मुजफ्फरनगर पालिका में ईओ के इंकार पर मचा घमासान
वित्तीय वर्ष 2020-21 में मार्च तक पूरे होने वाले निर्माण कार्यों में अडंगा, टैण्डरों पर रोक को लेकर ठेकेदारों ने जताया रोष। 71 टैण्डर दोबारा डालने की तैयारी, 15 टैण्डरों को लेकर खडा हुआ विवाद।
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल शहर में विकास कार्यों को लेकर ताबडतोड़ शिलान्यास कर रही हैं, लेकिन पालिका के अधिशासी अधिकारी हेमराज सिंह के एक इंकार ने शहर में विकास कार्यों की रफ्तार पर बे्रक लगा दिया है। 31 मार्च तक जो विकास कार्य पूर्ण कराने की तिथि पालिका प्रशासन ने निर्धारित कर दी है। 10 मार्च तक उन कार्यों के टैण्डरों पर खड़ा हुए विवाद का ही निपटारा नहीं हो पाया था। पालिका प्रशासन में इन टैण्डरों के रुकने से घमासान मचा हुआ है। ठेकेदार भी पालिका प्रशासन की नीतियों को लेकर परेशान हैं। इन विकास कार्यों में पालिका प्रशासन अपने ही बनाये नियमों में उलझकर रह गया है। ठेकेदारों ने पालिका प्रशासन पर टैण्डरों की गोपनीयता को भंग करने के आरोप लगाये हैं।
नगरपालिका परिषद् में वित्तीय वर्ष समाप्त होने के कारण 14वें वित्त आयोग की मिली ग्रांट से विकास कार्य कराये जाने की हलचल तेज है। वित्तीय की समाप्ति को नजदीक देखते हुए चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य प्रारम्भ कराने का लक्ष्य लेकर पालिका प्रशासन को दौड़ा रखा है। कुछ कार्यों का उनके द्वारा शिलान्यास कर शुभारम्भ भी कराया गया है। ऐसे में शहर के विकास से जुड़े 125 कार्यों के टैण्डरों को लेकर विवाद सामने आ रहा है। सूत्रों के अनुसार दो किस्तों में पालिका प्रशासन ने शहर में अलग अलग क्षेत्रों में सीसी रोड और सीसी नाली व नाला निर्माण के साथ ही महापुरुषों की प्रतिमाओं के सौन्दर्यकरण और नये कूड़ा डलाव घरों के निर्माण कार्यों को लेकर टैण्डर आमंत्रित किये। इसके लिए 02 मार्च को 63 और 03 मार्च को 62 निर्माण कार्यों के टैण्डर आमंत्रित किये गये थे।
इन टैण्डरों को लेकर पालिका में विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों के अनुसार करीब 71 टैण्डरों को दोबारा खोलने की प्रक्रिया ईओ हेमराज सिंह के निर्देश पर दोबारा शुरू की गयी है। इन कार्यों के लिए केवल एक-एक ठेकेदारध्फर्म की ओर से निविदा पालिका प्रशासन को ई टैण्डरिंग के माध्यम से प्राप्त हुई है। इसे प्रथम बार में नियमानुसार स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यहां तक तो पालिका प्रशासन का पक्ष समझा जा सकता है, क्योंकि ई टैण्डरिंग की शर्तों में यह स्पष्ट किया गया है कि नियमानुसार प्रथम बार में एक निविदा प्राप्त होने पर उसको अस्वीकृत किया जायेगा। इसके साथ ही पालिका प्रशासन ने करीब 15 उन टैण्डरों को भी स्वीकार नहीं किया है, जिनमें दो-दो ठेकेदारध्फर्म ने टैण्डर दिये हैं। सूत्रों का कहना है कि कम से कम तीन टैण्डर की शर्त की बात कहकर ईओ हेमराज ने इन टैण्डरों पर रोक लगा दी है। इन्हीं टैण्डरों को लेकर अब घमासान शुरू हो गया है।
ठेकेदारों का कहना है कि जब ई टैण्डरिंग व्यवस्था नहीं थी तो कम से कम तीन फर्म आने पर ही टैण्डर स्वीकार्य करने की शर्त थी, ई टैण्डरिंग में दो फर्म आने पर टैण्डर स्वीकार करने की व्यवस्था लागू हो गयी। जबकि ईओ का कहना है कि तीन फर्म आने पर ही टैण्डर स्वीकार होंगे, इससे ठेकेदार परेशान है। इन कार्यों को 31 मार्च 2021 तक ही पूर्ण किया जाना है। ऐसे में पालिका प्रशासन में हलचल मची है। इसके साथ ही पालिका प्रशासन ने दो ठेकेदार वाले इन 15 टैण्डरों की गोपनीयता भी भंग कर दी है। ठेकेदार एसोसिएशन के पदाधिकारी और पालिका के ठेकेदार नारायण माथुर का कहना है कि यदि पालिका को दो निविदा वाले टैण्डरों को स्वीकार नहीं किया जाना था तो टैण्डर देने वाली दोनों फर्मध्ठेकेदार के रेट को सार्वजनिक क्यों किया गया? इसका जवाब पालिका प्रशासन के पास नहीं है।