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देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये पहाडों से लेकर समुद्र तटों तक सडकों का निर्माण बेहद जरूरीः मोदी

देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये पहाडों से लेकर समुद्र तटों तक सडकों का निर्माण बेहद जरूरीः मोदी
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें गणतंत्र दिवस पर लालकिला की प्राचीर से आज देश को संबोधित करते हुए कहा कि ढांचागत विकास से ही देश की सीमाओं को सुरक्षित रखा जा सकता है और इसके लिए कठोर पहाड़ों से लेकर समुद्र तटों तक ढांचागत विकास को महत्व दिया जा रहा है और प्रमुखता से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा में हमारे बाॅर्डर और कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर की भी बहुत बड़ी भूमिका है। हिमालय की चोटियां हों या हिंद महासागर के द्वीप, आज देश में रोड और इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है, तेज गति से विस्तार हो रहा है। उत्तर और मध्य अंडमान में सड़क ढांचे को मजबूत करने के लिए दो बड़े पुल और राष्ट्रीय राजमार्ग चार के चैड़ीकरण पर तेजी से काम हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे पड़ोसी सिर्फ वही नहीं हैं, जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं बल्कि वे भी हैं जिनसे हमारे दिल मिलते हैं। जहां रिश्तों में समरसता होती है, मेल जोल रहता है। हमारे पड़ोसी देशों के साथ, चाहे वो हमसे जमीन से जुड़े हों या समंदर से, अपने संबंधों को हम सुरक्षा, विकास और विश्वास की साझेदारी के साथ जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट कुछ महीनों में एक साथ 1200 यात्रियों को हैंडल करने की क्षमता के साथ तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट काल में हमने देखा कि बहुत सी चीजों के लिए हम कठिनाई में हैं। दुनिया से लाना है और दुनिया दे नहीं पा रही है। हमारे देश के नौजवानों ने , उद्यमियों ने , उद्योग जगत के लोगों ने यह बीड़ा उठा लिया कि जिस देश में पहले एन95 मास्क नहीं बनते थे, बनने लगे, पीपी किट नहीं बनते थे, बनने लगे, वेंटिलेटर नहीं बनते थे, बनने लग गये। देश की आवश्यकताओं की पूर्ति तो हुई लेकिन साथ ही जब दुनिया को जरुरत हुई और आत्मनिर्भर भारत दुनिया को कैसे मदद करता है, हमने देखा। विश्व की भलाई में भारत का योगदान बढ़ाना हमारा दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के काल खंड में स्वास्थ्य क्षेत्र की तरफ ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक है। आत्मनिर्भरता की सबसे बड़ी सीख स्वास्थ्य क्षेत्र ने हमें संकट के इस काल में सीखा दी है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें आगे भी बढ़ना है। कोरोना संकट से पूर्व देश में मात्र एक कोरोना टेस्टिंग लैब थी लेकिन अब 1,400 लैब हिंदुस्तान के हर कोने में फैला है। जब कोरोना का संकट आया तब एक दिन में मात्र 300 टेस्ट हो पाते थे लेकिन अब हर दिन सात लाख से ज्यादा टेस्ट हो पा रहे हैं। स्वास्थ्य का क्षेत्र जब आत्मनिर्भर बनता है तो दुनिया में स्वास्थ्य पर्यटन स्थल के रूप में ख्याति पाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

इतिहास गवाह है कि भारत एक बार अगर ठान लेता है तो भारत करके रहता है। कोरोना महामारी के दौरान जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो दुनिया को उत्सुकता भी है और अपेक्षा भी है और उस अपेक्षा को पूरा करने के लिए अपने आप को योग्य बनाना बहुत आवश्यक है। अपने आप को तैयार करना बहुत आवश्यक है। जगकल्याण के लिए हमें खुद को सामथ्र्यवान बनाना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि जब कोरोना की बात आती है, हर किसी के मन में सवाल आता है कि कोरोना की वैक्सीन कब आयेगी। मैं देशवासियों को एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे देश के वैज्ञानिक, हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा एक ऋषि मुनि की तरह लैबोरेट्री में जीजान से जुटी है। देश के वैज्ञानिक अखंड एकनिष्ठ तपस्या कर रहे हैं। बड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन वैक्सीन परीक्षण के अलग-अलग चरण में हैं। जब वैज्ञानिकों से हरी झंडी मिल जायेगी, बड़े पैमाने पर उनका उत्पादन होगा। बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारियां पूरी हैं। इसके साथ ही वैक्सीन हर राज्य तक कम से कम समय में कैसे पहुंचे, उसकी रूपरेखा भी तैयार है।

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