐतिहासिक किताबों से जानकारी पा सकेंगे।
बता दें कि जनपद में महावीर चौक पर 6 मार्च 1989 को ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधीन राजकीय पुस्तकालय भवन का तत्कालीन जिलाधिकारी एन. रविशंकर ने शिलान्यास किया था। इसके उपरांत 16 मार्च 1992 को तत्कालीन सरकार के सहकारिता मंत्री सुधीर कुमार बालियान और विधायक डा. सुरेश कुमार संगल ने इस भवन का लोकार्पण किया। इस इस पुस्तकालय को ग्रामीण अभियंत्रण सेवा द्वारा शिक्षा विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया था। इस लोकार्पण के बाद से ही यह पुस्तकालय जनपद के छात्रों, पत्रकारों और बु(िजीवियों के साथ ही रिसर्च स्काॅलर के लिए एक मुख्य साधन बना हुआ है। यहां पर अनेक ऐतिहासिक किताबों को संरक्षित किया गया है। इसके लोकार्पण के 28 साल बाद आज आधुनिक युग से कदमताल करते हुए पुस्तकालय को डिजीटल रूप दिया गया है।
आज पुस्तालय परिसर में आयोजित समारोह के दौरान केन्द्रीय पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान और राज्य सरकार के मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल ने संयुक्त रूप से पुस्तकालय की ई लाईब्रेरी का शुभारम्भ किया। इसके साथ ही मंत्रियों के द्वारा महावीर चौक पर ही स्थित जनपद के शासकीय संग्रालय के सौन्दर्यकरण और राजकीय पुस्तकालय में नवीन कक्ष का शिलान्यास भी किया गया। इस अवसर पर मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि आज इंटरनेट का जमाना है। एक क्लिक पर हमें सदियों पुरानी जानकारी कम्प्यूटर पर उपलब्ध हो जाती है, लेकिन यह भी सच है कि देश और दुनिया के कई रहस्यों, आंदोलनों और संघर्ष की कहानियां किताबों तक ही सीमित हैं, इन ऐतिहासिक धरोहरों को डिजीटल स्वरूप में संजोने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढियों को आने देश, समाज और धर्म संबंधी जानकारी हासिल करने में सदियों तक इसके सहारे मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि यह ई लाइब्रेरी से जनपद में रिसर्च स्काॅलर और अन्य छात्रों के साथ ही पत्रकारों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
जिला विद्यालय निरीक्षण गजेन्द्र सिंसह ने बताया कि वर्तमान में इस पुस्तकालय में 34,729 पुस्तकों का भण्डार संजोया हुआ है। इन पुस्तकों को स्कैन कर उनकी डिजीटल काॅपी बनाकर पुस्तालय के साफ्टवेयर में अपलोड किया जा रहा है। इसके साथ ही इनको वेबसाइट बनाकर इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जायेगा। इससे लोग लाइब्रेरी में आने के साथ ही अपने घर पर ही रहकर इन पुस्तकों को पा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए जिला प्रशासन, एमडीए और शिक्षा विभाग ने मिलकर सहयोग किया है। 6 कम्प्यूटर लगाये हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष सरोज गुप्ता ने बताया कि लाइब्रेरी के वर्तमान में 975 मैम्बर हैं। इसके लिए सदस्यता शुल्क 100 रुपये वार्षिक है। पहली बार मैम्बर बनने पर 1 हजार रुपये सिसक्युरिटी मनी जमा करानी होती है। हमारी 2300 किताबें डिजीटल काॅपी के रूप में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही डिजीटल लाइब्रेरी के लिए पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान ने 4500 दुर्लभ और ऐतिहासिक किताबों की डिजीटल काॅपी लाइब्रेरी को उपलब्धक कराई है। इनमें अंग्रेजी काल के गजट, आजादी की लड़ाई में शहीदों के नामों की सूची, अंग्रेजी काल में लिखी गई प्रमुख लेकखकों की किताबों के अलावा जाट इतिहास बुक, मुगल कालीन हिस्ट्री, 1857 विद्रोह और हिन्दू ग्रंथ भी शामिल हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से विधायक उमेश मलिक, विधायक प्रमोद उटवाल, विधायक विक्रम सैनी, डीएम सेल्वा कुमारी जे., सीडीओ आलोक यादव, एडीएम वित्त आलोक कुमार, एमडीए सचिव महेन्द्र प्रसाद, डीआईओएस गजेन्द्र सिंह, अशोक बालियान सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।