शुल्क प्रतिपूर्ति में फर्जीवाडे की जांच शुरू होने के बाद हडकंप
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि इस फैसले से इंस्पेक्टराज को बढ़ावा मिलेगा और महाविद्यालयों का उत्पीड़न बढ़ेगा। यह निरीक्षण आनलाइन कराना जाना चाहिए।
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में बीएड समेत अन्य पाठ्यक्रम संचालित करने वाले ऐसे स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति फंस सकती है, जो मानक विहीन पाए गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट सीधे प्रमुख सचिव समाज कल्याण को भेजने के निर्देश दिए हैं।
इस संबंध में विशेष सचिव उच्च शिक्षा अब्दुल समद द्वारा जारी आदेश के अनुसार संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव इस जांच कमेटी के अध्यक्ष और डीएम की तरफ से नामित कुलसचिव से कनिष्ठ किसी एडीएम या एसडीएम को सदस्य बनाया गया है। अभिलेखीय सहयोग के लिए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को भी जांच कमेटी का सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी काॅलेज की मान्यता, पाठ्यक्रम की मान्यता, पाठ्यक्रम में स्वीकृत सीट और निर्धारित शुल्क व अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षक की मानक के अनुसार न्यूनतम अर्हता समेत कई बिन्दुओं पर जांच करेगी। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि इस फैसले से इंस्पेक्टराज को बढ़ावा मिलेगा और महाविद्यालयों का उत्पीड़न बढ़ेगा। यह निरीक्षण आनलाइन कराना जाना चाहिए।
इसे लेकर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है। यह विषय उनके सामने उठाया जाएगा। जांच शुरू होने से इन काॅलेजों में प्रवेश लेने वाले गरीब परिवारों तथा अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों में भय व्याप्त हो गया है। उनका कहना है कि काॅलेज मानक के अनुरूप होने पर ही उन्हें दाखिल मिला है। उनके संबंधित दस्तावेज तो विश्वविद्यालय के ही पास हैं।