भारत में सारी व्यवस्था ध्वस्त, जनता की कठिनाइयां बढ़ीं: मार्कंडेय काटजू
दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू बेबाक और विवादित टिप्पणी के लिए खासे मशहूर है। एक बार फिर वह मीडिया और राजनेताओं पर जबरदस्त टिप्पणी करके सुर्खियों में हैं। मीडिया पर जोरदार हमला बोलते हुए मार्कंडेय काटजू ने कहा कि क्रांति की बात करने वालों की आवाज दबाने वाला भारतीय मीडिया आजादी का मंत्र जपने का हकदार नहीं है। इसी कड़ी में पाकिस्तानी मीडिया के लिए भी उन्होंने कहा कि भारतीय और पाकिस्तान की मीडिया स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को लेकर शब्दों में मुखर रहते हैं लेकिन बात जब क्रांति की हो तो बोलने से परहेज करते हैं। उन्होंने कहा , क्रांति से भारतीय मीडिया को बहुत परहेज है, लगता है वह कोई छूत की बीमारी हो। काटजू ने कहा की गंभीर समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाने के लिए मीडिया सुशांत सिंह राजपूत, प्रशांत भूषण और रिया चक्रवर्ती से जुड़े मुद्दों को अनावश्यक तूल देती है।
इन्हें लेकर झूठ का पहाड़ खड़ा कर देती है ताकि जनता से जुड़े मुद्दे दब जाएं। उन्होंने कहा मीडिया के गैर जिम्मेदाराना रवैया से लोग ऊब चुके हैं और उन्होंने अब गंभीर मसलों से निपटने की समझ खुद विकसित कर ली है। काटजू ने कहा पिछले कुछ वर्षों में भारत की व्यवस्था गर्त में चली गई है, संस्थान अपनी साख खो चुके हैं। वहीं जनता की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा यहां बड़े पैमाने पर गरीबी बढ़ने के साथ ही बेरोजगारी की समस्या भी बहुत विकराल हो चुकी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी का हवाला देते हुए कहा अप्रैल 2020 में 12 करोड़ भारतीय अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। हर दूसरा भारतीय बच्चा कुपोषित है, स्वास्थ्य सेवा बदहाल है, उच्च गुणवत्ता परक शिक्षा हासिल करना एक ख्वाब है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, फसल का वाजिब दाम ना मिलने के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा सरकार की गलत नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था बदहाली की ओर निरंतर अग्रसर है। ऑटो सेक्टर सहित लाभ में चल रहे हैं अधिकतर उद्योग के मुनाफे में लगातार गिरावट आ रही है। हजारों फैक्ट्रियों में तालाबंदी हो गई है, जीडीपी अब तक के ऐतिहासिक स्तर अप्रैल-जून 2020 में - 23 परसेंट पहुंच गई है।
उद्योगों का बुरा हाल है, इस पर बात ना करके मीडिया और राजनेता राम मंदिर जैसे मुद्दों को तूल दे रहे हैं और दिन-रात इस पर चर्चा होती है कि कैसे जनता को बेवकूफ बनाकर पुनः सत्ता हासिल की जाए। उन्होंने कहा यूरोपीय देशों, उत्तरी अमेरिका, जापान और चीन की तरह हमारे देश में भी एक आधुनिक औद्योगिक विचारधारा होनी चाहिए। भारतीय राज नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं को भारत में औद्योगिकीकरण से परहेज है। उनका सारा जोर इस बात पर रहता है कि अगला चुनाव कैसे जीता जाए। हमारे यहां हमेशा चुनाव का माहौल रहता है। किसी ने किसी राज्य में 8-9 महीने में चुनाव होते रहते हैं जैसे इस वर्ष बिहार और पश्चिम बंगाल में होने को हैं। उन्होंने कहा मीडिया और राजनेताओं का फोकस सिर्फ चुनाव पर रहता है।