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शहर में हजारों होर्डिंग का जाल, अवैध मिले सिर्फ सात

होर्डिंग अनुमति में कर विभाग के बाबुओं का खेल हो रहा उजागर, मांगे चार होर्डिंग और दे दिए गए 14 स्थान; ईओ ने पत्रावली पकड़ी तो बता दी गई क्लेरिकल मिस्टेक, होर्डिंग सर्वे अभियान में बाबुओं को जिम्मेदारी पर लगाई रोक; केवल तीनों राजस्व निरीक्षकों से ही सर्वे कराये जाने के ईओ ने दिए सख्त निर्देश, प्रत्येक स्थान का भौतिक सत्यापन कर देंगे रिपोर्ट

शहर में हजारों होर्डिंग का जाल, अवैध मिले सिर्फ सात
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में लिपिकों का खेल कितने बड़े स्तर पर हो रहा है, इसकी बानगी अवैध होर्डिंग के मामले में सामने आ रही है। लिपिकों की गारगुजारियों के सामने आने के कारण ही इस बार पालिका की अधीशासी अधिकारी प्रज्ञा सिंह ने अवैध होर्डिंग चिन्हीकरण अभियान में कर विभाग के लिपिकों को शामिल करने पर विशेष प्रकार से रोक लगाई है, क्योंकि इस अभियान में लिपिकों ने ऐसा खेल किया कि शहर में केवल सात स्थानों पर ही अवैध होर्डिंग पाये गये, जबकि हजारों स्थान ऐसे हैं, जहां पर अवैध रूप से लगे होर्डिंग व्यवस्था का मुंह चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं लिपिकों को एक दूसरा खेल भी सामने आया है, इसमें एक विज्ञापन एजेंसी ने शहर में चार स्थानों पर होर्डिंग आदि लगाने की अनुमति पालिका से मांगी, लेकिन इसको लिखा पढ़ी में 14 स्थान दिखा दिये गये। साफ तौर पर 10 स्थानों पर एजेंसी को अवैध रूप से होर्डिंग लगाने की अनुमति मिल गई। ईओ ने पत्रावली पर यह बड़ा खेल पकड़ा तो क्लेरिकल मिस्टेक बताकर पल्ला झाड़ लिया गया। यही कारण है कि अब एक एक स्थान का सर्वे कराकर ईओ ने कर विभाग के राजस्व निरीक्षकों से रिपोर्ट मांगी है।

नगरपालिका परिषद् में होर्डिंग और यूनीपोल के साथ ही एलईडी स्क्रीन को लगाने में बड़ा खेल किया जाता रहा है। ऐसे अवैध कार्यों को रोकने के लिए कई मामलों में प्रशासन को कार्यवाही करनी पड़ी। महावीर चौक से अवैध एलईडी स्क्रीन को उतरवाया गया था। शहरी क्षेत्र में अवैध होर्डिंग हमेशा ही बड़ा मुद्दा रहा है। अब 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के बाद से ही यह मामला गरमाया हुआ है। इसमें चुनाव आचार संहिता से पहले ईओ प्रज्ञा सिंह ने अवैध होर्डिंग को लेकर तीन टीमों का गठन कर अभियान चलवाया था। करीब दो दिन यह अभियान चला। पालिका सूत्रों के मुताबिक इस अभियान में कर विभाग के लिपिक इतने सक्रिय हुए कि टीम के जाने से पहले ही विज्ञापन एजेंसियों के कर्मचारी अपने अवैध होर्डिंग हटाकर ले गए। पूरी भागदौड़ करते हुए पालिका की तीन टीमों को विभिन्न स्थानों पर केवल सात स्थान पर ही अवैध होर्डिंग मिले, जिनको जब्त कर लिया गया था। जबकि आम चर्चा के अनुसार शहरी क्षेत्र में हजारों स्थानों पर अवैध होर्डिंग व्यवस्था का मुंह चिढ़ाते हुए आज भी नजर आ सकते हैं।

इतना ही नहीं ईओ प्रज्ञा सिंह ने जब ऐसे ही कुछ मामलों की पड़ताल शुरू की तो उनके सामने एक विज्ञापन एजेंसी की ऐसी पत्रावली भी आई, जिसमें एजेंसी ने शहर के चार स्थानों पर कर विभाग से अपने होर्डिंग आदि लगवाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन विभागीय स्तर पर खेला करते हुए एजेंसी को 14 स्थान की स्वीकृति दे दी गई। पालिका को एजेंसी ने केवल चार स्थान के लिए शुल्क जमा किया था। यह मामला पकड़ में आने के बाद ईओ ने संबंधित लिपिक को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा तो लिपिक का जवाब भी हास्यास्पद रहा। लिपिक ने अपने जवाब में बताया कि मैडल क्लेरिकल मिस्टेक से 04 के स्थान पर 14 टाइप हो गया होगा। इस पर किसी की नजर नहीं पड़ी। जबकि एजेंसी ने 04 स्थान का शुल्क चुकाकर 14 स्थानों पर अपने होर्डिंग लगवा दिये। इसमें यह भी मामला सामने आया है कि विज्ञापन एजेंसी ने सरकूलर रोड के लिए स्वीकृति मांगी और पालिका द्वारा दे दी गई, लेकिन रोड पर किस स्थान पर कितने होर्डिंग लगाये जायेंगे, ये स्पष्ट नहीं किया गया है।

ऐसे दूसरे भी मामले सामने आये तो ईओ प्रज्ञा सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई और गुरूवार से शुरू हुए अवैध होर्डिंग चिन्हीकरण अभियान में कर विभाग के लिपिकों को टीम में शामिल करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी। उन्होंने अपने निर्देशों में स्पष्ट किया है कि तीनों राजस्व निरीक्षक अमरजीत सिंह, अमित कुमार और विजय कुमार ही अपने साथ दूसरे कर्मचारियों को लेकर भौतिक सत्यापन करते हुए सर्वे कर अवैध होर्डिंग और यूनीपोल का स्थानवार ब्यौरा उपलब्ध करायेंगे। टीम किस दिन कहां काम करेगी, इसको भी पूरी तरह से गोपनीय रखने पर जोर दिया गया है, ताकि विभागीय अभियान की कोई भी बात लीक नहीं हो पाये। ईओ प्रज्ञा सिंह का कहना है कि पूर्व में अभियान में कर विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका संदेह में रही है, इसलिए इस बार पूरी सावधानी बरती जा रही है, ताकि इस अभियान में शहरी क्षेत्र में अवैध रूप से हो रहे विज्ञापन प्रचार के मामले की सही तस्वीर हम सामने ला सके और पालिका को राजस्व हानि से बचाने के साथ ही शासन के निर्देशों के अनुसार विज्ञापन प्रचार की व्यवस्था शहर में की जा सके। कार्यवाहक कर अधीक्षक पारूल यादव ने बताया कि चुनाव से पहले चले अभियान में टीम ने सात स्थानों पर अवैध होर्डिंग चिन्हित किये थे, इसके अलावा कहीं अवैध होर्डिंग या यूनीपोल नहीं पाया गया।

विज्ञापन एजेंसियों ने ईओ को लिखा पत्र, सर्वे कराने की मांग

मुजफ्फरनगर। शहरी क्षेत्र में विज्ञापन प्रचार के लिए काम कर रही विज्ञापन एजेंसियों में भी पालिका में रूके नवीनीकरण के कारण परेशानी देखी जा रही है। मई तक भी नवीनीकरण नहीं होने के कारण अवैध कारोबार करने का आरोप झेल रही विज्ञापन एजेंसियों की ओर से पालिका से लिखित में आग्रह किया गया है कि सर्वे कराकर जल्द से जल्द अभियान पूरा करते हुए वैध स्थानों के लिए अनुमति प्रदान की जाये।

पालिका की ओर से शहर में विज्ञापन प्रचार का काम करने वाली 19 विज्ञापन एजेंसियों को कर विभाग की ओर से नोटिस जारी करते हुए अवैध होर्डिंग आदि विज्ञापन प्रचार सामग्री को हटाने के लिए कहा गया था। इसके बाद बुधवार को ईओ प्रज्ञा सिंह ने तीनों राजस्व निरीक्षकों के संयुक्त नेतृत्व में विशेष टीम का गठन करते हुए अवैध होर्डिंग को लेकर अभियान चलाने के निर्देश दिये। गुरूवार को टीम ने अपना काम शुरू कर दिया। इसी बीच पालिका में पंजीकृत भारतीय एडवरटाइजिंग एंड मार्केटिंग और ग्लोबल एडवरटाइजिंग एजेंसियों की ओर से पालिका ईओ को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पालिका शहर में सभी साइटों का भौतिक सत्यापन करते हुए सर्वे कराकर वैध और अवैध होर्डिंग चिन्हित करने का काम जल्द पूरा किया जाये, ताकि विभागीय स्तर पर वैध स्थानों के लिए नवीनीकरण स्वीकृति जल्द मिल सके। ईओ ने बताया कि कई विज्ञापन एजेंसियों ने मौखिक तौर पर भी सर्वे कराने की मांग की। टीम को जल्द काम निपटाने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके बाद अवैध होर्डिंग को हटाने का काम किया जायेगा।

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