धूप दशमी पर उत्तम तप की आराधना व आत्म कल्याण की कामना
सुगंध दशमी व्रत कथा पढ़ने का साथ-साथ सभी जैन जिनालयों में 24 तीर्थंकरों, पुराने शास्त्रों तथा जिनवाणी के सम्मुख चंदन की धूप अग्नि पर खेवन किया गया। 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी और 21 सितंबर को अपनी परंपरागत तिथि के अनुसार क्षमापर्व यानी क्षमावाणी पर्व/ पड़वा ढोक का पर्व मनाया जाएगा।
मुजफ्फरनगर। जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व में आज धूपदशमी के उपलक्ष में वहलना मंदिर में पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर उत्तम तप धर्म की आराधना कर आत्म कल्याण की कामना की कामना की गई।
सुगंध दशमी व्रत कथा पढ़ने का साथ-साथ सभी जैन जिनालयों में 24 तीर्थंकरों, पुराने शास्त्रों तथा जिनवाणी के सम्मुख चंदन की धूप अग्नि पर खेवन किया गया। 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी और 21 सितंबर को अपनी परंपरागत तिथि के अनुसार क्षमापर्व यानी क्षमावाणी पर्व/ पड़वा ढोक का पर्व मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष दशलक्षण पर्युषण महापर्व के अंतर्गत आने वाली भाद्रपद शुक्घ्ल दशमी को दिगंबर जैन समाज में सुगंध दशमी का पर्व मनाया जाता है। इसे धूप दशमी, धूप खेवन पर्व भी कहा जाता है। यह व्रत पर्युषण पर्व के छठवें दिन दशमी को मनाया जाता है। इस पर्व के तहत जैन धर्मावलंबी सभी जैन मंदिरों में जाकर श्रीजी के चरणों में धूप अर्पित करते हैं। जिससे वायुमंडल सुगंधित व स्घ्वच्घ्छ हो जाता है। धूप की सुगंध से जिनालय महक उठते है।
वहलना जैन मंदिर के महामंत्री राजकुमार जैन नावला वालों ने बताया कि सुगंध दशमी व्रत का दिगंबर जैन धर्म में काफी महत्व है और महिलाएं हर वर्ष इस व्रत को करती हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य के सारे अशुभ कर्मों का क्षय होकर पुण्य की प्राप्ति होती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इस व्रत का फल बताया गया है। सुगंध दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पांच पापों के त्याग रूप व्रत को धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, मंदिर में जाकर भगवान की पूजा, स्वाध्याय, धर्मचिंतन-श्रवण, सामयिक आदि में अपना समय व्यतीत करने का महत्व है। इस दिन जैन धर्मावलंबी अपनी-अपनी श्रद्धानुसार कई मंदिरों में अपने शीश नवाकर सुंगध दशमी का पर्व बड़े ही उत्साह और उल्लासपूर्वक मनाते हैं।
नगर के सभी जैन मंदिरों में विशेष तौर पर साज-सज्जा, आकर्षक मंडल विधान सजाने के साथ-साथ मनोहारी झांकियों का निर्माण किया गया। सुगंध दशमी कथा का वाचन किया गया तथा उत्तम तप धर्म की आराधना कर आत्म कल्याण की कामना की कामना की गई।