अयोध्या में गरजे नरेश टिकैत-सरकार नहीं सुन रही, इसलिए रामलल्ला से प्रार्थना करने आये
किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत भी किसान पंचायत करने के लिए निकले हैं। अयोध्या में उन्होंने सरकार पर किसानों की अनदेखी करने के आरोप लगाये हैं।
अयोध्या। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ तीन महीने से चल रहे किसान आंदोलन को नई मजबूती देने के लिए भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत के दोनों बेटे नरेश और राकेश लगातार किसानों के बीच पहुंचकर पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं। इसी कड़ी में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत ने आज अयोध्या पहुंचकर केन्द्र सरकार और भाजपा की नीतियों पर बड़े सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम हमारे पूर्वज हैं और किसानों की फरियाद लेकर प्रार्थना करने हम यहां रामलल्ला के दर्शन करने के लिए आये है, क्योंकि सरकार किसानों का ना तो दर्द समझ रही है और ना ही फरियाद ही सुन पा रही है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने सहयोगियों के साथ गुरुवार को राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला का दर्शन किया। इस मौके पर उन्होंने केंद्र सरकार को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की। इससे पहले उन्होंने हनुमानगढ़ी में भी माथा टेका। रामलला के दर्शन के उपरांत उन्होंने आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि हमारी लड़ाई जमीन बचाने की है और सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही तो रामलला से गुहार लगाने हम यहां पर आए हैं। उन्होंने कहा कि हम भी सूर्यवंशी हैं। रामलला हमारे पूर्वज हैं। उनका मंदिर बन रहा है, यह हमारे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है। यहां आकर हमें भी बहुत अच्छा लग रहा है। अयोध्या पहुंचे भाकियू प्रमुख चौ. नरेश टिकैत बस्ती में आयोजित किसान महापंचायत में हिस्सा लेने जा रहे थे। इसके चलते वह बुधवार की देर शाम ही यहां पहुंच गए थे और रात्रि विश्राम के बाद सुबह दर्शन-पूजन कर अपने गंतव्य पर आगे बढ़ गए।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन को तीन महीने तीन दिन हो गए हैं, लेकिन सरकार जानबूझकर कर मामले को लंबा खींच रही है, जिससे आंदोलन प्रभावित हो लेकिन हम डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि बिना मांग पूरी हुए हम किसानों के बीच किस मुंह से जाएंगे। हमारे आह्वान पर बूढ़े-बुजुर्ग किसान दिन-रात आंदोलन में शरीक हुए। उन्हें हम कैसे छोड़ सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की कथनी-करनी में बहुत बड़ा अंतर है। भाजपा सरकार किसान-मजदूरों की विरोधी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में किसानों के विरोध का प्रभाव दिखाई पड़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन देशव्यापी होता जा रहा है। हम किसी पार्टी के समर्थक नहीं हैं। हमारा किसान संगठन अराजनैतिक है, हमने कभी भी किसी भी दल का समर्थन या विरोध नहीं किया, किसानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का काम हम करते रहे हैं और कर रहे हैं, लेकिन भाजपा की किसान विरोधी नीतियों को देखकर हमने निर्णय लिया है कि हम सभी किसानों के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी बात जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे। पश्चिम बंगाल से लेकर दूसरे राज्यों में भी जाएंगे और जनता के बीच भाजपा सरकारों का कच्चा-चिट्ठा खोलेंगे। उन्होंने कहा कि हम जनता से अपील करेंगे कि किसी भी पार्टी को वोट दे देना लेकिन भाजपा को वोट मत देना। उन्होंने कहा कि भाजपा किसान आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है। किसान नेताओं को फंसाया जा रहा है, मुकदमे का भय दिखाया जा रहा, लेकिन यह सरकार और भाजपा के लोग किसी भी साजिश में कामयाब नहीं होंगे।