वामपंथी युवाओं पर कांग्रेस के डोरे
सूत्रों के मुताबिक सीपीआई में कन्हैया कुमार खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और नेतृत्व से खफा हैं। मंगलवार को उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
नई दिल्ली। वामपंथ भले ही भारत में फेल हो चुका है, लेकिन इसी की विचार धारा पर चल रही कांग्रेस को अब लग रहा है कि वामपंथ के युवा चेहरे उनकी पार्टी को संजीवनी दे सकते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी से वापमंथी नेता कन्हैया कुमार की मुलाकात के बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि वह पार्टी में शामिल हो सकते हैं। गुजरात में पटेल आंदोलन के नेता रहे वामपंथी चेहरे हार्दिक पटेल को कांग्रेस पहले ही पार्टी में शामिल कर चुकी है और प्रदेश नेतृत्व का हिस्सा बनाया है। अब कन्हैया, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं को बीते कुछ अरसे में गए जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुष्मिता देव जैसे युवा नेताओं की भरपाई के रूप में देख रही।
वामपंथी विचार धारा पर चल रही कांग्रेेस वैक्यूम को भरने के लिए पार्टी कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी जैसे नेताओं को लाने पर विचार कर रही है। 2017 में जिग्नेश मेवानी ने बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था और यहां कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट न उतारकर उन्हें जीतने में मदद की थी। तब से ही कांग्रेस और मेवानी के बीच अच्छे रिश्ते बन गए थे। सूत्रों के मुताबिक सीपीआई में कन्हैया कुमार खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और नेतृत्व से खफा हैं। मंगलवार को उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। कन्हैया के पार्टी छोड़ने के सवाल पर सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी डी. राजा ने कहा कि मैंने इस संबंध में अटकलें सुनी हैं।
राजा ने कहा, श्मैं इतना ही कह सकता हूं कि बीते महीने हमारी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी। इसमें कन्हैया कुमार मौजूद थे और उन्होंने वहां अपने विचार भी रखे थे।श् कन्हैया कुमार की ओर से अब तक कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कोई बयान नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर के जरिए वह एंट्री कर सकते हैं। दरअसल बिहार में कांग्रेस का संगठन बेहद कमजोर है। उसमें नई जान फूंकने और युवाओं की पार्टी होने का तमगा हासिल करने के लिए कांग्रेस कन्हैया कुमार को लाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस की रणनीति देश भर में अपनी यह इमेज खत्म करने की है कि वह युवाओं की पार्टी नहीं है। इसके अलावा वह ऐसे युवाओं को लाने पर जोर दे रही है, जिन्होंने अपनी जमीन खुद तैयार की है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे वह मिडिल क्लास के उस तबके को साध सकेगी, जो किसी बड़े परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवा नेताओं को लेकर वंशवाद का आरोप लगाते रहे हैं। कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल जैसे नेता साधारण परिवारों से आते हैं और इससे कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह आम युवाओं और समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना चाहती है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जो नेता वामपंथी दलों को जिंदा नहीं कर पाए वे कांग्रेस कोेेेेेेेेेेेेेेेेेेे कैसे जिंदा करेंगे।