बताओ किससे जान का खतरा है तभी मिलेगा शस्त्र लाइसेंस
नए शस्त्र लाइसेंस बनाने के लिए जिलाधिकारी के पास रोजाना किसी न किसी की सिफारिश आती रहती है। ऐसे यह तय कर पाना मुश्किल है कि आखिर किसे शस्त्र लाइसेंस की अत्यंत आवश्यकता है।
गाजियाबाद। शस्त्र लाइसेंस के लिए लंगी कतारें हैं। लेकिन अब आवेदकों को अब बताना होगा कि उन्हें किससे खतरा है? यह भी कि उन्हें शस्त्र लाइसेंस की आवश्कता क्यों है? थाना पुलिस व एलआईयू आवेदक की फाइल पर इसकी रिपोर्ट लगाकर ही जिलाधिकारी को भेजेगी। बिना इस रिपोर्ट के पुलिस रिपोर्ट नकरात्मक मानी जाएगी।
गाजियाबाद में शस्त्र लाइसेंस बनवाने वालों की लंबी कतार के चलते आवेदन फार्म की बिक्री तक बंद करनी पड़ती है। वर्तमान में जनपद में साढ़े 13 हजार लोगों को पास शस्त्र लाइसेंस हैं। तीन हजार से ज्यादा आवेदन जिलाधिकारी कार्यालय में लंबित हैं। नए शस्त्र लाइसेंस बनाने के लिए जिलाधिकारी के पास रोजाना किसी न किसी की सिफारिश आती रहती है। ऐसे यह तय कर पाना मुश्किल है कि आखिर किसे शस्त्र लाइसेंस की अत्यंत आवश्यकता है। इसके लिए जिलाधिकारी ने नए आवेदकों की फाइल पर पुलिस व एलआईयू से आख्या मांगी है कि सभी आवेदकों की जांच करके उनकी सुरक्षा का आंकलन किया जाए। उसके बाद लाइसेंस देने या न देने की संस्तुति की जाए।
आवेदनों की जांच दोबारा शुरूरू जिलाधिकारी के आदेश के बाद शस्त्र अनुभाग ने सभी लंबित फाइलों को एसएसपी कार्यालय भेज दिया गया है। यहां सभी थानों को उनके क्षेत्र की फाइल भेजकर आख्या मांगी गई है। इन फाइलों में नए आवेदनों के साथ पुराने आवेदन भी शामिल है। जिला मुख्यालय पर छह माह से ज्यादा लंबित फाइल की जांच दोबारा कराई जाती है। ऐसे में ऐसी फाइलों की भी दोबारा जांच हो रही है कि कहीं आवेदक के खिलाफ इस बीच कोई अपराधिक मुकदमा तो दर्ज नहीं किया गया है।