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आठ महीने में एक भी पैसा नहीं वसूल पाया गन्ना विभाग

खतौली गन्ना समिति के अध्यक्ष व संचालक सदस्यों को अनियमित गन्ना आपूर्ति के लिए किया गया था दण्डित करीब दो हजार कुन्तल अधिक गन्ना आपूर्ति के लिए लगाया जुर्माना वसूलने को दिया था नोटिस, तीन साल तक चुनाव लड़ने पर है बैन

आठ महीने में एक भी पैसा नहीं वसूल पाया गन्ना विभाग
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मुजफ्फरनगर। सहकारी गन्ना समिति खतौली में सट्टे से अधिक अनियमित गन्ना आपूर्ति के मामले में गन्ना समिति के अध्यक्ष और संचालक सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही का जिन्न बोतल से फिर बाहर आया है। आठ महीने पहले इस मामले में जिला स्तरीय जांच के बाद शासन स्तर से गंभीर कार्यवाही करते हुए गन्ना समिति के अध्यक्ष और संचालक सदस्यों के खिलाफ चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध के साथ ही अनियमित गन्ना आपूर्ति के लिए जुर्माना लगाया गया था। शासन के आदेश के बावजूद गन्ना विभाग आरोपियों से अधिक गन्ना आपूर्ति के लिए शासन द्वारा लगाये गये जुर्माने के तहत धनराशि वसूलने में विफल साबित हुआ है। लखनऊ में गन्ना आयुक्त द्वारा इस कार्यवाही की जानकारी मीडिया को दी गई और शासन की जीरो टोलरेंस नीति का प्रचार करते हुए गन्ना माफियाओं के खिलाफ हो रही कार्यवाही को इससे साबित करने का प्रयास किया, लेकिन जिला स्तर पर जब इस मामले को टटोला गया तो आरोपियों से आठ माह बाद भी जुर्माना राशि न वसूल पाने की कहानी सामने आई है, जो विभागीय स्तर पर बरती जा रही शिथिलता को साबित करने के लिए काफी है।

प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी तथा निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों संजय आर भूसरेड्डी ने गत दिनों लखनऊ में जानकारी देते हुए बताया कि गन्ना विकास विभाग द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेन्स की नीति का अनुसरण करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में सहकारी गन्ना विकास समिति लि. खतौली मुजफ्फरनगर की प्रबन्ध कमेटी के अध्यक्ष और कतिपय संचालक सदस्यों एवं उनके परिवारीजन द्वारा की गई अनियमित गन्ना आपूर्ति का प्रकरण सिद्ध पाये जाने पर उन्हें आगामी तीन वर्षाे तक गन्ना समिति के चुनाव से प्रतिबन्धित कर दिया गया। इसके साथ ही निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ना आपूर्ति पर 50 रुपये प्रति कुन्टल की दर से पेनाल्टी भी संबंधित गन्ना समितियों में जमा कराने के निर्देश दिये गये हैं। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए निबन्धक भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि सहकारी गन्ना विकास समिति लि. खतौली के कतिपय संचालक सदस्यों व उनके परिवार के सदस्यों के अनियमित गन्ना आपूर्ति के इस प्रकरण में जिला गन्ना अधिकारी, शामली तथा जिला गन्ना अधिकारी, मुजफ्फरनगर के स्तर से विस्तृत जांच कराई गयी। जांच में प्रथम दृष्टया इस बात की पुष्टि हुयी कि समिति के अध्यक्ष ओमवीर सिंह पुत्र तेज सिंह व उनके परिवारीजन प्रशान्त कुमार व विक्रान्त कुमार पुत्रगण सुखपाल सिंह तथा रामनिवास के पारिवारिक सदस्यों द्वारा पेराई सत्र 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से अधिक भूमि व गन्ना क्षेत्रफल के आधार पर अनियमित रूप से गन्ना आपूर्ति कर लाभ कमाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि नियमानुसार निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ना आपूर्ति पर 50 रुपये प्रति कुन्तल की दर से पेनाल्टी संबंधित गन्ना समिति में जमा कराने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त अनियमित गन्ना आपूर्ति में उपर्युक्त सभी दोषियों को उ.प्र. सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के संगत प्राविधानों के अन्तर्गत 03 वर्ष की अवधि हेतु निर्वाचन हेतु अनर्ह करने का निर्णय भी लिया गया है। निबन्धक द्वारा यह भी बताया गया कि भविष्य में किसी भी सदस्य द्वारा यदि अनियमित गन्ना आपूर्ति किया जाना प्रकाश में आता है तो उ.प्र. सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 38 के प्राविधानों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही करते हुए संचालक सदस्य के पद से अनर्ह करने के साथ-साथ गन्ना समिति की सदस्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जायेगी।निबन्धक द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेन्स की नीति का अनुश्रवण किया जा रहा है। यदि किसी भी समिति अध्यक्ष, संचालक सदस्य, प्रतिनिधि, साधारण सदस्य तथा अधिकारी व कर्मचारी की संलिप्तता भ्रष्टाचार एवं कदाचरण आदि में पाई जाएगी तो उसके विरु( सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।

बता दें कि इस मामले में गन्ना आयुक्त भूसरेड्डी के द्वारा मार्च 2022 में गन्ना समिति खतौली के उक्त अध्यक्ष और संचालक सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही आदेश जारी किया गया था, तभी उन्होंने जुर्माना वसूलने के निर्देश दिये थे। आरोपियों पर करीब दो हजार कुंतल अनियमित गन्ना आपूर्ति करने के आरोप साबित हुए। सूत्रों के अनुसार आरोपियों से दण्ड के अनुसार करीब एक लाख रुपये से ज्यादा की रकम बतौर जुर्माना गन्ना विभाग को वसूल करना था, लेकिन यह जुर्माना आज तक भी वसूल नहीं किया गया है। गन्ना विभाग के सूत्रों का कहना है कि आयुक्त के आदेश के अनुसार कार्यवाही की जा रही है। वहीं गन्ना समिति खतौली के सचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे एससीआईडी रोहाना विनोद कुमार से 'नयन जागृति' संवाददाता ने फोन पर वार्ता की तो उन्होंने कुछ भी जानकारी देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वह एक महीने पहले ही समिति के सचिव नियुक्त किये गये हैं। उन पर अतिरिक्त चार्ज है और रविवार होने के कारण वह कार्यलय में नहीं है। कार्यालय में वह तीन दिन ही बैठ रहे हैं। ऐसे में उनको मामले की सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में इतना ही है कि आरोपियों से जुर्माना राशि वसूलने के लिए गन्ना विभाग और समिति के स्तर पर वसूली नोटिस देकर जवाब मांगा गया था। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वह गन्ना आयुक्त के द्वारा की गई दण्डात्मक कार्यवाही के खिलाफ अपर मुख्य सचिव गन्ना एवं चीनी के यहां अपील में गये हुए हैं। अभी उनके खिलाफ या पक्ष में कोई निर्णय नहीं आया है। निर्णय होने के बाद ही विभागीय कार्यवाही की जायेगी।

ये है मामला-दो जिलों के अफसरों ने की थी जांच

मुजपफफ्फरनगर। खतौली चीनी मिल सहकारी गन्ना विकास समिति के पूर्व चेयरमैन )षिपाल सिंह ने शासन में शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ओमवीर सिंह, संचालक सदस्य प्रशांत कुमार व राम निवास आदि ने निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ने के आपूर्ति की। इर पर आरोप था कि उक्त लोगों ने समिति दस्तावेजों में वास्तविक से अधिक जमीन दर्शाकर निर्धारित से अधिक गन्ना सट्घ्टा प्राप्त किया। जिसके उपरांत पैरोई सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से अधिक भूमि दर्शा कर हेरा फेरी की और 2000 कुंतल से अधिक गन्ने की आपूर्ति की गई। शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए शासन ने उक्त प्रकरण की जांच जिला गन्ना अधिकारी शामली तथा उसके बाद जिला गन्ना अधिकारी मुजफ्फरनगर से कराई। शुरुआत में प्रकरण की जांच जिला गन्ना अधिकारी शामली विजय बहादुर को दी गई थी। उन्होंने जांच पूर्ण कर शासन को प्रेषित कर दी थी। शासन स्तर से उक्त जांच पर संतुष्टि व्यक्त नहीं की गई। जिसके उपरांत बाकी तथ्यों की स्पष्ट रूप से जांच करने की जिम्मेदारी जिला गन्ना अधिकारी मुजफ्फरनगर डॉ. आरडी द्विवेदी को सौंपी गई। उन्होंने सभी तथ्यों पर विस्तृत जांच कर रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी थी। जांच के दौरान आरोपी समिति अध्यक्ष ने सफाई दी थी कि उन्होंने कुछ जमीन खरीदी थी। जिसका बैनामा नहीं हो पाया था। जमीन पर उन्हीं का कब्जा था और गन्ने की फसल भी वही ले रहे थे। लेकिन बैनामा न होने के कारण उक्त भूमि पर गन्ने की पैदावार उनके नाम के दस्तावेजों में दर्ज नहीं हुई। जिसके उपरांत मार्च 2022 में गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने दोषियों पर कार्रवाई का आदेश दिया, जिससे समिति अध्यक्ष तथा अन्य दोषी पदाधिकारियों को 3 वर्ष तक समिति चुनाव से वंचित रखने और 50 रुपये प्रति कुंतल की दर से अनियमित गन्ना आपूर्ति पर जुर्माना वसूलने के आदेश दिये गये थे।

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