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भारत की कृषि व किसानों को इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क समझौते से कोई नुकसान नहीं-अशोक बालियान

भारत की कृषि व किसानों को इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क समझौते से कोई नुकसान नहीं-अशोक बालियान
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नई दिल्ली। कानूनों का विरोध करने वाले कुछ किसान संगठन इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) समझौते का यह कहकर विरोध कर रहे है कि इससे भारत की कृषि व किसानों को नुकसान होगा। लेकिन वे ये नहीं बता रहे कि इस समझौते के किस प्रावधन से भारत की कृषि व किसानों को नुकसान होगा।

आईपीईएफ समझौते में 14 देशों में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, भारत, फिजी और सात आसियान देश (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) शामिल हैं। अमेरिका ने इस समूह का गठन चीन का मुकाबला करने के लिए किया है।

आईपीईएफ के चार स्तंभों (व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था) में प्रावधान शामिल होंगे और कृषि, मत्स्य पालन, विनिर्माण और सेवाओं के साथ-साथ कृषि जैसे कई क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। भारत पहले स्तंभ में अभी केवल पर्यवेक्षक के रूप में शामिल है।

इस समझौते से भारत के निर्यात का विस्तार होगा और भारत को अमेरिका की इस पहल से ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी। इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) एक मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। और इस समझौते में किसी प्रकार के बाजार पहुंच अथवा प्रशुल्क कटौती का प्रावधान नहीं है। इसीलिए लिए भारतकी कृषि व किसानों को इससे कोई नुकसान नहीं है।

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