वायनाड भूस्खलन पर केंद्र सरकार को घेरा
विझिंजम बंदरगाह को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की निर्मला सीतारमण को चिट्ठी
तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने विझिंजम बंदरगाह को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी के माध्यम से उन्होंने विझिंजम बंदरगाह के लिए केंद्र की 817.80 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी जारी करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य को बाद में इस राशि को चुकाने की शर्त न रखी जाए। विजयन ने चिट्ठी में बताया कि राज्य 8867 करोड़ रुपये के कुल परियोजना परिव्यय में से 5,595 करोड़ रुपये के संसाधनों का निवेश कर रहा है।
केरल के सीएम पिनरई विजयन ने कहा, "मुझे यकीन है कि माननीय मंत्री इस बात की सराहना करेंगे कि केरल जैसे छोटे से राज्य का निवेश में जबरदस्त बलिदान है।" उन्होंने आगे कहा, "817.80 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान एनपीवी के आधार पर किया जाना है। इससे राज्य के खजाने को 10,000 से 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।" विजयन ने बताया कि भारत में बंदरगाह देश में जमा किए गए सीमा शुल्क का एक बड़ा हिस्सा लेते हैं। अगर विझिंजम बंदरगाह को भी सीमा शुल्क के माध्यम से सालाना 10,000 करोड़ रुपये का हिसाब देना होता तो भारत सरकार को हर साल 6,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता में कमी को देखते हुए केरल सरकार ने केंद्र पर हमला बोला। राज्य सरकार ने भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ पर केरल के विकास को रोकने का भी आरोप लगाया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने यह बयान 31 अक्तूबर, शुक्रवार को राज्य के 68वें स्थापना दिवस - 'केरलप्पिरावी' से पहले की। विजयन ने केंद्र पर केरल को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वायनाड में भूस्खलन के 90 दिन बाद भी वहां पुनर्वास कार्य के लिए केंद्र सरकार ने एक पैसे मंजूर नहीं किया। विजयन ने दावा किया कि दूसरे राज्यों में प्राकृतिक आपदा के बाद उनके बोलने से पहले ही केंद्र सरकार की तरफ से मदद भेज दी जाती है, लेकिन केरल को मांगने के बावजूद नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, "केरल को जानबूझकर और राजनीतिक उद्देश्य से नजरअंदाज किया जा रहा है।" कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय विपक्ष (कांग्रेस) मूकदर्शक बना हुआ है। उन्होंने दावा किया कि केरल हाईकोर्ट के निर्देश और राज्य विधानमंडल के अनुरोधों के बावजूद केंद्र पुनर्वास कार्य के लिए राज्य द्वारा मांगी गई 1,202 करोड़ रुपये की सहायता देने के लिए तैयार नहीं है।