पालिका में अब 12 दिसंबर का इंतजार
बोर्ड का कार्यकाल पूर्ण होने पर ईओ के हाथ आ जायेगी वित्तीय एवं प्रशासनिक पावर नये प्रशासक के आने की आहट से पालिका में फिर सुस्त होने लगी कामकाज की रफ्तार
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में कांवड यात्रा के बाद से ही पटरी से उतरी व्यवस्था हिचकोले लेते हुए आगे बढ़ रही है। चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के अधिकार सीज होने के बाद सत्ता का हस्तांतरण किश्तों में हुआ तो पालिका का कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित होता रहा। वो बर्खास्त हुईं तो पालिका में प्रशासक का राज पूरी तरह से स्थापित हुआ और कुछ कामकाज पटरी पर आया तो रूके हुए विकास के पहिये को भी गति मिली, लेकिन अब पालिका में फिर एक बार सत्ता के हस्तांतरण की चुगली ने नई हलचल पैदा कर दी है। इसका असर विभागीय कार्यों के साथ ही विकास व निर्माण कार्यों पर भी पड़ने लगी है। इसमें कहा जा रहा है कि 12 दिसंबर को बोर्ड का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद पालिका में शीर्ष सत्ता का नेतृत्व फिर बदलेगा और व्यवस्था के अनुसार पालिका ईओ वित्तीय एवं प्रशासनिक पावर के साथ काम संभालेंगे। ऐसे में पालिका में कामकाज की रफ्तार धीमी होती दिखाई देने लगी है।
इसके साथ ही लंबी छुट्टी के बाद काम पर लौटे पालिका के अधिशासी अधिकारी के नये आदेश ने पालिका के सभी विभागों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। ईओ ने अब बिना परीक्षण के कोई भी पत्रावली पेश करने पर रोक लगा दी है। पत्रावली में किसी भी गड़बड़ी या अनियमितता के लिए सीधे तौर पर विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी दी गई है। किसी भी विकास पत्रावली को कार्यालय अधीक्षक के बिना पेशी में रखने पर भी पाबंदी लागू कर दी है।
बता दें कि 19 जुलाई की रात्रि में शासन के आदेश आने के साथ ही पालिका में नई हलचल शुरू हो गई थी। इस रात जबकि चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल पालिका के इतिहास के अपने पहले कांवड सेवा शिविर में शिवभक्त कांवडियों की सेवा में व्यस्त थी, उसी बीच उनके वित्तीय अधिकार सीज कर दिए गये थे। इसके बाद से ही पालिका अस्थिर बनी नजर आ रही है। इस कार्यवाही के करीब चार माह बीतने के बाद भी पालिका में कामकाज और विकास हिचकोले ही ले रहा है। पालिका में शीर्ष स्तर पर सत्ता का हस्तांतरण किश्तों में होने के कारण सारा 'मजा' बिगड़ गया और विभागीय स्तर से लेकर जनहित के लिए स्वीकृत विकास व निर्माण कार्यों की रफ्तार एक ठहराव के भंवर में फंसी नजर आने लगी। शह और मात के खेल में चेयरपर्सन को पालिका से रुख्सत ही होना पड़ा और नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार पालिका में पूरी ताकत के साथ प्रशासक बने। उनको पावर मिली तो पालिका में विकास का पहिया भी घूमा, लेकिन अब फिर से पालिका में शीर्ष नेतृत्व के लिए सत्ता का हस्तांतरण होने की सुगबुगाहट ने नई हलचल पैदा की है। कहा जा रहा है कि मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल 12 दिसंबर तक है। ऐसे में इस कार्यकाल के बीच ही निकाय चुनाव हो पायेंगे, यह अब दूर की कौडी साबित हो रहा है। यूपी में उपचुनाव की घोषणा ने सारा खेल ही बिगाड़ दिया। माना जा रहा है कि अब यूपी उपचुनाव सम्पन्न कराये जाने के बाद ही निकाय चुनाव की तरफ सरकार कदम बढ़ायेगी। ऐसे में नगरपालिका परिषद् में एक बार फिर से सत्ता बदली नजर आ सकती है। ऐसा हुआ तो पालिका में नगर मजिस्ट्रेट का राज खत्म होगा और अधिशासी अधिकारी को वित्तीय एवं प्रशासनिक पावर प्रशासक के रूप में मिल सकती है। इसी संभावना के चलते पालिका में एक बार फिर से कामकाज प्रभावित होने लगा है। सूत्रों का कहना है कि ईओ को इसी पल का इंतजार है। इसलिए काम की रफ्तार को 'स्लो मोशन' में डाल दिया गया है। वहीं लंबी छुट्टी काटकर वापस लौटे ईओ हेमराज सिंह ने अब पालिका में किसी भी गड़बड़ी की संभावना को रोकने के लिए नया फरमान जारी कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि पालिका में विकास कार्यों से जुड़ी कुछ पत्रावलियों में फर्जीवाड़ा और जरूरी दस्तावेज की कमी के बावजूद भी पेशी में रख दी गई थी। ये खामी पकड़ में आने पर ईओ ने नाराजगी जताई और स्पष्ट कर दिया कि कोई भी पत्रावली अब बिना परीक्षण के उनके पास नहीं आयेगी। इसके लिए त्रिस्तरीय परीक्षण व्यवस्था को लागू कयिा गया है। इसमें पहले लिपिक और फिर विभागाध्यक्ष पत्रावली का परीक्षण करेंगे, इसके बाद पत्रावली लेखाकार को भेजी जायेगी। लेखाकार परीक्षण उपरांत अपनी रिपोर्ट लगायेंगे और फिर पत्रावली कार्यालय अधीक्षक के माध्यम से ईओ की पेशी में लाई जायेगी। ईओ का कहना है कि कई बार विभागीय स्तर पर बरती गई लापरवाही के कारण उनके स्तर से भी चूक होने की संभावना बनी रहती है। ऐसी की गड़बड़ी या चूक को रोकने के लिए यह व्यवस्था लागू की गयी है। ईओ के इस आदेश के बाद विभागों में भी हलचल है और कई महत्वपूर्ण पत्रावलियां भी इस परीक्षण व्यवस्था के फेर में लटक कर रह गयी हैं।
पालिका में फिर चुनावी हलचल, ताकत बढ़ाने में जुटे ओमवीर सिंह
मुजफ्फरनगर। जनपद में निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच खतौली विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव से सियासी गरमाहट चरम पर है। ऐसे में नगरपालिका परिषद् में सफाई कर्मचारी संघ की कार्यकारिणी के चुनाव भी सम्पन्न कराये गये तो अब फिर से पालिका में चुनावी हलचल बनी है। पालिका में खींचतान की राजनीति के बाद चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का युग समाप्त होने के बाद पालिका के कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक पद पर वापसी करने वाले वरिष्ठ लिपिक ओमवीर सिंह इस चुनावी हलचल के साथ पालिका में अपनी ताकत का प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पालिका में सफाई कर्मचारी संघ के बाद अब पालिका कर्मियों के संगठनात्मक चुनाव की तैयारी की जा रही है। पालिका में स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन उत्तर प्रदेश की निकाय शाखा के अध्यक्ष और महामंत्री का चुनाव कराया जाना है, जोकि कई महीनों से लंबित बताया गया है। बता दें कि प्रदेश में निकाय कर्मियों के दो संगठन वजूद में हैं, इनमें मिश्रा गुट द्वारा स्वायत्त शासन कर्मचारी संघ और अशोक गोयल गुट द्वारा स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन चलाया जा रहा है। संघ में पालिका के आशुलिपिक स्टनोग्राफर गोपाल त्यागी पालिका शाखा के अध्यक्ष और लिपिक तनवीर आलम महामंत्री निर्वाचित हैं। ओमवीर के कमजोर पड़ने के कारण यही गुट पालिका में हावी रहा और कर्मियों के हितों को लेकर संघर्ष कर आवाज उठाई। अब ओमवीर सिंह की ताकत लौटी तो संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष ओमवीर सिंह ने पालिका शाखा में अध्यक्ष व महामंत्री पद पर चुनाव कराने की कमर कसी है। उन्होंने बताया कि उनके संगठन की शाखा में मुकेश शर्मा अध्यक्ष और कुलदीप कुमार महामंत्री निर्वाचित हुए थे, लेकिन पिछले दिनों कुलदीप कुमार का आकस्मिक निधन हो गया। अब शाखा को सक्रिय करने के लिए चुनाव कराये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पालिका में इस चुनाव के लिए 153 कर्मियों के वोट हैं। नवंबर के अंतिम सप्ताह में चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। शीर्ष नेतृत्व से विचार के बाद अंतिम निर्णय लिया जायेगा।