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कांग्रेस नेता के होटल पहुंचे बीजेपी के विधायक, देर रात जबरदस्ती कराई वापसी

कांग्रेस नेता के होटल पहुंचे बीजेपी के विधायक, देर रात जबरदस्ती कराई वापसी
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राजस्थान में स्थिति बड़ी ही दिलचस्प बनी हुई है। भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत है, लेकिन मुख्यमंत्री का सर्वसम्मत चेहरा नहीं है। आलाकमान ने भी अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। इसी का नतीजा है कि विधायकों की बाड़ेबंदी की आशंकाएं व्यक्त की जाने लगी हैं। रात को भाजपा के पांच से अधिक विधायक एक कांग्रेस नेता के होटल में चले गए थे। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जोर-जबरदस्ती कर उन्हें वापस बुलाया। इस दौरान हाथापाई होने की नौबत आ गई थी। राजस्थान में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं आया है। नतीजे आने से तीन दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने निर्दलीय प्रत्याशियों को फोन लगाने शुरू कर दिए थे। इतना ही नहीं उन प्रत्याशियों को भी फोन लगाने शुरू कर दिए थे, जिनके जीतने की संभावना थी। नतीजे आने के अगले ही दिन करीब 45 विधायकों को अपने घर दावत पर बुला लिया था। दो दिन तक लगातार विधायकों से मेल-जोल बढ़ाया तो इसे उनका शक्ति प्रदर्शन माना गया। हालांकि, उन्होंने मीडिया से कहा कि वह पार्टी की एक अनुशासित सिपाही हैं। मेल-मुलाकात का दौर विधायकों के साथ था।

एक ओर वसुंधरा राजे भाजपा विधायकों से मिल रही थीं तो दूसरी ओर मंगलवार शाम सीकर रोड स्थित एक कांग्रेस नेता के होटल पर भाजपा के पांच से अधिक विधायक पहुंच गए। शीर्ष नेताओं को पता चला तो वे इन विधायकों को होटल लेने के लिए पहुंच गए। विधायक आने को तैयार नहीं थी। जोर-जबरदस्ती की गई तो हाथापाई की नौबत आ गई थी। हालांकि, बड़े नेताओं ने फोन पर समझाइश दी तब जाकर उन विधायकों को भाजपा कार्यालय लाया गया। ऐसा ही एक मामला बुधवार को भी सामने आया। सुगबुगाहट है कि दिल्ली रोड स्थित एक होटल पर कुछ विधायक पहुंच गए थे। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन राजस्थान की सियासत की गहमागहमी को देखते हुए हर कोई सतर्क है। अब देखना यह है कि भाजपा किसे अपना सीएम चेहरा बनाती है। तीन साल पहले जुलाई-2020 में सचिन पायलट ने बगावत की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी सरकार बचाने के लिए दिल्ली रोड स्थित फेयरमाउंड होटल में बाड़ेबंदी करनी पड़ी थी। फेयरमाउंट के बाद विधायकों को जयपुर से निकालकर जैसलमेर स्थित किले नुमा पांचसितारा होटल में ले जाया गया था। ये बाड़ेबंदी कुल 37 दिन तक चली थी।

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