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9 साल से तड़पते पिता को ऐसे मिले अपने बिछड़े बच्चे

गाजियाबाद निवासी देवीलाल अपने परिवार में खुश था। उस पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा और पूरा परिवार बिखर गया। जेल चले जाने के बाद उसके मासूम बच्चों का जीवन भी नारकीय बनकर रह गया। जेल से छूटे देवीलाल ने बच्चों को तलाशने में जमीन आसमान एक कर दिया, बच्चों को पाने की उम्मीद गवां चुके देवीलाल के जीवन में एक टीम ईश्वर का दूत बनकर आई और नौ साल के बाद उसके बच्चे उसके सीने से लगे हुए थे। आप भी जानिए एक अभागे पिता और उसके बदनसीब बच्चों के मिलन की यह मार्मिक कहानी...

9 साल से तड़पते पिता को ऐसे मिले अपने बिछड़े बच्चे
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मेरठ। गाजियाबाद निवासी देवीलाल अपने परिवार में खुश था। उस पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा और पूरा परिवार बिखर गया। जेल चले जाने के बाद उसके मासूम बच्चों का जीवन भी नारकीय बनकर रह गया। जेल से छूटे देवीलाल ने बच्चों को तलाशने में जमीन आसमान एक कर दिया, बच्चों को पाने की उम्मीद गवां चुके देवीलाल के जीवन में एक टीम ईश्वर का दूत बनकर आई और नौ साल के बाद उसके बच्चे उसके सीने से लगे हुए थे।

जनपद गाजियाबाद के थाना सिहानी गेट के दौलतपुरा निवासी जगन्नाथ सिंह ने 31 जनवरी 2012 को पुलिस को सूचना दी कि उनके किरायेदार देवीलाल ने अपनी पत्नी रेखा के सिर में ईंट मारकर उसकी हत्या कर दी। जगन्नाथ की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। देवीलाल का बड़ा बेटा रोहित (10) इस वारदात में चश्मदीद गवाह बना। देवीलाल के जेल जाने और पत्नी की मौत के कारण परिवार के पांचों बच्चों रोहित, शिवम, शिवा, शिवानी और मुन्नी को बाल कल्याण समिति गाजियाबाद ने तीन फरवरी 2012 से छह फरवरी तक आशा केंद्र में रखा। उसके बाद जब परिवार का कोई भी सदस्य उन्हें लेने के लिए नहीं आया तो सभी को बाल शिशु गृह रामपुर भेज दिया गया। रोहित चूंकि चश्मदीद था, इसलिए उसके मामा जीवन ने उसे अपनी सुपुर्दगी में ले लिया।

देवीलाल इस मामले में डासना जेल भेजे गए थे। वर्ष 2013 में वह दोषमुक्त हो गए थे। कोर्ट में बेटे ने गवाही दी थी कि उनकी मां को पिता नें नहीं मारा। जेल से बाहर आने के बाद देवीलाल ने अपने बाकी चार बच्चों की तलाश शुरू की, लेकिन उन्हें पुलिस और सीडब्लूसी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी। परिवार के चार बच्चों को पहले आशा ज्योति केंद्र और इसके बाद बाल शिशु गृह भेज दिया गया। जेल से छूटने के बाद देवीलाल ने बच्चों की तलाश शुरू की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं लगा। कई साल तलाश करने के बाद देवीलाल बच्चों के मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे। काफी साल तक तलाश करने के बाद देवीलाल थक चुके थे और अपने चारों बच्चों को मृत मान लिया था। इन बच्चों ने भी अब पिता के मिलने की उम्मीद को छोड़ दिया था और खुद को नियती के हवाले कर दिया था। इसी बीच मेरठ चाइल्ड लाइन टीम को इन बच्चों का एक मार्मिक पत्र मिला। इस पत्र के बाद अपनी तरफ से तलाश शुरू की। सीडब्ल्यूसी टीम संवेदनशील होकर इन बच्चों को पिता से मिलाने में जुटी रही। यह तलाश छह माह तक चली। इस मशक्कत के बाद इन्हें पिता से मिला दिया।

देवीलाल की तलाश के लिए सबसे बड़ी समस्या सही पता नहीं होना ही बनी। शिवा और शिवम के दस्तावेज में गाजियाबाद का जो पता दर्ज था, वहां परिवार का कोई सदस्य नहीं रह रहा था। ऐसे में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष महेश चंद शर्मा ने टीम के सदस्यों डॉ. हरिशचंद शर्मा, राजन त्यागी, अनीता राणा और नीलम सक्सेना को परिवार की तलाश में लगाया। राजन त्यागी चूंकि यूपी पुलिस में ही सीओ पद से रिटायर्ड हैं तो उन्होंने जासूस की तरह इस केस की छानबीन की। उन्होंने डासना जेल से संपर्क किया तो पता चला कि देवीलाल वर्ष 2013 में ही रिहा हो गए थे। इसके बाद जेल से उन्होंने सेशन ट्रायल नंबर लिया और वकील के माध्यम से जजमेंट कॉपी से देवीलाल के बेटे रोहित का पता मालूम किया, जो अलीगढ़ के थाना दादो के कासमपुर गांव का था। टीम इस उम्मीद के साथ गांव पहुुंची की अब देवीलाल को तलाश लिया जायेगा, लेकिन जब टीम गांव में पहुंची तो वहां भी कोई नहीं था, इसलिए देवीलाल के बाकी रिश्तेदारों से संपर्क किया, तब कहीं जाकर देवीलाल के बड़े भाई भूपसिंह तक टीम पहुंचने में सफल रही और फिर टीम ने आखिरकार देवीलाल को खोज निकाला गया। टीम ने चारों बच्चों को देवीलाल तक पहुंचाया तो मानवीय संवेदनाओं का समुद्र उमड़ पड़ा।

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