भीड़ इकट्ठा होने से सरकारें बदल जाती हैंः राकेश टिकैत
केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को नई ताकत देने के लिए देश के दौरे पर निकले भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हरियाणा के खरखौदा में किसान महापंचायत में केन्द्रीय कृषि मंत्री को ठेठ अंदाज में करार जवाब देने का काम किया।
सोनीपत। किसान आंदोलन को मजबूती देने और केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी समर्थन जुटाने की मुहिम पर निकले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री कहा करते हैं कि भीड़ जुटने से कानून नहीं बदला करते, तो वह यह याद रखें कि भीड़ जुटने से कानून तो क्या सरकारें बदल जाती हैं।
सोमवार को हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखौदा शहर में एक किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि उन्हें (सरकार को) पता होना चाहिए कि जब किसान इस आंदोजन को जीवित रखने के लिए खेतों में खड़ी अपनी उपज को नष्ट कर सकते हैं, तो आप उनके सामने कुछ भी नहीं हैं।
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— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) February 22, 2021
बता दें कि रविवार को ग्वालियर में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा था कि केंद्र सरकार किसानों से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन किसान नेताओं को यह बताना चाहिए कि इन कानूनों में किसान विरोधी क्या है। कृषि मंत्री ने यह भी कहा था कि भीड़ जमा होने से कानून नहीं बदले जाते हैं। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा था कि सरकार कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है और अगर आंदोलनकारी किसानों के शुभचिंतक हैं, तो उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि कौन से प्रावधान समस्याग्रस्त हैं।
कृषि मंत्री की इसी टिप्पणी को किसान महापंचायत में राकेश टिकैत ने अपने अंदाज में उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार किसान हितों के नाम पर जो तीन कानून लेकर आई है, उनको लेकर कई सवाल ह, यह केवल कृषि कानून नहीं हंै, ये किसानों को बर्बाद करने का परवाना है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के मंत्रियों का कहना है कि किसानों को कानूनों के बारे में जानकारी नहीं है। एक किसान के लिए, कानून ठीक हैं, अगर उनकी फसल उचित मूल्य पर खरीदी जाती है। यदि आप आधे दामों पर उनकी फसल खरीदते हैं, तो आप कानूनों के बारे में क्या बताएंगे। राकेश टिकैत ने नरेन्द्र तोमर को जवाब देते हुए कहा कि उनको यह नहीं भूलना चाहिए कि भीड़ इकट्ठा होने से कानून तो क्या सरकार भी बदल जाती है। राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है, जिन्हें कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।