एनजीटी का आदेश बना परेशानी-मंत्री संजीव से मिले ईंट भट्टा मालिक
मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ;एनजीटीद्ध के द्वारा एनसीआर क्षेत्र में ईंट भट्टा व टायल निर्माण के लिए लगाये गये प्रतिबंधों को लेकर ईंट भट्टा स्वामियों ने आज केन्द्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान से मुलाकात की। उन्होंने एनसीआर क्षेत्र में ईंट भट्टों का सुगम संचालन कराये जाने के संबंध में विभिन्न समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन केन्द्रीय मंत्री को सौंपा और इसमें एनजीटी में चल रही सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक हस्तक्षेप कराकर भट्टा उद्योग को बचाने की अपील की गयी है।
शनिवार को ईंट भट्टा एसोसिशन के पदाधिकारी राजेंद्र तोमर, लेखराज सिंह, शमशाद अली व जियाउर्रहमान अन्य भट्टा स्वामियों के साथ एटूजेड कालौनी पहुुंचे और केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें इन लोगों ने बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायालय ने उत्कर्ष पवार बनाम सीपीसीबी व अन्य के वाद में 15-11-2019 को पारित अपने आदेश में एनसीआर में आने वाली प्रत्येक ईंट व टायल के भट्ठों को बंद कराने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश से लगभग 1800 ईंट भट्ठे , जो उत्तर प्रदेश के आठ जिलों के अंतर्गत आते हैं, प्रभावित हुए हैं। इन लोगों का कहना है कि एनजीटी ने अपने इस आदेश में उस तथ्य को अनदेखा किया है कि उसी के कहने पर, 40 से 50 लाख रुपए का भारी निवेश करने के बाद इन भटठों को जिगजैग तकनीक में परिवर्तित किया गया था।
राष्ट्रीय हरित न्यायालय ने इस तथ्य की भी उपेक्षा की है कि ईपीसीए द्वारा एनसीआर में जीआरएपी तंत्र का उपयोग कर रही है तथा ईट भट्टा उद्योग इसका अक्षरशः से पालन कर रहे है। भट्टा स्वामियों ने कहा कि हरियाणा सरकार भारत की इकलौती राज्य सरकार थी जिसने बीए.ईएल देहरादून के अध्ययन द्वारा जिग जैग तकनीक के परिणामों को समझा था तथा हरियाणा वह एकमात्र राज्य है जहां शत प्रतिशत ईट वह टायल भटठे नई तकनीक में परिवर्तित हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में बहुत ही तेजी से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनजीटी के तुगलकी आदेश से भारी मुसीबतें हुई हैं, जिसके कारण मजदूरों व सम्बन्धित स्टाफ को बेरोजगारी, ईटों व टायल की कमी तथा सरकार के राजस्व में गिरावट सम्भावित है। यह भट्ठा स्वामियों के लिए भी बड़ा आर्थिक नुकसान है जिन्होंने भारी व्यय से जिगजैग तकनीक अपनाई थी। बंदी के आदेशों के जारी रहने के पीछे सीपीसीबी द्वारा एनजीटी के सामने 09 जुलाई 2020 को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट का आधार है जो कुछ पर्यावरणीयों द्वारा जाहिर तथा प्रबल खामियों से भरी हुई है, सुनवाई की अगली तारीख 15 सितम्बर 2020 है। भट्टा स्वामियों ने केन्द्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान से सरकार के स्तर पर सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि इस सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा हस्तक्षेप करते हुए मजबूत पक्ष रखा जाये ताकि ईट व टायल भटठे एनसीआर में काम कर पाए।