बिचौलियों के बल पर चल रहा आंदोलन
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मुजफ्फरनगर । कृषि सुधार के कानूनों से किसानों को होने वाले लाभ के विषय में एक तथ्यात्मक विश्लेष्ण करते हुए पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान ने कहा कि मौजूदा किसान आंदोलन उन बिचौलियों की लॉबी चला रही है जो किसान को सीधे लाभ होते नहीं देखना चाहती।
उन्होंने कृषि सुधार के कानूनों से किसानों को होने वाले लाभ के विषय में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र तोमर, केन्द्रीय पशुपालन मंत्री डॉ संजीव बालियान, भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ कृष्णवीर चौधरी, कानून को समझने वाले किसानों के साथ वार्ता व् कृषि विशेषज्ञों की राय पर एक विश्लेष्ण किया।
सवाल- केंद्र सरकार को कृषि सुधार के कानूनों की आवश्यकता क्यों पड़ी।
उत्तर- देश में 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण (Economic liberalization) के बावजूद कृषि और संबन्धित अन्य क्षेत्रों में विकास की गति उस रफ्तार से नहीं बढ़ी, जिस रफ्तार से बढ़नी चाहिए थी और इससे कृषि क्षेत्र में असमानता देखने को मिली। बेहतर ढ़ाचागत बाजार (Infrastructure market) और खाद्य भंडारण (Food storage) की कमी से देश जूझ रहा था।
वर्ष 2000 से लेकर कानून आने से पहले कृषि विशेषज्ञों की अनेकों समितियों ने इन सुधारों की सिफारिस की थी, इसलिए कृषि सुधार के कानूनों की आवश्यकता पड़ी।
सवाल- कृषि सुधार के पहले "कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020" से किसानों का क्या सुविधा मिलेगी।
उत्तर- "कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020" के अंतर्गत किसान राज्य कृषि उपज विपणन कानून के तहत मंडी परिसर के बाहर बिना कोई बाजार शुल्क या करों (Taxes) के अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र है।
कृषि सुधार बिल से पहले मंडियों में व्यापारियों और बिचैलियों (Middlemen) की मोनोपोली थी, मगर इन कानूनों के आने से किसान जिसे वे चाहे और जहां वे चाहते हैं, वहाँ अपनी उपज (Produce) बेचने की आजादी यह बिल देते है अर्थात अब किसान के पास उपज बेचने के लिए कई विकल्प (Option) खुले हैं, इससे किसानों को इससे उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी।
सवाल- कृषि सुधार के पहले "कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020" से किसानों का क्या लाभ होगा।
उत्तर- कृषि सुधार बिल से पहले उपज को एक बार मंडी में लाने पर किसान को जो भी कीमत मिलती है उसे ही स्वीकार करना पड़ता है, लेकिन अब किसान अपने खेत पर भी कीमत के लिए मोलभाव कर सकते हैं, इससे उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी।
कृषि सुधार बिल से पहले मंडी शुल्क, किसानों और उपभोक्ताओं द्वारा वहन किया जाने वाला कमीशन और अन्य शुल्क का भुगतान करना होता था, लेकिन अब कोई फीस नहीं, कोई कमीशन नहीं देना होगा, जिसका लाभ किसानों को मिलेगा।
कृषि सुधार बिल से पहले कीमत में भिन्नता, असंगठित बाजार (Unorganized market), बिचैलियों की लंबी कतार हुआ करती थी, मगर अब कोई बीच में बिचैलियों के नही होने से उपभोक्ता के भुगतान में उत्पादक का बड़ा हिस्सा मिलेगा। किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ेगा।
सवाल- क्या "कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य् (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020" कृषि उपज मंडी समिति/मंडियों के अधिकरों को कम करता है।
उत्तर- "कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020" कृषि उपज मंडी समिति/मंडियों के अधिकरों को कम नहीं करता है बल्कि यह मंडियों के बाहर अतिरिक्त व्यापार की अनुमति देता है।
सवाल- कृषि सुधार कानून "मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता कानून, 2020" से ग्रामीण युवा कृषको का क्या लाभ होगा।
उत्तर- कृषि सुधार बिल से पहले कृषक युवाओं के लिए कृषि उत्पादों या वस्तुओं (Agricultural products or commodities) का व्यापार करने का कोई अवसर नहीं था, लेकिन अब ग्रामीण युवा कृषको को किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) के माध्यम से भी व्यापार श्रृंखला (Business chain) चलाने का अवसर मिलेगा।
कृषि सुधार कानून से पहले किसान अपनी कृषि उपज बिचैलियों को दरकिनार कर सीधे उपभोक्ताओं को नहीं बेच सकते थे, मगर अब बिचैलियों को छोड़कर अधिक मूल्य लेकर किसी को भी किसान अपनी कृषि उपज सीधे बेच सकते हैं।
सवाल- "मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता कानून, 2020" से छोटे भूमि धारकों का क्या लाभ होगा।
उत्तर- कृषि सुधार बिल से पहले छोटे भूमि धारकों (Small land holders) के पास आदानों और निर्यात बाजारों (Inputs and Export Markets) में सौदेबाजी की क्षमता (Bargaining power) नहीं होती, अब किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization), छोटे किसानों को बेहतर सौदेबाजी (Bargaining) के लिए संगठित करने में मदद यह बिल करता है।
देश में वर्तमान में बिचैलियों की लंबी श्रृंखला, फ़ूड चैन बाजार असंगठित होने और उपज की क्वालिटी पर ध्यान न देने के कारण कृषि उपज का निर्यात (Export) बहुत कम है। ये कानूनों किसानों की उपज की वैश्विक बाजारों में आपूर्ति के लिए जरूरी आपूर्ति चैन बनाने में मदद करेंगे, इससे किसानों को अधिक लाभ होगा।
ये अधिनियम स्थानीय उपजिलाधिकारी (Deputy Collector) के स्तर पर कम खर्च में समयबद्ध तरीके से विवाद के समाधान को बढ़ावा देता है। विवाद के निर्णय से संतुष्ट न होने पर अपर कोर्ट होते हुए हाई कोर्ट व् सुप्रीमकोर्ट जा सकते है।
सवाल- "मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता कानून, 2020" से किसानों को क्या लाभ होगा।
उत्तर- "मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता कानून, 2020" किसानों को थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, प्रसंस्करण उद्योग, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाता है।
यह कानून किसान और बड़े खुदरा कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करण उद्योग, निर्यातकों व् किसानों के बीच आपसी सहमती के आधार पर व् सर्वोत्तम मूल्य पर पहले से तय कीमतों पर कृषि उपज बेचने के समझौते करने की सुविधा प्रदान करता है।
सवाल- "आवश्यकक वस्तुध (संशोधन) कानून 2020" के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्यापज और आलू जैसी वस्तुतओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने से किसानों को क्या लाभ होगा।
उत्तर- "आवश्यकक वस्तु (संशोधन) कानून 2020" के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्यारज और आलू जैसी वस्तुवओं को आवश्युक वस्तुधओं की सूची से बाहर कर कर दिया गया है। अब किसान या बड़े खुदरा कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करण उद्योग, निर्यातकों भी अपनी योजना के मुताबिक इसका भंडारण और बिक्री कर सकता है। यह कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है।
देश में कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश के अभाव में किसान अपनी उपज के उचित मूल्य पाने में असमर्थ रहे हैं, क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम की लटकती तलवार के कारण उनकी उद्यमशीलता हतोत्सासहित हो जाती है। ऐसे में जब भी शीघ्र नष्ट हो जाने वाली कृषि उपज की बंपर पैदावार होती है, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
इस कानून के बाद देश में उत्पाादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्यापक स्तर पर उत्पादन करना संभव हो जाएगा और इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में निजी/प्रत्यमक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। इससे कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी। इन सबका लाभ सबसे अधिक किसानों को ही मिलेगा
सवाल- "आवश्यपक वस्तुच अधिनियम संशोधन कानून 2020" से उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा।
उत्तर- "आवश्यपक वस्तु अधिनियम संशोधन कानून 2020" के तहत उपभोक्तओं के हितों की रक्षा के लिए यह व्यवस्था भी की गई है कि अकाल, युद्ध, कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है।
सवाल- क्या किसान संगठन और विपक्षी दल किसानों को यह कहकर गुमराह रहे हैं।
उत्तर- किसान संगठन और विपक्षी दल किसानों को यह कहकर गुमराह रहे हैं कि इन बिलों की आड़ में सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। सरकार निजी कंपनियों को लाभ देने और किसानों को भूमिहीन करने की नीयत से ये बिल लायी है। तथा कृषि सुधार के कानून लागू होने से किसान और उसकी उपज पर प्राइवेट कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और सारा फायदा बड़ी कंपनियों को मिलेगा।
असल में ये कानून किसानों की बजाय बिचैलियों के लिए नुकसानदायक हैं, हरियाणा और पंजाब में आढ़तियों यानी बिचैलियों का दबदबा जगजाहिर है, इसलिये विपक्ष, किसान संगठन और हरियाणा और पंजाब के बिचैलियों की मजबूत लाबी किसानों की आड़ में इन कृषि सुधारों के कानूनों के विरोध का माहौल तैयार किया है।
संयुक्त किसान मोर्चे व् विपक्षी दलों द्वारा यह भी मिथक (भ्रम) पैदा किया जा रहा है कि कृषि सुधार कानून से किसानों को फायदा नहीं होगा, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इन कानूनों को लाना एक ऐतिहासिक निर्णय हैं, जो किसानों की मदद करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने में भी काफी मददगार साबित होंगे।
केंद्र सरकार एमएसपी की वर्तमान व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने का लगातार प्रयास कर रही है और पहले से अधिक कृषि उपज खरीद रही है।