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हाईकोर्ट में एडवोकेट की नियुक्ति पर खींचतान

एलजी और उमर की पसंद में अटका जनरल का चयन

हाईकोर्ट में एडवोकेट की नियुक्ति पर खींचतान
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जम्मू । जम्मू-कश्मीर लद्दाख हाईकोर्ट पिछले 10 दिन से बिना एडवोकेट जनरल के है और ऐसा पहली बार हुआ है। यूं कहें कि इस पद पर नियुक्ति राजनीतिक पचड़े में फंस गई है। दरअसल, एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में सरकारी मामलों का पक्ष रखते हैं। नेकां चाहती है कि उनकी पसंद का एडवोकेट जनरल बने, जो सरकारी मामलों में सरकार का पक्ष रखे। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय चाहता है कि उनकी मर्जी का एडवोकेट जनरल बने, ताकि सरकारी मामलों की पैरवी में केंद्र की चले। गृह विभाग है भी एलजी के पास। ऐसे में इस पद की नियुक्ति एलजी और उमर की पसंद में अटक गई है। इसी खींचतान में अब तक नियुक्ति नहीं हो रही। हालांकि नियुक्ति का अधिकार एलजी के पास है।

जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 से पहले सेक्शन 42 के तहत एलजी सरकार की सिफारिश पर एडवोकेट जनरल नियुक्त करते थे। मंत्री परिषद इसकी सिफारिश करता था। पुनर्गठन होने के बाद सेक्शन 42 में संशोधन करते हुए सेक्शन 79 लाई गई। इस सेक्शन में एडवोकेट जनरल नियुक्त करने के अधिकार पूरी तरह से एलजी के पास हैं। वे किसी सिफारिश के लिए बाध्य नहीं हैं। यदि एलजी के पास सरकार की तरफ से किसी एडवोकेट जनरल को नियुक्त करने की सिफारिश जाती भी है तो वे इसे खारिज कर सकते हैं। हालांकि सरकार और एलजी के बीच नियुक्ति के लिए मंथन किया जा रहा है।

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