गैंगस्टर नीरज बाबा के लिए फर्जी जमानत कराने के आरोप में अधिवक्ता योगेन्द्र कुमार की गिरफ्तारी और जेल भेजने से रोष
मुजफ्फरनगर। कचहरी परिसर में बुधवार को एक अनहोनी घटना घटी जब पुलिस ने गैंगस्टर नीरज बाबा के लिए फर्जी जमानत कराने के आरोप में अधिवक्ता योगेन्द्र कुमार को गिरफ्तार किया। यह कार्यवाही कचहरी में हलचल का कारण बनी और गुरुवार को बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने इसका विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। यह पहला मामला है जब पुलिस ने किसी अधिवक्ता के खिलाफ इस प्रकार की कार्यवाही की है, जो कचहरी में गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। पुलिस की इस कार्यवाही ने कचहरी के माहौल को गरम कर दिया है और इसने कई सवाल भी खड़े किए हैं, जिनका जवाब अदालत और प्रशासन को देना होगा।
गैंगस्टर नीरज बाबा, जो पूर्व में कई संगीन अपराधों में संलिप्त रहा है, उसको फर्जी जमानत दिलाने के आरोप में बुधवार को पुलिस ने अधिवक्ता योगेन्द्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब पुलिस ने आरोप लगाया कि अधिवक्ता ने जानबूझकर नीरज बाबा के खिलाफ चल रहे मामले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत दिलवाने की कोशिश की। इनमें एक जमानतदार की मौत तो जमानत आवेदन से 14 साल पूर्व हो चुकी थी। दर्ज कराये गये मुकदमे के अनुसार इस मामले में पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि अधिवक्ता योगेन्द्र कुमार ने जमानत देने वाले दस्तावेजों में हेर-फेर किया था, जो एक गंभीर अपराध है। इस पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने अधिवक्ता के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था।
अधिवक्ता की गिरफ्तारी के बाद कचहरी में माहौल गर्म हो गया। गुरुवार को कचहरी के परिसर में सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ये अधिवक्ता न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप और पुलिस की कार्यवाही के तरीके पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने यह आरोप लगाया कि इस तरह के कदम से कचहरी के स्वतंत्रता और पेशेवर प्रतिष्ठा को चोट पहुंचेगी। प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि बिना ठोस सबूत और उचित न्यायिक प्रक्रिया के किसी अधिवक्ता को गिरफ्तार करना न्यायिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। कचहरी के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति को लेकर गुस्सा और असंतोष देखा गया। अब यह देखना बाकी है कि पुलिस की इस कार्यवाही से कचहरी में पेशेवर माहौल पर क्या प्रभाव पड़ेगा।






