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कोरोना के बोझ ने छीन ली बचपन की मुस्कुराहट

अध्ययन में शामिल 34.5 प्रतिशत बच्चों में तनाव के लक्षण देखे गए। 41.7 प्रतिशत बच्चे अवसाद से पीड़ित थे, वहीं 42.3 प्रतिशत बच्चों में चिड़चिड़ापन और 30.8 प्रतिशत बच्चों में ध्यान न लगने की समस्या जैसे गम्भीर लक्षण देखे गए।

कोरोना के बोझ ने छीन ली बचपन की मुस्कुराहट
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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते लगातार लॉक डाउन और क्वारंटाइन से बच्चों का मानसिक स्वस्थ्य प्रभावित हो रहा है। एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि कोरोना महामारी की वजह से 41.7 फीसदी बच्चे अवसाद का शिकार हुए हैं और वहीं 79.4 फीसदी बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

कोरोना काल में बच्चों के व्यवहार पर एम्स के डॉक्टरों ने अलग अलग 15 शोध के विश्लेषण के अध्ययन के बाद यह दावा किया है। इन शोध में 22,996 बच्चों को शामिल किया गया था। विश्लेषण वाले अध्ययन की सहलेखक और एम्स की बाल रोग विभाग की प्रोफेसर डाक्टर शेफाली गुलाटी ने बताया कि बच्चों पर महामारी के बड़े मानसिक दुष्प्रभाव दिखाई दिए हैं। अध्ययन में शामिल 34.5 प्रतिशत बच्चों में तनाव के लक्षण देखे गए। 41.7 प्रतिशत बच्चे अवसाद से पीड़ित थे, वहीं 42.3 प्रतिशत बच्चों में चिड़चिड़ापन और 30.8 प्रतिशत बच्चों में ध्यान न लगने की समस्या जैसे गम्भीर लक्षण देखे गए।

इसके अलावा कोरोना महामारी में अपनों को खो देने, परिवार की आर्थिक स्थिति, परिजनों की नौकरी जाने और बीमार पड़ जाने का डर भी बच्चों में साफ देखा गया। अध्ययन में शामिल 79.4 प्रतिशत बच्चों पर महामारी और क्वारंटाइन का नकारात्मक प्रभाव पड़ा और 22.5 प्रतिशत को कोरोना की वजह से काफी डर लगा। डॉक्टर शेफाली गुलाटी का कहना है कि बच्चों और किशोरों दोनों में कोरोना का भय अधिक देखा गया। इस शोध में यह भी पता चला कि 35.2 प्रतिशत बच्चों की नींद खराब हो गई और नींद न आने जैसी समस्या हो गई। इसके चलते बच्चों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड रहा है।

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