लवली व मीनाक्षी मे कौन भाग्यवान, तय करेगा मतदान
नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर की अध्यक्ष पद की लड़ाई अब केवल दो नामों के बीच सिमटी, मैदान में उतरीं हैं 10 महिलाएं, चुनाव प्रचार में अपने नेता पतियों को पछाड़कर खुद को फिट साबित कर रही प्रमुख दावेदार, हर दिन 8 से 10 घंटे किया जा रहा डोर टू डोर जनसम्पर्क
चुनावी शोरगुल अब अपने पूरे शबाब पर आ चुका है। चुनावी माहौल को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए नियम कायदे बदले तो व्यवस्था भी बदली और प्रचार का तौर तरीका भी बदल गया है। अब न कहीं बड़ी सभाओं को रौला सुनाई देता है और न ही कान फोडू भौंपुओं वाला प्रचार का राग। इस बदली व्यवस्था में सबसे ज्यादा प्रभावी चुनाव प्रचार डोर टू डोर जनसम्पर्क को माना गया है। इस बार निकाय चुनाव में कम समय मिलने के कारण प्रचार के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है। अब प्रचार के लिए मात्र दो दिन शेष रह गये है, ऐसे में निकाय चुनाव में अध्यक्ष और सभासद पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों ने ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचकर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर कोशिश करने की तैयारी कर ली है। शहर में अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए नेताओं की किस्मत अपने घर की ‘भाग्यवान’ के भाग्य से जुड़ी हुई है। यहां पर मुख्य मुकाबले की तस्वीर में सामने आने वाले बसपा से सपा की साइकिल पर सवार हुए वरिष्ठ नेता राकेश शर्मा और सपा से भाजपाई हुए पुराने राजनीतिक घराने और औद्योगिक जगत के प्रमुख नाम गौरव स्वरूप के बीच ही मुकाबला बना हुआ था।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सदर विधानसभा के लिए टिकट की दौड़ में दोनों सपा से मजबूत दावेदार थे। दोनों ही टिकट की होड़ में पिछड़े तो गौरव स्वरूप ने पार्टी को ही छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गये। इसके बाद से ही दोनों को निकाय चुनाव में मुजफ्फरनगर पालिका के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मुख्य दावेदार माना जाने लगा था। शुरूआत से ही इन दोनों के बीच ही चुनाव होने की हवा चली तो दोनों की तैयारियां भी तेज होती रही। चुनाव का आरक्षण तय हुआ और यह सीट अनारक्षित कर दी गयी, लेकिन कोर्ट में गई एक रिट के बाद सारा माहौल ही बदल गया। दोबारा हुए आरक्षण में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गयी। राकेश शर्मा और गौरव स्वरूप चूंकि चुनावी तैयारी पूरी कर चुके थे, पार्टियां भी इनको लड़ाने के लिए कमर कस चुकी थी, तो दोनों नेताओं ने अपने घर की ‘भाग्यवान’ को घर की रसोई से निकालकर सियासी मैदान में लाने में देर नहीं की।
इन दोनों प्रत्याशियों लवली शर्मा और मीनाक्षी स्वरूप की बात करें तो सीधे राजनीति में प्रवेश और कम समय में ही जनता से सीधा संवाद करने का इनका यह पहला अनुभव था। मीनाक्षी स्वरूप की बात करें तो वो पुराने सियासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं और परिवार में न जाने कितने चुनाव उन्होंने देखें हैं। लवली शर्मा का राजनीतिक अनुभव जनता से सीधा तो नहीं रहा, लेकिन वो भी अपने पति के पूर्व के चुनाव में प्रचार के लिए सक्रिय रही। पहले इन दोनों ने अपने अपने पतियों के लिए वोट मांगे थे, लेकिन अब इनको अपने लिए वोट मांगने निकलना था। चुनौती कम तो नहीं कही जा सकती, लेकिन सियासी समर में डोर टू डोर चुनाव प्रचार के मुश्किल दौर में इन दोनों ने ही खुद को नम्बर वन साबित किया है।
सपा प्रत्याशी लवली शर्मा रोजमर्रा सवेरे सात बजे अपने घर से टीम के साथ डोर टू डोर भ्रमण पर निकल रहीं हैं और प्रतिदिन करीब 10 घंटे पैदल चलकर ज्यादा से ज्यादा घरों और मतदाताओं तक पहुंचने का उनका क्रम अभी जारी है। ऐसे ही भाजपा की मीनाक्षी स्वरूप सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ डोर टू डोर जनसम्पर्क अभियान पर निकलीं। उनके द्वारा शहर के वार्ड 15 के सभासद पद श्रीमती अंजना शर्मा के साथ शहाबुद्दीनपुर, वार्ड 18 की प्रत्याशी ममता बालियान के साथ कम्बलवाला बाग, वार्ड 09 में प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप ने भी चुनाव प्रचार की बिसात पर खुद को बेहद फिट साबित किया है। वो भी 8 से 10 घंटे तक पैदल भ्रमण कर लोगों को भाजपा के पक्ष में जोड़ने का काम कर रही हैं। इन दोनों प्रत्याशियों के साथ इनके पतियों को भी चुनाव प्रचार में दम लगाना पड़ रहा है, लेकिन महिला प्रत्याशियों ने अपने नेता पतियों को डोर टू डोर भ्रमण के मामले में पछाड़कर रख दिया है।
ऐसी ही चर्चाएं रोजमर्रा गली मौहल्लों और चौक चौराहों पर हो रही चुनावी पंचायत में लोग खूब कर रहे हैं। अब बात भाग्य की करें तो गौरव स्वरूप ने सदर विधानसभा सीट पर सपा से दो बार चुनाव लड़ा और दोनों ही बार उनका चुनाव अच्छा रहा, लोगों का भरपूर प्यार उनको मिला, लेकिन वो अपने पिता पूर्व मंत्री स्व. चितरंजन स्वरूप की तरह जीत हासिल नहीं कर पाये। इसी प्रकार उनके सामने चुनाव मैदान में आये राकेश शर्मा ने भी बसपा प्रत्याशी के रूप में सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और मजबूत प्रदर्शन किया, लेकिन दुर्भाग्यवश वो भी चुनाव नहीं जीत पाये।
अब दोनों की सियासत अपने अपने घरों की ‘भाग्यवान’ के भाग्य पर निर्भर होकर रह गयी है। लोग कह भी रहे हैं कि दोनों में एक को जीतना है, ऐसे में जो जीता वही सिकंदर कहलायेगा, लेकिन जो भी जीता उसके राजनीतिक करियर के बनने में एक महिला का ही हाथ होगा। बात साफ है कि इन नेताओं के सियासी भविष्य में इनकी पत्नियों का किस्मत कनैक्शन जुड़ गया है। अब लवली शर्मा और मीनाक्षी स्वरूप में से कौन हकीकत में ‘भाग्यवान’ साबित होगा ये तो जनता का मतदान ही तय करेगा, लेकिन इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि सियासी बिसात पर फिसल जाने वाले इन दोनों नेताओं का भाग्य इनकी ‘भाग्यवान’ ही रोशन करने वाली साबित होंगी।