सेटेलाइट बताएगा कहां है रेलगाडी और कब पहुंचेगी स्टेशन
अब इसरो के सेटेलाइट बताएंगे कि स्टेशन से छूटने के बाद ट्रेन कहां पहुंची है?
मुंबई। अब इसरो के सेटेलाइट बताएंगे कि स्टेशन से छूटने के बाद ट्रेन कहां पहुंची है? अभी जीपीएस के जरिए मिलने वाली ऐसी जानकारी रेल राडार पर आती थी, लेकिन उन पर ज्यादा विश्वास नहीं होता था। अब सेटेलाइट की निगाह से इसकी सटीक जानकारी मिलेगी।
रेलवे सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रेलगाडियों की लोकेशन के लिए अब सेटेलाइट के आधार पर नेशनल ट्रेन इंक्वायरी को अपग्रेड किया जा रहा है। यह कार्य पूरा होने के बाद रेलगाडियों की जानकारी रीयल टाइम इंफाॅर्मेशन सिस्टम ;आरटीईएसद्ध के आधार पर मिलेगी। इसके लिए इंजनों में एक डिवाइस लगाया जा रहा है, जो जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की गति पढ़कर बताता रहेगा कि टेªन किस स्थान पर मौजूद है। अभी तक 27 हजार इंजनों में यह डिवाइस लगाए जा चुके हैं जबकि छह हजार इंजनों में इन्हें लगाने की प्रक्रिया चल रही है। अभी तक स्थिति यह है कि रेल गाडियों की लोकशन स्टेशन से स्टेशन की मिलती है। दो स्टेशनों के बीच की लोकेशन औसत रफ्तार के अनुसार तय की जाती है। अब सेटेलाइट आधारित सिस्टम लागू होने के बाद रेलगाडी के स्टेशन पर पहुंचने का सही समय और उसकी सही लोकेशन जानना आसार हो जाएगा। इससे यात्रियों को रेलगाडियोें की लोकेशन जानने में काफी सुविधा मिलेगी और वे जान पाएंगे कि उनकी टेªन कितनी लेट है और कब तक पहुंचेगी। रेलवे की पहल पर इसरो ने सैटेलाइट के जरिए इस पर कार्य करना भी शुरू कर दिया है। अभी तक नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम में ट्रेन जब यार्ड या स्टेशन पर प्रवेश करती है तो समय का डाटा कंट्रोल रूम में बैठा कंट्रोलर सिस्टम पर फीड करता है। इससे केवल अभी स्टेशन से स्टेशन की लोकेशन पता चलती है।